इस वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा बजट अनुमान (बीई) के स्तर पर रह सकता है। बजट अनुमान में राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद के 6.8 प्रतिशत पर रहने का अनुमान लगाया गया था। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कर संग्रह तेजी से बढ़ा है, लेकिन संभवत: यह घाटे का अंतर पाटने में सक्षम नहीं होगा।
बजट में राजकोषीय घाटा 15.07 लाख करोड़ रहने का अनुमान लगाया गया था। अधिकारी ने कहा कि इस लक्ष्य में कोई बदलाव की संभावना नहीं है क्योंकि केंद्र सरकार सब्सिडी पर व्यय खासकर खाद्य व उर्वरक सब्सिडी बढ़ा सकती है।
इस बढ़ोतरी की संभावना प्राथमिक रूप से इसलिए नजर आ रही है क्योंकि मुफ्त खाद्यान्न वितरण की अवधि नवंबर तक के लिए बढ़ा दी गई है। साथ ही उर्वरक के कच्चे व तैयार माल के अंतरराष्ट्रीय दाम में तेजी आई है, जिसकी वजह से वित्त वर्ष 22 में अब तक बजट अनुमान से ऊपर दो बार सब्सिडी समर्थन बढ़ाना पड़ा है।
बहरहाल अर्थशास्त्रियों का मानना है कि शुरुआत में राजकोषीय घाटे का जो लक्ष्य रखा गया था, उसकी तुलना में घाटा कम से कम आधे प्रतिशत कम रहेगा।
भारतीय स्टेट बैंक के समूह मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्यकांति घोष ने कहा, ‘केंद्र का राजकोषीय घाटा, जिसमें अप्रैल-अगस्त के दौरान कमी देखी गई है, उम्मीद है कि बजट में रखे गए लक्ष्य से कम रहेगा और यह जीडीपी के 6.2 से 6.3 प्रतिशत के बराबर रह सकता है। सरकार द्वारा बजट का लक्ष्य पूरा कर लिए जाने की संभावना और पेट्रोलियम पर बजट अनुमान से ज्यादा उत्पाद कर संग्रह की वजह से ऐसा संभव है।’
उन्होंने कहा, ‘केंद्र सरकार का सकल कर राजस्व (रिफंड के पहले) वित्त वर्ष 22 की पहली दो तिमाही में कोविड के पहले के स्तर को पार कर गया है और दूसरी छमाही में यह गति बरकरार रहने की संभावना है। हम उम्मीद करते हैं कि सरकार का सकल कर राजस्व वित्त वर्ष 22 के बजट अनुमान की तुलना में कम से कम 2.5 लाख करोड़ रुपये ज्यादा होगा।’
इत्का में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि वित्त वर्ष 22 में राजकोषीय घाटा 13.8 से 14.8 लाख करोड़ रुपये रहने की संभावना है। विनिवेश से यह तय होगा कि इसमें कितनी कमी आएगी।
वित्त वर्ष 22 के पहले 5 महीनों के दौरान केंद्र का राजकोषीय घाटा बजट अनुमान के अनुपात में गिरकर 18 साल के निचले स्तर पर पहुंच गया है। वित्त वर्ष 22 में बजट अनुमान में अनुमानित खाद्य सब्सिडी 2.43 लाख करोड़ रुपये थी, जो वित्त वर्ष 21 के संशोधित अनुमान की तुलना में 42.54 प्रतिशत कम था।
बहरहाल केंद्र सरकार ने नए सिरे से मुफ्त खाद्यान्न वितरण कार्यक्रम प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) पेश कर दिया, जो शुरुआत में मई जून के लिए था, लेकिन बाद में इसे बढ़ाकर नवंबर तक के लिए कर दिया गया। इसकी वजह से 67,266.44 करोड़ रुपये अतिरिक्त व्यय हुआ है। इसके साथ मई और जून में 26,602 करोड़ रुपये योजना पर अतिरिक्त खर्च हुए हैं। इसका मतलब इस वित्त वर्ष में मुफ्त खाद्यान्न पर 93,868 करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च होगा।
इसी तरह से वित्त वर्ष 22 के बजट अनुमान में उर्वरक सब्सिडी 79,529 करोड़ रुपये रखी गई ती, जो वित्त वर्ष 21 के संशोधित अनुमान से 40.6 प्रतिशत कम था, क्योंकि खाद्यान्न की ही तरह पहले के वित्त वर्ष में अतिरिक्त प्रावधान किया गया था, जिससे कि बकाया और आगे बढ़ाई गई सब्सिडी की राशि को निपटाया जा सके।
बहरहाल अब तक इस साल केंद्र सरकार ने जून में डाई-अमोनिया फॉस्फेट (डीएपी) पर 14,755 करोड़ रुपये सब्सिडी दी है, क्योंकि इसके कच्च्चे माल की कीमतें बढ़ गईं और आपूर्ति कम होने की वजह से तैयार माल के दाम वैश्विक बाजार में बढ़ गए।
इसके अलावा अक्टूबर की शुरुआत में केंद्र सरकार ने गैर यूरिया उर्वरकों पर सब्सिडी बढ़ाई क्योंकि कीमतें ज्यादा बनी हुई थीं। साथ ही मार्च, 2022 तक अन्य उर्वरकों के लिए भी सब्सिडी बढ़ा दी गई। इक्रा का अनुमान है कि उर्वरक सब्सिडी के लिए 1.22 लाख करोड़ रुपये की जरूरत है, जो वित्त वर्ष 22 के बजट अनुमान की तुलना में करीब 42,000 करोड़ रुपये अधिक होगी। कुछ सूत्रों का कहना है कि करीब 1.12 लाख करोड़ रुपये पिछले 6 महने में विभिन्न घोषणाओं के तहत दिए गए हैं।
बहरहाल करों से राजस्व में वित्त वर्ष की पहली छमाही में तेज बढ़ोतरी हुई है। सरकार के आंकड़ों के मुताबिक रिफंड के समायोजन के पहले प्रत्यक्ष कर का संग्रह 47 प्रतिशत बढ़कर वित्त वर्ष 22 के सितंबर तक 6.46 लाख करोड़ रुपये हो गया है, जो पिछले साल की समान अवधि में 4.39 लाख करोड़ रुपये था।