मौजूदा बाजार हालात के बारे में आपका क्या नजरिया है?
इस ध्यान में रखते हुए मूल्यांकन उचित दायरे में हैं कि अगले एक साल के दौरान आय की रफ्तार अनुमानों के अनुरूप रहेगी। हालांकि वे कई अन्य अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले ऊंचे हैं और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) से नकारात्मक प्रवाह का यह भी एक कारण है। उनके द्वारा यह पूंजी पिछले साल कमजोर प्रदर्शन कर चुके बाजारों में लगाई जा रही है। इस बीच, घरेलू प्रवाह में मजबूती आई है, जिससे बाजार को मदद मिल रही है।
क्या FPI पूंजी फिर से बाजार में आनी शुरू होगी?
मध्यावधि से दीर्घावधि ( medium-to-long term) नजरिये से भारत अर्थव्यवस्था और इक्विटी बाजार, दोनों के नजरिये से मजबूत वृद्धि में सक्षम है। भले ही वैश्विक मोर्चे पर अनिश्चितताएं बरकरार हों, लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था तेज गति से बढ़ी है। दूसरी तरफ, चीन और ताइवान जैसे बाजारों को संभावित भू-राजनीतिक जोखिमों का सामना करना पड़ रहा है और इनका वैश्विक वृद्धि से गहरा संबंध है। इसलिए, यह भरोसा करना कठिन है कि लंबे समय के लिए इन अर्थव्यवस्थआों में पूंजी प्रवाह जाएगा। इन सभी कारकों को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि भारत निश्चित तौर पर मध्यावधि-दीर्घावधि में बेहतर पूंजी प्रवाह हासिल कर सकता है।
अल्पावधि में आपको बाजार प्रतिफल को लेकर क्या उम्मीदें हैं?
मौजूदा आय वृद्धि अनुमान मोटे तौर पर 18 प्रतिशत के आसपास है। निवेश करते समय और बिकवाली के समय मूल्यांकन समान स्तर पर बने रहने के अनुमान के साथ प्रतिफल आय वृद्धि के अनुरूप रहेगा। लेकिन मूल्यांकन में बदलाव आ रहा है और इसलिए प्रतिफल का अंदाजा लगाना कठिन है। यदि बिकवाली के समय ज्यादा उतार-चढ़ाव दिखता है तो आपको आय वृद्धि की तुलना में बेहतर प्रतिफल मिलेगा और अगर बिकवाली के समय बाजार धारणा मंदी की रही तो आपको आय वृद्धि के मुकाबले काफी कम प्रतिफल मिलेगा।
क्षेत्रों के संबंध में आपके पोर्टफोलियो की स्थिति कैसी है?
पिछले 10-15 महीनों से हमारा ध्यान घरेलू व्यवसाय पर रहा है। हम ऐसे क्षेत्रों पर ध्यान दे रहे हैं जिनका वैश्विक अर्थव्यवस्था से कम संबंध है। इनमें बैंकिंग, वाहन, सीमेंट, रसायन और उद्योग मुख्य रूप से शामिल हैं और ये अन्य क्षेत्रों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं। इनके मूल्यांकन भी सहज दायरे में हैं।
वित्त में, आप कौन से उप-क्षेत्रों को पसंद कर रहे हैं?
हम उन व्यवसायों को पसंद कर रहे हैं जो उधारी, खासकर बैंकों से जुड़े हुए हैं। ऋण वृद्धि में तेजी आ रही है और परिसंपत्ति गुणवत्ता को लेकर कोई बड़ी चिंता नहीं है। चिंता जमाओं को लेकर है कि क्या ऋणदाता ऋणों के अनुरूप पर्याप्त जमाएं हासिल करने में सक्षम रहेंगे और अपने सीएएसए स्तरों को बरकरार रखेंगे।
तीसरी तिमाही के नतीजों पर आपका क्या नजरिया है?
वित्त वर्ष 2023 की तीसरी तिमाही का कॉरपोरेट आय सीजन हाल में समाप्त हुआ है। यह सुस्त सीजन था, हालांकि फिर भी निफ्टी के लिए 12 प्रतिशत वृद्धि के अनुरूप रहा। Nifty-50 कंपनियों से अलग संदर्भ में देखें तो पता चलता है कि प्रमुख सूचकांक ने मिडकैप और स्मॉलकैप कंपनियों से अनुमानित निराशा के मुकाबले कमजोर मुनाफा दर्ज किया। यदि आप क्षेत्रवार नजरिये से देखें तो वाहन और बैंकों ने अनुमान के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन किया है, जबकि धातु, तेल एवं गैस का प्रदर्शन कमजोर रहा है।