फिच रेटिंग्स ने वृद्धि दर एवं बाह्य मोर्चे पर मजबूत वित्तीय स्थिति के साथ भारत की साख को स्थिर परिदृश्य के साथ ‘बीबीबी-’ पर बरकरार रखा है। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि प्रस्तावित वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) सुधार स्वीकार किए जाने की स्थिति में खपत को मदद मिलेगी और शुल्क की अनिश्चितता से बढ़ने वाले कुछ जोखिमों का असर कम पड़ेगा।
फिच रेटिंग्स ने बताया कि भारत की राजकोषीय मानकों में ऋण संबंधी कमजोरी के साथ समतुल्य ‘बीबीबी’ रेटिंग वाली अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में उच्च घाटा, ऋण और ऋण सेवा उच्च है। एजेंसी ने कहा, ‘शासन के संकेतकों और प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद सहित ढांचागत मानकों में पिछड़ने से भी रेटिंग पर असर पड़ता है।’
अमेरिका के शुल्क लगाए जाने का भारत की जीडीपी पर मामूली प्रत्यक्ष असर पड़ेगा। इसका कारण यह है कि जीडीपी में दो प्रतिशत अमेरिका को होने वाले निर्यात की हिस्सेदारी है। फिच रेटिंग्स ने कहा कि शुल्क की अनिश्चितता कारोबारी रुझान और निवेश को सुस्त करेगा। फिट रेटिंग्स ने कहा, ‘अन्य महत्त्वपूर्ण सुधारों में विशेष तौर पर भूमि और श्रम सुधार राजनीतिक रूप से कठिन प्रतीत होते हैं। हालांकि कुछ राज्य सरकारें ऐसे सुधारों को बढ़ा सकती हैं। भारत ने कई द्विपक्षीय व्यापार समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं लेकिन व्यापार बाधाएं तुलनात्मक रूप से अधिक हैं।’ फिच रेटिंग्स ने भारत की मध्यम अवधि की वृद्धि की संभावनाओं को 6.4 प्रतिशत होने का अनुमान जताया है।
इस एजेंसी ने नॉमिनल वृद्धि गिरने के कारण वित्त वर्ष 2026 में ऋण थोड़ा बढ़कर 81.5 प्रतिशत होने का अनुमान जताया है जबकि वित्त वर्ष 2030 में कुछ सुस्त होकर 78.5 प्रतिशत होने का अनुमान है। इसने कहा, ‘यदि नॉमिनल वृद्धि 10 प्रतिशत से कम रहती है तो ऋण को कम करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।’ फिच रेटिंग्स को मौद्रिक सुस्ती होने से ऋण वृद्धि की उम्मीद है। उसने कहा कि कम महंगाई होने से 2025 में 25 आधार अंक कटौती का एक और अवसर मुहैया करवाएगा।
एसऐंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने 14 अगस्त को भारत की साख को स्थिर परिदृश्य के साथ ‘बीबीबी-’ से बढ़ाकर ‘बीबीबी’ कर दिया था। एसएंडपी ने 18 वर्ष में पहली बार भारत की साख को बढ़ाया है। इस रेटिंग एजेंसी ने आर्थिक मजबूती, सतत राजकोषीय समायोजन और सार्वजनिक व्यय की बेहतर गुणवत्ता के कारण भारत की रेटिंग में सुधार किया है।
फिच रेटिंग्स ने वित्त वर्ष 2026 में सकल घरेल उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर के 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। इस दौरान भारत में घरेलू मांग मजबूत बनी रहेगी और इसे जारी सार्वजनिक पूंजीगत व्यय अभियान और स्थिर निजी खपत का सहारा मिलेगा। इसने यह भी कहा कि विशेषतौर पर अमेरिकी शुल्क के जोखिम के मद्देनजर निजी निवेश सुस्त रहने की संभावना है। इस रेटिंग एजेंसी ने कहा कि नॉमिनल जीडीपी वृद्धि में गिरावट होने से राजस्व का प्रदर्शन कमतर रहा है। इसके बावजूद भारत के राजकोषीय घाटे का लक्ष्य वित्त वर्ष 26 में 4.4 प्रतिशत के दायरे में रहेगा।
फिच रेटिंग्स ने कहा, ‘हमें लगता है कि खर्च का प्रबंधन दायरे में रहेगा।’ एजेंसी को उम्मीद है कि वित्त वर्ष 26 के बाद घाटे में कमी धीमी हो जाएगी और वित्त वर्ष 27 में जीडीपी के 4.2 प्रतिशत और वित्त वर्ष 28 में 4.1 प्रतिशत के दायरे में रहेगी। फिच रेंटिग्स ने नॉमिनल जीडीपी का विस्तार वित्त वर्ष 26 के 9 प्रतिशत में होने का अनुमान जताया है जबकि यह वित्त वर्ष 25 में 9.8 प्रतिशत व वित्त वर्ष 24 में 12.0 प्रतिशत था।