अर्थव्यवस्था

आयकर रिफंड में 474% का जबरदस्त उछाल, अब औसतन 17 दिन में मिल रहा पैसा; रिटर्न फाइलिंग में भी बढ़ोतरी

आयकर विभाग ने 2024 में औसतन 17 दिन में टैक्स रिफंड जारी किया, जिससे रिफंड हिस्सेदारी 17.6% तक पहुंची और कर प्रशासन की पारदर्शिता व कुशलता में सुधार हुआ।

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मोनिका यादव   
Last Updated- July 13, 2025 | 10:22 PM IST

वित्त वर्ष 2024-25 में भारत के सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह में रिफंड की हिस्सेदारी 17.6 प्रतिशत हो गई है, जो वित्त वर्ष 2013-14 में 11.5 प्रतिशत थी। वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने यह जानकारी दी। 

बहरहाल आयकर विभाग द्वारा रिफंड देने में लगने वाला वक्त उल्लेखनीय रूप से कम हुआ है। 2024 में करदाताओं को औसतन 17 दिन में रिफंड मिल गया, जबकि 2013 में 93 दिन लगते थे। इस तरह से रिफंड देने में लगने वाला वक्त 81.7 प्रतिशत कम हुआ है। 

प्रधान मुख्य लेखा नियंत्रक (पीआरसीसीए) और केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के आंकड़ों से पता चलता है कि जारी किया गया रिफंड वित्त वर्ष 2013-14 के 83,008 करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 में 4.76 लाख करोड़ रुपये हो गया, जिसमें 474 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इस अवधि के दौरान सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह 7.21 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 27.02 लाख करोड़ रुपये हो गया, जिसमें 274 प्रतिशत वृद्धि हुई है। 

सूत्रों ने कहा, ‘टैक्स रिफंड में बढ़ोतरी और रिफंड जारी करने में लगने वाले दिनों की संख्या में आई कमी की वजह कर प्रशासन में सुधार है।  खासकर एंड-टु-एंड ऑनलाइन फाइलिंग और फेसलेस आकलन जैसे डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर  के कारण ऐसा हुआ है और इससे रिटर्न की प्रॉसेसिंग ज्यादा सटीक और बेहतर हुई है।’

सूत्रों के अनुसार पहले से भरे हुए रिटर्न, रिफंड प्रॉसेसिंग स्वचालित किए जाने, रियल टाइम टीडीएस समायोजन और ऑनलाइन शिकायत निवारण तंत्र की शुरुआत से देरी कम हुई है और करदाताओं के अनुभव में सुधार हुआ है।

आयकर रिटर्न दाखिल करने वालों की संख्या भी बढ़ी है।  2013 में 3.8 करोड़ रिटर्न दाखिल हुए थे। दाखिल किए गए रिटर्न की संख्या 2024 में 133 प्रतिशत बढ़कर बढ़कर 8.89 करोड़ हो हो गई।

सूत्रों के अनुसार सकल कर संग्रह के हिस्से के रूप में रिफंड में वृद्धि, बढ़ती औपचारिकता और स्वैच्छिक कर भागीदारी को दर्शाती है। करदाताओं का आधार बढ़ने और अग्रिम कर व टीडीएस बढ़ने के कारण अतिरिक्त भुगतान आम बात है। 

रिफंड बढ़ना व्यवस्था बेहतर होने का संकेत है और इससे पता चलता है कि भारत की कर व्यवस्था कुशल, पारदर्शी हुई है और करदाताओं की सहूलियतें बढ़ी हैं। 

First Published : July 13, 2025 | 10:22 PM IST