नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने अपने कार्यकाल के 10वें साल का समापन शानदार आर्थिक वृद्धि के साथ किया है। वित्त वर्ष 2024 की चौथी तिमाही में उम्मीद से ज्यादा 7.8 फीसदी वृद्धि की बदौलत पूरे वित्त वर्ष के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर 8.2 फीसदी रही। 1961-62 से 9वीं बार जीडीपी की वृद्धि दर 8 फीसदी के आगे गई है।
मोदी सरकार (Modi Sarkar) के 10 साल के कार्यकाल के दौरान अर्थव्यवस्था 6 फीसदी की दर से बढ़ी है जबकि कांग्रेस के नेतृत्व वाली मनमोहन सिंह सरकार के कार्यकाल में अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 6.82 फीसदी रही थी।
मगर ध्यान रहे कि वित्त वर्ष 2021 में कोरोनावायरस महामारी के दौरान जीडीपी में 5.8 फीसदी का संकुचन आया था, जिससे मोदी सरकार के आर्थिक रिकॉर्ड को झटका लगा।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, ‘यह उल्लेखनीय जीडीपी वृद्धि दर दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे अधिक है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के तीसरे कार्यकाल में भी भारत की वृद्धि गति जारी रहेगी।’
उन्होंने कहा, ‘वित्त वर्ष 2023-24 में विनिर्माण क्षेत्र ने 9.9 फीसदी की शानदार वृद्धि दर्ज की, जो मोदी सरकार के इस क्षेत्र में किए गए प्रयासों की सफलता को दर्शाता है। कई उच्च आवृत्ति वाले संकेतक बताते हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक चुनौतियों के बावजूद मजबूत बनी रहेगी।’
रॉयटर्स द्वारा 54 अर्थशास्त्रियों के बीच कराए गए सर्वेक्षण के औसत के मुताबिक बीते वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 6.7 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया था। जनवरी-मार्च तिमाही में उम्मीद से ज्यादा वृद्धि उच्च शुद्ध कर संग्रह के कारण हुई है।
केयर रेटिंग्स में मुख्य अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा ने कहा, ‘बीते वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में जीवीए वृद्धि उम्मीद के अनुरूप रही है मगर इससे पिछली तिमाही में जीवीए में संशोधन से वित्त वर्ष 2024 में कुल वृद्धि ज्यादा रही है। कुल मिलाकर तीसरी तिमाही में जीडीपी और जीवीए वृद्धि में जो अंतर देखा गया था वह चौथी तिमाही में बना रहा और इस दौरान शुद्ध कर संग्रह 22 फीसदी बढ़ा है। इससे बीते वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में जीडीपी वृद्धि में इजाफा हुआ।’
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा आज जारी जीडीपी के अंतरिम आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2024 में भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार 295.4 लाख करोड़ रुपये है, जो नॉमिनल आधार पर 9.6 फीसदी बढ़ा है जबकि इससे पिछले वित्त वर्ष में इसमें 14.2 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी। वित्त वर्ष 2024 के लिए राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने 7.6 फीसदी जीडीपी वृद्धि का अनुमान लगाया था, मगर इसमें 8.2 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई।
निश्चित तौर पर अद्यतन आंकड़ों के साथ अनंतिम अनुमान बेहतर रुझान प्रदान करते हैं। यह टिकाऊ भी होता है क्योंकि एनएसओ वित्त वर्ष 2024 के लिए अगला अनुमान 2025 में ही जारी करेगा।
क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री डीके जोशी ने कहा, ‘वास्तविक जीडीपी वृद्धि अभी भी करीब 7.5 फीसदी के आसपास है जहां वह वैश्विक महामारी के प्रभाव के बिना हो सकती थी। मगर घरेलू ताकत और नीतिगत फोकस ने अर्थव्यवस्था को दमदार वृद्धि की राह पर ला दिया है। इससे वैश्विक महामारी के कारण जीडीपी को हुए नुकसान की भरपाई हो रही है।’
जोशी का मानना है कि वित्त वर्ष 2025 में वृद्धि दर 6.8 फीसदी तक कम हो जाएगी। उच्च ब्याज दरें और कम राजकोषीय मजबूती से गैर-कृषि क्षेत्रों में मांग को प्रभावित होगी।
उन्होंने कहा, ‘सामान्य मॉनसून और अनुकूल आधार प्रभाव के कारण चालू वित्त वर्ष के दौरान कृषि क्षेत्र के प्रदर्शन में सुधार हो सकता है।’ चौथी तिमाही के दौरान कृषि में महज 0.6 फीसदी और वित्त वर्ष 2024 में 1.4 फीसदी की वृद्धि हुई और उसकी मुख्य वजह अल नीनो के कारण हुई असमान वर्षा रही।
चौथी तिमाही के दौरान उद्योग और सेवाओं यानी दोनों मोर्चों पर वृद्धि की रफ्तार सुस्त दिखी। तिमाही के दौरान विनिर्माण (8.9 फीसदी) और निर्माण (8.7 फीसदी) में नरमी दिखी, मगर विशेषज्ञों ने कहा कि सेवा क्षेत्र में पिछली तिमाही की 7.1 फीसदी से 6.7 फीसदी तक की गिरावट चिंताजनक है। जहां तक मांग का सवाल है तो निजी अंतिम उपभोग व्यय द्वारा दर्शाए गए निजी व्यय में वृद्धि मार्च तिमाही के दौरान 4 फीसदी की दर से जारी रही। सरकारी व्यय (सरकारी अंतिम उपभोग व्यय) में पिछली तिमाही के दौरान 3.2 फीसदी का संकुचन दिखा था।