साल भर पहले जब कोविड-19 की पहली लहर आई थी तो देश के महानगरों और छोटे शहरों का जीवन उसने अस्तव्यस्त कर दिया था। मगर ग्रामीण भारत काफी हद तक इसके असर से बचा रहा, जिससे उपभोक्ता वस्तु बनाने और बेचने वाली कंपनियों को बड़ा सहारा मिला था। लेकिन इस महामारी की दूसरी लहर ने गांवों में भी सेंध लगा ली है, जिससे कारोबारी जगत चिंतित है।
ग्रामीण इलाकों में महामारी पहुंचने से वहां भी खर्च और बचत का नजरिया बदल गया है। गांवों के उपभोक्ता बेजा खर्च करने से बच रहे हैं और स्वास्थ्य संबंधी आपात स्थिति के लिए पैसा बचा रहे हैं। कोविड महामारी का प्रसार रोकने के लिए स्थानीय स्तर पर लगाए गए लॉकडाउन और प्रतिबंधों का असर दिखने भी लगा है क्योंकि ट्रैक्टर, दोपहिया और उपभोक्ता उपकरणों की बिक्री घट रही है।
उपभोक्ता वस्तुओं की प्रमुख कंपनियों को ग्रामीण बिक्री में कमी की फिक्र सताने लगी है। हिंदुस्तान यूनिलीवर के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक संजीव मेहता ने कहा, ‘संक्रमण तेजी से फैल रहा है, ऐसे में ग्रामीण बिक्री प्रभावित होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। इससे ग्रामीण इलाकों में आर्थिक गतिविधियां भी प्रभावित होंगी।’ मेहता ने कहा कि पिछले साल ग्रामीण इलाकों में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण, महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना में ज्यादा आवंटन और खाद्य सब्सिडी बढ़ाने जैसे उपाय किए गए थे, जिन पर इस साल भी विचार करना पड़ सकता है।
ट्रैक्टरों की बिक्री को ग्रामीण अर्थव्यवस्था की सेहत का आईना माना जाता है और उनमें कमी आने की आशंका है। अभी तक तो उनकी बिक्री पर महामारी का असर नहीं पड़ा है मगर ट्रैक्टर विनिर्माताओं को डर है कि स्थितियां ऐसी ही बनी रहीं तो इस सीजन में ट्रैक्टरों की बिक्री ठप पड़ सकती है। क्रिसिल रिसर्च में निदेशक हेतल गांधी ने खपत मांग पर महामारी के प्रतिकूल प्रभाव की चेतावनी दी है। उन्होंने कहा, ‘मई में ग्रामीण इलाकों में कोविड-19 का ज्यादा प्रभाव दिख सकता है।’
ट्रैक्टर बनाने वाली प्रमुख कंपनी महिंद्रा ऐंड महिंद्रा ने औद्योगिक उपयोग के लिए ऑक्सीजन की किल्लत और उत्पादन प्रभावित होने की आशंका से अपने एक-तिहाई शोरूम बंद कर दिए हैं। कंपनी के कृषि उपकरण क्षेत्र के अध्यक्ष हेमंत सिक्का ने कहा, ‘स्थानीय लॉकडाउन से आपूर्ति शृंखला प्रभावित हुई है और कई जिलों में शोरूम बंद हैं। इस बार ग्रामीण क्षेत्रों पर भी महामारी का बहुत असर हुआ है।’
सोनालिका समूह के कार्यकारी निदेशक रमन मित्तल ने कहा, ‘दुर्भाग्यवश दूसरी लहर देश के अंदरूनी इलाकों में भी पहुंच चुकी है और काफी डरावनी है। स्थिति बड़ी विकट है और कुछ भी अनुमान लगाना कठिन है।’
पिछले साल देश भर में लॉकडाउन होने के कारण बिक्री बहुत कम रही थी, इसलिए उसके मुकाबले इस साल अप्रैल में लगभग सभी ट्रैक्टर कंपनियों की बिक्री बढ़ी। मगर कोविड के बाद सही मायने में बिक्री पर असर पड़ा है। इस बार रबी की फसल अच्छी हुई है, खरीद भी चल रही है और मॉनसून के भी सामान्य रहने के आसार हैं। ऐसे में अगर दो से तीन हफ्तों में कोविड संक्रमण थम जाता है तो अच्छा होगा। मगर ऐसा नहीं हुआ तो स्थिति चिंताजनक हो सकती है।
संक्रमण के असर को इससे समझा जा सकता है कि इस साल अप्रैल में मोटरसाइकलों की बिक्री अप्रैल, 2019 की तुलना में 40 फीसदी घटी है और ट्रैक्टरों की बिक्री में 16 से 17 फीसदी का इजाफा हुआ है। हीरो मोटोकॉर्प ने उम्मीद जताई कि सितंबर तिमाही से स्थितियां सामान्य हो जाएंगी। कंपनी के मुख्य वित्त अधिकारी निरंजन गुप्ता ने कहा, ‘हम उम्मीद करते हैं कि दूसरी तिमाही से स्थिति सामान्य होने लगेगी और टीकाकरण बढऩे से संक्रमण के मामले भी घटने लगेंगे।’ उन्होंने कहा कि बेहतर मॉनसून और उपज अच्छी होने से ग्रामीण बाजारों में बिक्री अच्छी रहेगी। उन्होंने कहा कि कंपनी ने वित्त वर्ष 2022 में 1,000 करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय की अपनी योजना में कोई बदलाव नहीं किया है।
आमतौर पर एफएमसीजी क्षेत्र पर देर से असर होता है लेकिन कंज्यूमर ड्यूरेबल्स की बिक्री में इस साल गर्मियों में खासी कमी आई है। गोदरेज अप्लायंसेज में कार्यकारी उपाध्यक्ष और कारोबार प्रमुख कमल नंदी ने कहा, ‘दूसरी लहर बहुत अधिक फैल गई है। इसके कारण छोटे शहरों में भी मांग पर असर पड़ा है।’
कंज्यूमर ड्यूरेबल्स कंपनियों की करीब 70 फीसदी बिक्री शहरी बाजारों से आती है और शेष ग्रामीण बाजारों से। दूसरी लहर ने बड़े शहरों को बहुत प्रभावित किया है और महाराष्ट्र, पंजाब, केरल, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में कस्बों और गांवों में अधिक सख्त उपाय भी बाजारों को राहत नहीं दे पा रहे हैं। अप्रैल में उपकरणों की बिक्री में करीब 40 फीसदी की गिरावट आई है। मई में भी चुनौतियां कम होती नहीं दिख रही हैं।
