अप्रैल 2024 से फरवरी 2025 के बीच शुद्ध प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) तेजी से घटकर 1.5 अरब डॉलर रह गया है, जो पिछले साल की समान अवधि में 11.5 अरब डॉलर था। उच्च प्रत्यावर्तन और भारत से विदेश में धन लगाए जाने के कारण ऐसा हुआ है। बहरहाल सकल एफडीआई आवक में वृद्धि बनी हुई है। अप्रैल 2024 से फरवरी 2025 के दौरान भारत में कुल एफडीआई आवक सालाना आधार पर 15.2 प्रतिशत बढ़कर 75.1 अरब डॉलर हो गई है, जो पिछले साल की समान अवधि में 65.2 अरब डॉलर थी।
रिजर्व बैंक के बुलेटिन के मुताबिक सिंगापुर से सबसे ज्यादा धन आया है, जिसकी कुल एफडीआई आवक में हिस्सेदारी 29.8 प्रतिशत है। उसके बाद मॉरीशस और अमेरिका का स्थान है। सबसे ज्यादा विदेशी धन विनिर्माण क्षेत्र (24.1 प्रतिशत) आया है। उसके बाद वित्तीय सेवाओं और बिजली का स्थान है। भारत में सीधे निवेश करने वालों का प्रत्यावर्तन/विनिवेश भी बढ़ा है और यह वित्त वर्ष 2024-25 के 11 महीनों के दौरान बढ़कर 48.9 अरब डॉलर हो गया है, जो अप्रैल 2023 से फरवरी 2024 के बीच 40.7 अरब डॉलर था।
भारतीय फर्मों द्वारा विदेश में निवेश तेजी से बढ़कर अप्रैल 2024 से फरवरी 2025 के दौरान 24.8 अरब डॉलर हो गया है, जो एक साल पहले 13 अरब डॉलर था। वैश्विक रूप से देखें तो एफडीआई की आवक में अमेरिका सबसे पसंदीदा गंतव्य बना हुआ है।