चीन से लैपटॉप और टैबलेट जैसे पर्सनल कंप्यूटरों के आयात पर नवंबर में कमी आई थी मगर दिसंबर में इसमें एक बार फिर उछाल आ गई और 11.3 फीसदी इजाफे के साथ 27.6 करोड़ डॉलर के कंप्यूटर चीन से भारत आए। दिलचस्प है कि वाणिज्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक उस महीने चीन से कुल माल आयात 0.8 फीसदी घटा है।
दिसंबर में सिंगापुर और हॉन्ग कॉन्ग से लैपटॉप और टैबलेट का आयात घटा है। सिंगापुर से इनका आयात 66.1 फीसदी घटकर 1.16 करोड़ डॉलर और हॉन्ग कॉन्ग से 41.8 फीसदी घटकर 1.36 करोड़ डॉलर रहा। दिसंबर में इन वस्तुओं के कुल आयात में चीन की हिस्सेदारी बढ़कर 89.4 फीसदी हो गई, जो अप्रैल से दिसंबर, 2023 तक 76.4 फीसदी ही थी।
सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक हार्डवेयर के आयात पर नजर रखने के लिए नवंबर में ऑनलाइन निगरानी व्यवस्था शुरू की थी। उस महीने चीन से इन वस्तुओं के आयात में 14 फीसदी कमी आई, जबकि कुल आयात में 17 फीसदी गिरावट देखी गई।
पिछले साल 3 अगस्त को सरकार ने लैपटॉप, टैबलेट, ऑल-इन-वन पीसी, अल्ट्रा-स्मॉल फॉर्म फैक्टर कंप्यूर तथा सर्वर जैसे आईटी हार्डवेयर उत्पादों को ‘प्रतिबंधित’ श्रेणी में रखने की घोषणा की थी। इससे कारोबारियों को डर लगा कि आयात के लिए लाइसेंस जरूरी कर दिया जाएगा। इसी कारण लैपटॉप और टैबलेट का आयात सितंबर में 41.8 फीसदी और अक्टूबर में 29.7 फीसदी बढ़ गया था। मगर उद्योग द्वारा गहरी चिंता जताए जाने के कारण फैसला 1 नवंबर तक के लिए टाल दिया गया। इस फैसले का मकसद चीन से आयात पर निर्भरता घटाना और भरोसेमंद आपूर्ति श्रृंखला सुनिश्चित करना था।
सरकार ने अपना रुख और नरम करते हुए कहा कि किसी भी देश से इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के आयात पर रोक नहीं लगाई जाएगी। साथ ही नई ऑनलाइन आयात मंजूरी प्रणाली भी शुरू की गई। आयात पर निगरानी की व्यवस्था शुरू होने से सरकार के पास विभिन्न स्थानों से आने वाले इन उत्पादों की जानकारी इकट्ठी होने लगी है।
भारत के प्रमुख व्यापारिक साझेदारों ने विश्व व्यापार संगठन में ऑनलाइन निगरानी तंत्र पर चिंता जताई है। पिछले महीने वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल के साथ भारत-अमेरिका व्यापार नीति फोरम की अध्यक्षता करते समय अमेरिका की व्यापार मंत्री कैथरीन तई ने भी यह मसला उठाया था।
उन्होंने आयात प्रबंधन प्रणाली को सुगम तरीके से लागू करने के लिए भारत की सराहना की क्योंकि इससे व्यापार पर बहुत कम प्रभाव पड़ा है। मगर उन्होंने भारत से यह सुनिश्चित करने का आग्रह भी किया कि मौजूदा एंड-टु-एंड ऑनलाइन व्यवस्था और उससे जुड़ी नीतियों से भविष्य में व्यापार बाधित न हो।