भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की 6 सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति लगातार चौथी नीतिगत समीक्षा में दरें यथावत रख सकती है। बिज़नेस स्टैंडर्ड के सर्वेक्षण में शामिल सभी 10 प्रतिभागियों की यही राय रही।
आरबीआई 6 अक्टूबर को मौद्रिक नीति की समीक्षा का निर्णय बताएगा। मई 2022 से फरवरी 2023 के बीच रीपो दर में 250 आधार अंक का इजाफा कर उसे 6.5 फीसदी तक पहुंचाने के बाद मौद्रिक नीति समिति ने अप्रैल से दर वृद्धि पर विराम लगा रखा है।
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज प्राइमरी डीलरशिप में ट्रेडिंग प्रमुख और कार्यकारी उपाध्यक्ष नवीन सिंह ने कहा, ‘दर यथावत रहनी चाहिए क्योंकि मुख्य मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में आरबीआई के लिए बड़ी बाधा बन रही खाद्य मुद्रास्फीति में नरमी आई है। कम से कम सब्जियों के दाम काबू में हैं। कच्चे तेल के दाम चिंता में डाल सकते हैं मगर तरलता पर काबू रखा जा रहा है।’
सब्जियों के आसमान छूते दाम अगस्त में नीचे आने से खुदरा मुद्रास्फीति कम होकर 6.83 फीसदी रह गई। जुलाई में यह 15 महीने की ऊंचाई 7.44 फीसदी पर पहुंच गई थी।
एमके ग्लोबल में लीड अर्थशास्त्री माधवी अरोड़ा ने कहा, ‘आरबीआई सतर्क रहेगा लेकिन जब तक खाद्य मुद्रास्फीति ऊंचाई पर ही ठहरने के संकेत नहीं देती तब तक कुछ करने की जरूरत नहीं होगी।’ मगर उन्होंने कहा, ‘वैश्विक सूचकांकों में भारतीय बॉन्ड के शामिल होने से अर्थव्यवस्था के लिए उधारी लागत कम होगी। लेकिन इसके लिए अधिक जवाबदेह नीति निर्माण और कुशल मौद्रिक नीति निर्माण पर भी ध्यान देना होगा। ऐसे में आरबीआई को कई समस्याएं सुलझानी होंगी।’
पीएनबी गिल्ट्स को छोड़कर सर्वेक्षण में शामिल सभी प्रतिभागियों ने उम्मीद जताई कि बैंकिंग प्रणाली में शुद्ध तरलता घटने के बावजूद मौद्रिक नीति समिति के सदस्य ढिलाई या राहत वापस लेने के रुख पर कायम रहेंगे।
पीएनबी गिल्ट्स के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी विकास गोयल ने कहा, ‘आरबीआई का रुख तटस्थती की तरफ जाएगा क्योंकि अब मुद्रास्फीति में गिरावट आने की पूरी संभावना है। दरों पर निर्णय के लिए आरबीआई भी आंकड़ों पर निर्भर रहेगा क्योंकि अमेरिकी फेडरल को छोड़कर दुनिया के अन्य केंद्रीय बैंक दर वृद्धि पर विराम लगा रहे हैं।’ उन्होंने कहा, ‘वृद्धि के मामले में कुछ चिंता है। हालांकि आंकड़े अब भी बेहतर हैं मगर वृद्धि के आगे के अनुमान में थोड़ी नरमी के संकेत नजर आते हैं। इसलिए मेरा
मानना है कि जब ऐसा होता है या जब दरों में कटौती करनी हो तो रुख में बदलाव की आवश्यकता होती है।’
बैंकिंग प्रणाली में कम से कम 15 दिनों से तरलता की कमी बनी हुई है। बीते गुरुवार को आरबीआई ने बैंकिंग प्रणाली में 86,709 करोड़ रुपये डाले हैं। बाजार के भागीदारों ने कहा कि त्योहारों का मौसम है, इसलिए आरबीआई उत्पादक क्षेत्रों में उधारी की जरूरत ध्यान में रखते हुए एक स्तर पर तरलता बनाए रखना चाहता है।
केवल तीन प्रतिभागियों का अनुमान रहा कि आरबीआई चालू वित्त वर्ष के लिए मुद्रास्फीति के अनुमान में मामूली इजाफा कर सकता है। अगस्त की मौद्रिक नीति की समीक्षा में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति चालू वित्त वर्ष में 5.4 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया था।
कुछ का मानना कि आरबीआई मुद्रास्फीति के अनुमान को बढ़ा सकता है। कोटक महिंद्रा बैंक में मुख्य अर्थशास्त्री उपासना भारद्वाज ने कहा, ‘मुद्रास्फीति में थोड़ा इजाफा होगा, लेकिन सालाना अनुमान में उतना नहीं जितना दूसरी तिमाही में इजाफा किया गया था। इसलिए तिमाही अनुमान में कुछ बदलाव होंगे क्योंकि आरबीआई अपनी दूसरी तिमाही के अनुमान से अभी भी पीछे है। आरबीआई ने 6.2 फीसदी का अनुमान लगाया था और यह 6.6 फीसदी के आसपास है। इसलिए मुद्रास्फीति के अनुमान में दूसरी तिमाही में 30 से 40 आधार अंक का इजाफा होगा। इससे पूरे साल का अनुमान अपने आप 10 आधार अंक या इससे अधिक बढ़ जाएगा।’
सर्वेक्षण में शामिल एक भी प्रतिभागी ने चालू वित्त वर्ष के दौरान वृद्धि के अनुमान में बदलाव की संभावना नहीं जताई है। आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर 6.5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है। प्रतिभागियों का कहना है कि ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं किया जाता है तब भी आरबीआई का नीतिगत रुख सतर्क रह सकता है।