कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के केंद्रीय न्यासी बोर्ड (सीबीटी) की आगामी बैठक के दौरान बढ़ी पेंशन का मसला शीर्ष प्राथमिकता पर रहने की संभावना है। सामाजिक सुरक्षा से जुड़े इस संगठन ने सीबीटी की 234वीं बैठक के आयोजन को लेकर बोर्ड के सभी सदस्यों को पत्र भेजा है और उन्हें बैठक में उपस्थित रहने को कहा है।
यह बैठक अगले मंगलवार को होनी है। मामले की जानकारी रखने वाले लोगों ने कहा कि एक्सचेंज ट्रेडेड फंडों में संगठन के निवेश से हुई आमदनी को फिर से निवेश किए जाने को लेकर भी चर्चा होने की उम्मीद है।
इस बैठक का पूरा एजेंडा साफ नहीं है, लेकिन मामले से जुड़े सूत्रों का कहना है कि ज्यादा पेंशन का मसला आगामी बैठक में शामिल किया जा सकता है, जो लंबे समय से खिंच रहा है।
केंद्रीय बोर्ड में उद्योग का प्रतनिधित्व कर रहे सीआईआई से जुड़े सौगात रॉय चौधरी ने कहा, ‘ज्यादा पेंशन देने को लेकर उच्चचम न्यायालय के आदेश को लेकर बहुत देरी हो चुकी है और इसे टाला जाता रहा है और यह मामला अभी भी चल रहा है। आगामी बैठक में ट्रस्ट का जोर इसे सुचारु रूप से लागू करने के लिए एक रणनीति और स्पष्ट मार्गदर्शन खाका तैयार करने पर जोर होगा। तमाम पेंशनभोगियों को अभी भी पेंशन पोर्टल तक पहुंचने को लेकर परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।’
कर्मचारियों के एक प्रतिनिधि ने नाम न सार्वजनिक किए जान की शर्त पर कहा, ‘योजना की सटीक गणित अभी तक साफ नहीं है। ज्यादा पेंशन की गणना का तरीका अभी तक स्पष्ट नहीं हो सका है। कुल मिलाकर अब तक कोई स्पष्टता नहीं है कि पूरी योजना का वित्तपोषण किस तरह से होने जा रहा है। हम सरकार से मांग करेंगे कि वह बेहतर समाधान लेकर आए और पूरी प्रक्रिया में तेजी लाई जाए।’इसके अलावा ईटीएफ में किए गए निवेश से संगठन को हुई आमदनी को नए सिरे से निवेश करने को लेकर भी इस बैठक में चर्चा होगी क्योंकि सेवानिवृत्ति कोष का निकाय अपनी आमदनी के स्रोत बढ़ाने पर विचार कर रहा है।
एक सदस्य ने कहा, ‘इसके पहले हुई पिछली बैठक में (बोर्ड की) ईटीएफ में निवेशों से मिली आमदनी के फिर से निवेश पर चर्चा हुई थी। यह मसला वित्त मंत्रालय के पास लंबित है, वहीं हम इस मसले पर चर्चा कर सकते हैं।’
बोर्ड में कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले सीटू के सदस्य एके पद्मनाभन ने कहा कि सालाना रिपोर्ट प्रस्तुत करने जैसे अन्य प्रशासनिक कार्यों के अलावा ईपीएफओ के भौतिक और डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर को विस्तार देने की संभावित योजना पर भी चर्चा होगी, जिसमें नए क्षेत्रीय कार्यालय खोलना और डिजिटल ढांचे को मजबूत करना शामिल है, क्योंकि मौजूदा बुनियादी ढांचे की क्षमता कम हो गई है और इसकी वजह से समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
न्यासियों की पिछली बैठक इस साल की शुरुआत में 26-27 मार्च को हुई थी, जिसमें वित्त वर्ष 23 के लिए 8.15 प्रतिशत ब्याज दर तय की गई थी, जो पिछले 4 दशक में तय की गई दूसरी सबसे कम ब्याज दर थी।