कोविड संक्रमण के मामलों में गिरावट की वजह से आर्थिक गतिविधियों के साप्ताहिक संकेतकों में तेजी देखी जा रही है। बिजली उत्पादन में अब 2019 के मुकाबले दो अंकों की बढ़त दिख रही है और लोगों की आवाजाही में भी तेजी है। यातायात और उत्सर्जन जैसे अन्य संकेतकों में भी सुधार दिख रहा है और यह सुधार देश के कुछ हिस्सों के मुकाबले अन्य हिस्सों में ज्यादा ही है।
देश में रविवार, 11 जुलाई को खत्म हुए सप्ताह में सात दिन के रोलिंग औसत आधार पर भारत में 442.6 करोड़ यूनिट बिजली का उत्पादन हुआ क्योंकि देश के कई हिस्सों में काफी गर्मी पड़ रही थी और लू चलने जैसी स्थिति बन गई। ऐसे में सिंचाई की मांग बढ़ गई क्योंकि धान की बुआई का मौसम आ गया था।
विश्लेषकों का मानना है कि बिजली की मांग भी पिछले हफ्ते से बढ़ी है क्योंकि कोविड-19 की वजह से आर्थिक गतिविधियों पर लगाए गए प्रतिबंध से देश भर के कई उद्योगों की अधूरी मांग है जिसे पूरा करने के लिए उत्पादन में बढ़ोतरी की जा रही है। ताजा हफ्ते के आंकड़े 2019 की इसी अवधि की तुलना में 17 फीसदी ज्यादा है। तुलना के लिए वर्ष 2019 का इस्तेमाल इसलिए किया जाता है क्योंकि यह वर्ष देश में कोविड-19 के फैलने से ठीक पहले का साल था। बिजली की मांग की बढ़त 2020 की तुलना में 22 फीसदी ज्यादा है।
कार्यस्थल पर जाने वालों की तादाद में भी कोविड से पहले के दिनों की तुलना में 78 फीसदी तक की बढ़त है। यह सर्च इंजन गूगल के मोबिलिटी डेटा पर आधारित है किसी अनाम स्थान डेटा के आधार पर लोगों की गतिविधियों पर नजर रखता है। ये डेटा एक अंतराल पर जारी किए जाते हैं और ताजा आंकड़े 7 जुलाई के हैं। किराना और फार्मेसी सहित अन्य जरूरी खरीदारी, महामारी से पहले की अवधि यानी फरवरी 2019 की तुलना में 19.3 प्रतिशत अधिक है। रिटेल स्टोर और मनोरंजन वाली जगहों पर जाने वालों की तादाद अब भी 26.4 फीसदी कम है जबकि पार्क जाने वालों की तादाद में 13.4 फीसदी की कमी है। कहीं आने-जाने पर भी भय और अवसाद जैसा माहौल रहता है और औसतन इसमें 15 फीसदी की कमी है।
वैश्विक लोकेशन तकनीकी कंपनी टॉम टॉम इंटरनैशनल के आंकड़े बताते हैं कि प्रमुख शहरों में यातायात की भीड़ बढ़ी है। नई दिल्ली में यातायात अभी सामान्य समय के 63 प्रतिशत के स्तर पर है जबकि मुंबई में यातायात का स्तर 58 फीसदी के स्तर पर है। पिछले एक पखवाड़े में नई दिल्ली के यातायात में मुंबई के मुकाबले अपेक्षाकृत ज्यादा सुधार है। भारतीय रेलवे ने 11 जुलाई को खत्म हुए सप्ताह के दौरान पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में 26.4 फीसदी (टन के लिहाज से) अधिक माल ढुलाई की। माल ढुलाई से होने वाली आमदनी 30 फीसदी तक है। दोनों आंकड़े पिछले सप्ताह की संख्या के समान हैं।
बिज़नेस स्टैंडर्ड नाइट्रोजन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन का भी जायजा लेता है जिसका उत्सर्जन औद्योगिक गतिविधियों और वाहनों से आता है। 2020 में देश में लॉकडाउन लगने की वजह से स्तर में गिरावट आई। दिल्ली उत्सर्जन 12 जुलाई तक सात दिन के रोलिंग औसत आधार के लिहाज से 2019 के स्तर से 8.1 प्रतिशत नीचे है। मुंबई का उत्सर्जन 2019 और 2020 के स्तर से नीचे ही है। बिज़नेस स्टैंडर्ड इन साप्ताहिक संकेतकों का जायजा लेता है ताकि यह अंदाजा मिल सके की अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन कैसा है। आधिकारिक वृहद आर्थिक आंकड़े अक्सर अंतराल के साथ जारी किए जाते हैं। वैश्विक स्तर पर विश्लेषक इसी तरह के संकेतकों पर नजर रख रहे हैं क्योंकि कोविड-19 महामारी पर नियंत्रण करने के लिए विभिन्न देशों में लॉकडाउन लगाया गया। भारत में रोजाना दर्ज किए जाने वाले कोविड-19 मामलों की संख्या 12 जुलाई तक कम होकर करीब 41,300 हो गई जबकि मई के पहले सप्ताह में संक्रमण की रोजाना दर्ज की जाने वाली तादाद 400,000 से अधिक थी।
