प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में सुधारों के तहत प्रस्तावित दो दर प्रणाली के माध्यम से कार्यान्वयन आसान और लेखांकन प्रक्रिया स्पष्ट हो जाएगी। इससे आगे चलकर वित्तीय राजस्व बढ़ाने में मदद मिल सकती है। यह आकलन साख निर्धारित करने वाली एजेंसी एसऐंडपी ग्लोबल रेटिंग्स के विश्लेषकों ने पेश किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी महीने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लालकिले से अपने भाषण में जीएसटी व्यवस्था में व्यापक सुधार का ऐलान किया था।
एसऐंडपी के एक विश्लेषक ने एजेंसी की हाल ही में भारत की सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग में अपग्रेड पर आयोजित एक वेबिनार के दौरान कहा, ‘वर्तमान जीएसटी व्यवस्था वास्तव में चार अलग-अलग दरों के साथ काफी जटिल है। इससे लेखांकन और कार्यान्वयन में कभी-कभी काफी मुश्किल होती है।’
जीएसटी के निचले स्लैब के वित्तीय राजस्व को प्रभावित करने संबंधी सवाल का जवाब देते हुए एसऐंडपी के विश्लेषकों ने कहा कि निचले स्लैब से वित्तीय प्रभाव का आकलन करना अभी जल्दबाजी होगी। एसऐंडपी ग्लोबल रेटिंग्स के सॉवरेन एंड इंटरनैशनल पब्लिक फाइनैंस रेटिंग के निदेशक यीफार्न फुआ ने कहा, ‘अगर दरें कम हो जाती हैं, तो यह वित्तीय राजस्व को प्रभावित कर सकता है, लेकिन ऐसा नहीं भी हो सकता है। इसलिए वास्तविक वित्तीय प्रभाव क्या होगा, यह देखने के लिए अभी इंतजार करना होगा। लेकिन हमें नहीं लगता कि सरकार इस प्रणाली में इस हद तक बदलाव करेगी कि इससे उसके वित्तीय राजस्व पर कोई असर पड़ेगा।’
एसऐंडपी विश्लेषकों ने कहा कि पिछले 5 से 6 वर्षों के दौरान जीएसटी सुधार सरकार के राजकोषीय राजस्व के प्रमुख घटक के रूप में बहुत सफल साबित हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जीएसटी दर में बहुप्रतीक्षित युक्तिसंगत सुधार की घोषणा स्वतंत्रता दिवस के मौके पर की थी। इसके बारे में कॉरपोरेट जगत का मानना है कि इन सुधारों से असमान खपत और मांग के रुझान परिदृश्य में बड़ा बदलाव आ सकता है। प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस पर लालकिले के प्राचीर से अपने भाषण में कहा, ‘इस बार दीवाली के मौके पर मैं आपके लिए दोहरा तोहफा देने जा रहा हूं।’
मोदी ने कहा, ‘हमने राज्यों के साथ चर्चा की है। हम अगली पीढ़ी के जीएसटी सुधार ला रहे हैं जो पूरे देश में कर के बोझ को कम करेंगे। आम आदमी के लिए वस्तुओं पर कर में काफी कमी की जाएगी। जीएसटी व्यवस्था में सुधार होने के बाद एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) और हमारे छोटे उद्यमियों को बहुत बड़ा लाभ मिलेगा। रोजमर्रा की चीजें सस्ती हो जाएंगी और इससे अर्थव्यवस्था को भी नई गति मिलेगी।’
एसऐंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने बीते 14 अगस्त को स्थिर दृष्टिकोण के साथ देश की दीर्घकालिक सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग को एक पायदान बढ़ाकर ‘बीबीबी-‘ के सबसे निचले निवेश ग्रेड से ‘बीबीबी’ कर दिया था। रेटिंग अपग्रेड 18 वर्षों के अंतराल के बाद आया है, जिसमें आर्थिक लचीलापन, निरंतर वित्तीय समेकन और सुव्यवस्थित सार्वजनिक खर्च का हवाला दिया गया है। इससे भारत की रेटिंग मेक्सिको, इंडोनेशिया और ग्रीस जैसे देशों के समान हो गई है।
एसऐंडपी ग्लोबल रेटिंग्स को उम्मीद है कि सरकारी नीति और विमानन जैसे नए क्षेत्रों में इन्फ्रा पर बहुत अधिक ध्यान दिए जाने के कारण निजी पूंजी व्यय पिछले पांच वर्षों की तुलना में अगले पांच वर्षों के दौरान दोगुना हो जाएगा। रेटिंग एजेंसी ने यह भी कहा कि एआई आने वाले समय में कारोबारी माहौल में थोड़ा बदलाव लाएगा, क्योंकि इससे कुछ प्रकार की नौकरियां कम होंगी। एसऐंडपी ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था की टेक्नॉलजी अपनाने की प्रवृत्ति को देखते हुए एआई से निकट भविष्य में उत्पादकता में सुधार होने की भी संभावना है। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि भारत की स्थिति में सुधार किसी एक घटना के कारण नहीं आ रहा, बल्कि पिछले एक दशक में आर्थिक कारकों की वजह से ऐसा हो रहा है।