कई राज्य के मुख्यमंत्रियों और वित्त मंत्रियों ने इस बात पर चिंता जताई है कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) दरों को युक्तिसंगत बनाए जाने के कारण राजस्व का नुकसान होगा। इनमें खासतौर पर देश के विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडिया’ से जुड़े दलों की सत्तारूढ़ राज्य सरकारें शामिल हैं।
हालांकि भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के मुख्यमंत्रियों और वित्त मंत्रियों ने इस विषय पर सार्वजनिक रूप से अपनी राय जाहिर करने से परहेज किया है, लेकिन सूत्रों ने ‘बिज़नेस स्टैंडर्ड’ को बताया है कि उन्होंने केंद्र से राजस्व के संभावित नुकसान पर अपनी आशंकाएं साझा की हैं। विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्यों के आठ मंत्रियों ने 29 अगस्त को दिल्ली में मुलाकात की थी और फिर बुधवार को जीएसटी परिषद की बैठक से पहले नाश्ते पर भी मिले। इन मंत्रियों ने दर कटौती का समर्थन करने के बावजूद राज्यों को होने वाले राजस्व के नुकसान पर चिंता जाहिर की है। झारखंड के राधा कृष्ण किशोर ने अपने राज्य के लिए प्रति वर्ष 2,000 करोड़ रुपये के राजस्व नुकसान का अनुमान लगाया है।
केरल के वित्त मंत्री के. एन. बालगोपाल ने कहा है कि दरों को युक्तिसंगत बनाए जाने के कारण इस दक्षिणी राज्य को सालाना 8,000 करोड़ रुपये से 10,000 करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान हो सकता है। हिमाचल प्रदेश के मंत्री हर्षवर्धन चौहान का अनुमान है कि पहाड़ी राज्य को सालाना 1,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है।
पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री के प्रधान मुख्य सलाहकार, अमित मित्रा ने ‘बिज़नेस स्टैंडर्ड’ को बताया, ‘जिस तरह से इस सुधार को आगे बढ़ाया गया है, वह संघवाद पर भी सवाल उठाता है।’ मित्रा वर्ष 2011 से 2021 तक पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘जीएसटी परिषद की बैठक में, 11 मंत्री राजस्व नुकसान के मुआवजे के मुद्दे पर चर्चा चाहते थे। लेकिन उनकी आवाज दबा दी गई।’
उन्होंने कहा, ‘राज्यों को होने वाले नुकसान से आम आदमी के लिए स्वास्थ्य और शिक्षा से लेकर महिला सशक्तीकरण का बुनियादी आधार कमजोर होगा। वहीं लक्जरी कारों जैसे बीएमडब्ल्यू और मर्सिडीज पर उपकर हटाए जाने के बाद प्रभावी कराधान में कमी से बेहद अमीर लोगों को फायदा होगा।’ पहले लक्जरी कारों पर उपकर सहित 50 फीसदी कर लगता था। अब, उन पर 40 फीसदी कर लगेगा। बंगाल के पूर्व वित्त मंत्री ने इस ‘सुधार’ को ‘त्योहारी सीजन से पहले श्रेय लेने की जल्दबाजी में उठाया गया कदम’ बताया।
इसके अलावा कर्नाटक की सरकार को भी सालाना 15,000 करोड़ रुपये के राजस्व नुकसान का अनुमान है और पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने अपने राज्य के लिए यह आंकड़ा सालाना 4,000 करोड़ रुपये से अधिक बताया है।
इस बीच पीटीआई को दिए एक साक्षात्कार में, सीतारमण ने कहा कि राज्यों ने कर दरों में बदलाव के प्रस्ताव पर अपनी राय रखी, लेकिन अंततः वे इस बात पर सहमत हुए कि यह आम आदमी के लाभ के लिए है और इसके कारण ही जीएसटी परिषद की बैठक में इस निर्णय पर सर्वसम्मति बन पाई।