महामारी की वजह से आर्थिक नरमी के बीच राजकोषीय दबाव का सामना कर रही केंद्र सरकार के लिए उत्पाद शुल्क संग्रह के आंकड़े राहत लेकर आए हैं। चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में उत्पाद शुल्क पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 34 फीसदी बढ़ा है। सरकार के राजस्व का यह एकमात्र स्रोत है जिसमें पहली छमाही के दौरान इजाफा हुआ है। अप्रैल से सितंबर की अवधि में उत्पाद शुल्क संग्रह 1.28 लाख करोड़ रुपये रहा जो तीन साल में सर्वाधिक है। यही नहीं, तीन साल की गिरावट के बाद इसमें वृद्घि हुई है।
पेट्रेाल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में बढ़ोतरी के साथ ही मई में उपकर तथा विशेष अतिरिक्त शुल्क लगाने का भी फायदा मिला है। अनुमान के मुताबिक इससे चालू वित्त वर्ष में सरकार को करीब 1 से 1.5 लाख करोड़ रुपये का राजस्व मिल सकता है और इसे राज्यों के साथ साझा भी नहीं करना होगा। पेट्रेाल-डीजल से उत्पाद शुल्क संग्रह ऐसे समय में बढ़ा है जब लॉकडाउन तॢा आर्थिक गतिविधियों के ठप होने से पहली छमाही में पेट्रोल की खपत 21 फीसदी और डीजल की खपत 25 फीसदी की कम रही है। 2019-20 की पहली छमाही में उत्पाद शुल्क संग्रह में 5 फीसदी और 2018-19 में 23 फीसदी की कमी आई थी। 2017-18 में भी उत्पादन शुल्क संग्रह करीब 15 फीसदी घटा था।
हालांकि पहली छमाही में केंद्र का कुल राजस्व संग्रह 21.6 फीसदी घटा है। आंकड़ों के हिसाब से सकल राजस्व 7.2 लाख करोड़ रुपये रहा जो तीन साल में सबसे कम है। इसमें वस्तु एवं सेवा की, आयकर, निगमित कर, सीमा एवं उत्पाद शुल्क शामिल हैं।
इक्रा रेटिंग्स की प्रधान अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘पेट्रोल एवं डीजल पर शुल्क बढ़ाए जाने से केंद्र को बजट अनुमान से 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक का उत्पाद शुल्क मिल सकता है।’
नायर ने कहा, ‘हमारे अनुमान के मुताबिक केंद्र का राजकोषीय घाटा चालू वित्त वर्ष में 14 लाख करोड़ रुपये (सकल घरेलू उत्पाद का 7.4 फीसदी) हो सकता है जबकि बजट में इसके 8 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया गया है। पिछले वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा 9.4 लाख करोड़ रुपये रहा था।’
पहली छमाही में उत्पाद शुल्क संग्रह वित्त वर्ष 2021 के लिए बजट में तय लक्ष्य का 49 फीसदी रहा। पेट्रोल और डीजल पर कर बढ़ाने के साथ ही केंद्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर प्रति लीटर 8-8 रुपये का सड़क एवं बुनियादी ढांचा उपकर लगाया था। इसके साथ ही पेट्रोल पर प्रति लीटर 2 रुपये और डीजल पर प्रति लीटर 5 रुपये का विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क लगाया गया था। इस बढ़ोतरी से प्राप्त पूरा राजस्व केंद्र के खजाने में जाएगा और राज्य को इसमें हिस्सा नहीं मिलेगा। पेट्रोल पर अभी 32.90 रुपये प्रति लीटर और डीलर पर 23.83 रुपये प्रति लीटर उत्पाद शुल्क लगता है। केंद्र सरकार ने मार्च में वित्त अधिनियम में एक प्रावधान किया था जिससे पेट्रोल और डीजल पर भविष्य में उत्पाद शुल्क 8 रुपये प्रति लीटर तक बढ़ाया जाएगा। इससे पेट्रोल पर शुल्क की सीमा प्रति लीटर बढ़कर 18 रुपये और डीजल पर 12 रुपये प्रति लीटर हो गई। शुल्क प्रति लीटर के हिसाब से लगाया जाता है, ऐसे में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों पर इसका कोई असर नहीं होता है। पहली छमाही में सीमा शुल्क संग्रह पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 44 फीसदी घटा है, वहीं जीएसटी संग्रह भी इस दौरान 34 फीसदी कम रहा। प्रत्यक्ष कर संग्रह में 31 फीसदी और निगमित कर संग्रह में 40 फीसदी की कमी आई है। आय कर संग्रह भी पहली छमाही में 22 फीसदी कम रहा। ऐसे में उत्पाद शुल्क संग्रह में वृद्घि से सरकार को थोड़ी राहत जरूरत मिली है। (साथ में शाइन जैकब)
