अर्थव्यवस्था

GDP: पारिवारिक बचत गिरी, उधारी बढ़ी

परिवारों की सालाना वित्तीय देनदारियां बढ़कर वित्त वर्ष 23 में जीडीपी की 5.8 प्रतिशत पर पहुंच गई जबकि यह वित्त वर्ष 22 में 3.8 प्रतिशत थी।

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अंजलि कुमारी   
Last Updated- September 20, 2023 | 11:09 PM IST

पारिवारिक बचत दशकों के निचले स्तर पर पहुंच गई है। आरबीआई के आकंड़ों के मुताबिक पारिवारिक बचत वित्त वर्ष 23 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 5.1 फीसदी पर पहुंच गई जबकि यह वित्त वर्ष 22 में 7.2 प्रतिशत थी।

उधर परिवारों की सालाना वित्तीय देनदारियां बढ़कर वित्त वर्ष 23 में जीडीपी की 5.8 प्रतिशत पर पहुंच गई जबकि यह वित्त वर्ष 22 में 3.8 प्रतिशत थी।

वित्त वर्ष 21 में पारिवारिक शुद्ध बचत 22.8 लाख करोड़ रुपये थी। यह वित्त वर्ष 22 में गिरकर 16.96 लाख करोड़ हो गई थी और फिर वित्त वर्ष 23 में गिरकर 13.76 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गई।

इसके वितरीत पारिवारिक उधारी में वृद्धि हुई। वित्तीय देनदारी के रूप में मापे जाने वाले परिवार का कर्ज उल्लेखनीय रूप से उच्च स्तर पर बना हुआ है।

यह वित्त वर्ष 23 में जीडीपी के 37.6 प्रतिशत पर पहुंच गया था जो वित्त वर्ष 22 में 36.9 प्रतिशत था। इससे यह संकेत मिलता है कि परिवार अपनी उपभोक्ता जरूरतों को पूरा करने के लिए उधारी को बढ़ा रहे हैं।

आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक स्वतंत्रता के बाद दूसरी बार बीते वित्त वर्ष में वित्तीय देनदारियों का प्रतिशत बढ़ा था और इससे पहले 2006-07 में 6.7 प्रतिशत था। बचत कम होने और उधारी बढ़ने का प्रमुख कारण बढ़ती महंगाई की तुलना में पारिवारिक आमदनी का स्थिर या कम होना है।

First Published : September 20, 2023 | 11:09 PM IST