अर्थव्यवस्था

RBI की MPC में सरकार अक्टूबर से पहले करेगी नए बाहरी सदस्यों की नियुक्ति, 2020 जैसी स्थिति से बचना चाहेगा केंद्र

MPC में यह बदलाव उस समय हो रहा है जब सरकार उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) को संशोधित करने की प्रक्रिया शुरू कर रही है, जिसमें खाद्य वस्तुओं के वेटेज को कम करने की संभावना है।

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एजेंसियां   
Last Updated- August 23, 2024 | 5:48 PM IST

RBI MPC new members: भारत सरकार केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति समिति (MPC) में नए बाहरी सदस्यों की नियुक्ति अक्टूबर तक करेगी। यह नियुक्ति ब्याज दरों को लेकर होने वाली महत्वपूर्ण बैठक से पहले होगी। माना जा रहा है कि इसमें MPC पर ब्याज दरों में कटौती का दबाव रहेगा। ब्लूमबर्ग ने सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि चयन के लिए गठित पैनल (selection panel) अगले दो सप्ताह में संभावित उम्मीदवारों की सिफारिश करेगा और सितंबर के अंत या अक्टूबर की शुरुआत में इस पर घोषणा की जा सकती है।

MPC में कौन-कौन शामिल

छह-सदस्यीय MPC (मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी) में तीन बाहरी सदस्य और तीन RBI अधिकारी शामिल हैं, जिसका नेतृत्व गवर्नर शक्तिकांत दास करते हैं। बाहरी सदस्य, जो आमतौर पर प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री या फाइनेंस और व्यापक आर्थिक विशेषज्ञ (well-known economists) होते हैं। उनकी नियुक्ति चार साल के कार्यकाल (MPC members tenure) के लिए होती है। वर्तमान बाहरी सदस्यों जयंत वर्मा, असीमा गोयल और शशांक भिदे का कार्यकाल 4 अक्टूबर को समाप्त हो रहा है। जबकि, अगला ब्याज दरों पर होने वाला फैसला 9 अक्टूबर को निर्धारित है।

सिलेक्शन पैनल में कौन-कौन शामिल

नए सिलेक्शन पैनल में RBI गवर्नर शक्तिकांत दास, कैबिनेट सचिव टी.वी. सोमनाथन, आर्थिक मामलों के सचिव (DEA Secretary) अजय सेठ और अन्य अधिकारी शामिल हैं। पैनल को 2020 की स्थिति से बचना होगा। 2020 में बाहरी सदस्यों की नियुक्ति में देरी के कारण RBI को अपनी दर बैठक स्थगित करनी पड़ी थी। और उसकी वजह से नीतिगत दरों की अनिश्चितता बढ़ गई थी और विश्लेषकों की आलोचना का सामना करना पड़ा था।

अमेरिकी फेड के फैसले का ग्लोबल लेवल पर दिखेगा असर

नए MPC की नियुक्ति उस समय हो रही है जब वैश्विक केंद्रीय बैंकों की नीतियों में बदलाव आ रहा है। फेडरल रिजर्व (अमेरिकी फेड) की तरफ से सितंबर तक ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद है, जिससे अन्य केंद्रीय बैंकों पर बाजार में उथल-पुथल से बचने के लिए कार्रवाई करने का दबाव बढ़ेगा। एशिया प्रशांत (Asia Pacific) क्षेत्र में, न्यूजीलैंड और फिलीपींस ने पहले ही ब्याज दरों में कटौती की है।

18 महीने से एक लेवल पर बरकरार है Repo Rate, इस बार क्या?

RBI ने अपनी प्रमुख ब्याज दर (Repo Rate) को 18 महीने से अधिक समय से 6.5% पर बरकरार रखा है। RBI गवर्नर दास मुद्रास्फीति (महंगाई दर) के केंद्रीय बैंक के 4 प्रतिशत लक्ष्य के आसपास स्थिर होने तक नीति में ढिलाई देने के पक्ष में नहीं हैं। वर्तमान बाहरी सदस्यों में से दो, वर्मा और गोयल ने अगस्त की नीति बैठक में दरों में कटौती के पक्ष में मतदान किया था।

ज्यादातर अर्थशास्त्री यह उम्मीद नहीं कर रहे हैं कि RBI इस साल की अंतिम तिमाही से पहले उधारी लागतों (borrowing costs) को कम करेगा। वे मानते हैं कि फेड के नीतिगत बदलाव के बाद ही RBI इस पर विचार करेगा। हालांकि, कुछ का कहना है कि उपभोक्ता मांग (consumer demand) में कमी के संकेत हैं और इकनॉमिक ग्रोथ का समर्थन करने के लिए ब्याज दरों में कटौती की जानी चाहिए।

MPC में बदलाव

MPC में यह बदलाव उस समय हो रहा है जब सरकार उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) को संशोधित करने की प्रक्रिया शुरू कर रही है, जिसमें खाद्य वस्तुओं के भार (वेटेज) को कम करने की संभावना है। इससे भारत में महंगाई दर (Inflation) में उछाल को कम किया जा सकता है।

RBI का इन्फ्लेसन टारगेटिंग फ्रेमवर्क मार्च 2026 में रिव्यू के लिए आ रहा है, और सरकारी हलकों में यह बहस चल रही है कि क्या खाद्य मूल्य (food prices) को इस लक्ष्य से बाहर रखा जाना चाहिए।

First Published : August 23, 2024 | 4:52 PM IST