अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने मंगलवार को वित्त वर्ष 2025-26 के लिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि का पूर्वानुमान 20 आधार अंक बढ़ाकर 6.6 प्रतिशत कर दिया। वर्ल्ड इकनॉमिक आउटलुक रिपोर्ट में आईएमएफ ने कहा कि भारत की पहली तिमाही की मजबूत वृद्धि ने अमेरिका के बढ़े शुल्क के नुकसान की भरपाई कर दी है।
आईएमएफ ने डब्ल्यूईओ के अद्यतन के तहत वित्त वर्ष 2026-27 के लिए वृद्धि का अनुमान 20 आधार अंक से संशोधित कर 6.2 प्रतिशत कर दिया है।
विश्व बैंक ने पिछले सप्ताह वित्त वर्ष 2026 के लिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद के पूर्वानुमान को बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत कर दिया था, जबकि उसने जून में 6.3 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान लगाया था। वहीं भारत की ओर से अमेरिका को होने वाले निर्यात पर अपेक्षा से अधिक शुल्क लगाए जाने के कारण वित्त वर्ष 2026-27 के लिए जीडीपी वृद्धि का अनुमान 20 आधार अंक घटाकर 6.3 प्रतिशत कर दिया था। विश्व बैंक ने कहा कि भारत सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था बना रह सकता है, जिसे खपत में वृद्धि से लगातार मजबूती मिल रही है।
आईएमएफ के आर्थिक परामर्शदाता और अनुसंधान विभाग के निदेशक पियरे-ओलिवियर गौरींचस ने कहा कि देशों को राजकोषीय बफर बनाकर, मजबूत संस्थागत वातावरण बनाकर और वैश्विक अर्थव्यवस्था का हिस्सा बने रहकर आर्थिक रूप से लचीला बनने की आवश्यकता है।
एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए गौरींचस ने कहा कि वृद्धि निजी क्षेत्र तथा अन्यत्र विकसित प्रौद्योगिकियों को अपनाने से होती है।उन्होंने कहा, ‘देशों को श्रम बल बढ़ाने और बुनियादी ढांचे के निवेश के लिए सही प्रयास करने की आवश्यकता है, ताकि देश तेजी से बढ़ सकें और निजी क्षेत्र, नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा मिल सके।’
गौरींचस की यह टिप्पणी आईएमएफ की प्रबंध निदेशक क्रिस्टलीना जॉर्जीवा के हालिया बयान के संदर्भ में है, जिसमें उन्होंने कहा था कि अनिश्चितता अब नई सामान्य स्थिति है और देशों को इसके लिए कम कस लेने की जरूरत है।
आर्थिक समीक्षा में वित्त वर्ष 2026 में भारतीय अर्थव्यवस्था की सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर दर 6.3 प्रतिशत से 6.8 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान लगाया गया है। आईएमएफ ने जुलाई में भारत का वृद्धि अनुमान 20 आधार अंक बढ़ाकर 6.4 प्रतिशत कर दिया था। उसने खपत में तेज वृद्धि और सार्वजनिक निवेश पर जोर दिए जाने संबंधी नीतिगत सुधारों को देखते हुए अनुमान बढ़ाया था। इसने सौम्य वैश्विक वातावरण और महंगाई में कमी आने को भी अनुमान बढ़ाने की वजह बताई थी।
2025 के लिए वैश्विक वृद्धि का अनुमान भी 20 आधार अंक बढ़ाकर 3.2 प्रतिशत कर दिया गया है। 2026 के लिए आईएमएफ की रिपोर्ट में वृद्धि अनुमान में कोई बदलाव न करते हुए इसे 3.1 प्रतिशत पर बरकरार रखा है।
आईएमएफ की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘वैश्विक अर्थव्यवस्था ने व्यापार नीति के झटकों के प्रति लचीलापन दिखाया है। ये झटके शुरुआत में अपेक्षा से कम नजर आए, लेकिन नीतियों में बदलाव से हालिया आंकड़ों में इसका असर दिख रहा है।’
भारत इस समय 50 प्रतिशत अमेरिकी शुल्क का सामना कर रहा है, जिससे टेक्सटाइल, फुटवीयर और समुद्री उत्पाद जैसे श्रम केंद्रित क्षेत्रों पर विपरीत असर पड़ने की संभावना है।