जीएसटी दरों पर मंत्रिसमूह की बैठक 17 जून को

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 6:16 PM IST

दरों को तर्कसंगत बनाने की संभावना तलाशने के लिए गठित मंत्रियों का अधिकारप्राप्त समूह अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए 3 से 6 महीने की मोहलत मांग सकता है। मामले की जानकारी रखने वाले लोगों ने इस बारे में बताया। मंत्रियों के अ​धिकारप्राप्त समूह को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) दरें में बदलाव पर रिपोर्ट सौंपनी है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री बासवराज बोम्मई की अध्यक्षता में सितंबर 2021 में गठित मंत्रिसमूह की दूसरी बैठक 17 जून को होनी है। समिति को उस समय दरों में बदलाव के बारे में रिपोर्ट दो महीने में सौंपने का जिम्मा दिया गया था। दिसंबर में समिति को मार्च अंत तक का वक्त दिया गया, लेकिन ऊंची मुद्रास्फीति की वजह से इसमें देर हो गई।
एक सरकारी ​अ​धिकारी ने कहा, ‘दरें वाजिब बनाने का काम जटिल है और इसमें काफी चर्चा करने की जरूरत होती है। ऐसा महसूस किया गया कि मुद्रास्फीतिक दबाव कम होने तक बदलाव नहीं होना चाहिए।’ समूह की वर्चुअल बैठक शुक्रवार को प्रस्तावित है, जिसमें कुछ वस्तुओं और सेवाओं को जीएसटी से मिली छूट खत्म करने और कुछ खास मूल्य श्रृंखलाओं में व्युत्क्रम शुल्क ढांचे को दुरुस्त करने पर विचार-विमर्श किया जा सकता है। एक शख्स ने कहा कि दरों में फेरबदल पर चर्चा के लिए अतिरिक्त समय की जरूरत होगी।
 समिति को मौजूदा जीएसटी दरों की समीक्षा करने और न्यूनतम कर स्लैब को मौजूदा 5 फीसदी से बढ़ाकर 7 या 8 फीसदी करने पर विचार करना है। इसके साथ ही अन्य कर स्लैब में भी बदलाव पर विचार करना है।
जीएसटी में चार प्रमुख कर स्लैब – 5 फीसदी, 12 फीसदी, 18 फीसदी और 28 फीसदी हैं। कुछ अहितकर वस्तुओं को 28 फीसदी कर दायरे में रखा गया है और उन पर उपकर भी लगाया जाता है।
घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले एक अन्य शख्स ने कहा कि जीएसटी परिषद की बैठक इस महीने के अंत में या अगले महीने की शुरुआत में हो सकती है, जिसमें कुछ वस्तुओं से कर छूट खत्म करने, कच्चे माल पर तैयार उत्पाद से ज्यादा कराधान की विसंगति दूर करने आदि पर मंत्रिसमूह की सिफारिशों पर विचार किया जा सकता है। फिलहाल जिन वस्तुओं को कर दायरे से बाहर रखा गया है उनमें गैर-ब्रांडेड वस्तुएं हैं।
व्युत्क्रम शल्क ढांचा तब लागू होता है जब कच्चे माल पर कर तैयार उत्पाद पर लगने वाले कर से ज्यादा हो। इसकी वजह से कंपनियों को इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा करना पड़ता है और रकम वापस मिलने तक उनका नकद प्रवाह प्रभावित होता है।
जहां तक वि​भिन्न मूल्य श्रंखला में व्युत्क्रम शुल्क ढांचे की बात है तो टेक्सटाइल जैसे उत्पादों पर इसे दुरुस्त करना आसान नहीं लग रहा। पिछले साल दिसंबर में परिषद ने कपड़े और परिधान क्षेत्र के कई उत्पादों पर कर की दर मौजूदा 5 फीसदी से बढ़ाकर 1 फीसदी करने का निर्णय टाल दिया था।

First Published : June 16, 2022 | 12:34 AM IST