अन्य एशियाई मुद्राओं की गिरावट के बीच रुपये में 3 दिन से जारी बढ़त का सिलसिला टूट गया। स्थानीय मुद्रा गिरकर डॉलर के मुकाबले आज 83.62 रुपये के निचले स्तर पर पहुंच गई। डीलरों का कहना है कि माह के आखिर में यह गिरावट तेज आयातकों की मांग के कारण आई है।
बुधवार को कारोबार के अंत में रुपया 83.57 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ, जो मंगलवार को 83.42 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ था। एलकेपी सिक्योरिटीज में वीपी रिसर्च एनॉलिस्ट (कमोडिटी ऐंड करेंसी) जतिन त्रिवेदी ने कहा, ‘कच्चे तेल की कीमत में उल्लेखनीय तेजी के कारण रुपया गिरा है।
जून महीने में इसकी कीमत 12 फीसदी से अधिक बढ़ी है। साथ ही मिले-जुले आर्थिक आंकड़ों को देखते हुए दर में कटौती रोके रखने के फेडरल रिजर्व की टिप्पणी के कारण डॉलर सूचकांक बढ़ रहा है। डॉलर के मुकाबले रुपये का कारोबार 83.45 से 83.65 के बीच होने की संभावना है।’
बाजार के हिस्सेदारों ने कहा कि कुछ नुकसान के बाद कारोबार के आखिर में रुपये ने वापसी की। चालू साल में 20 जून को डॉलर के मुकाबले रुपया 83.64 रुपये प्रति डॉलर के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया था। फेडरल रिजर्व के अधिकारियों की तेजी को लेकर टिप्पणी के कारण अमेरिकी डॉलर का सूचकांक 105.85 पर पहुंच गया, जबकि ग्राहकों के भरोसे में आई कमी के कारण यूरो संघर्ष करता नजर आ रहा है।
फेडरल रिजर्व के गवर्नर मिशेल बोमन ने संकेत दिया कि फेड बढ़ी महंगाई से निपटने के लिए कुछ समय के लिए ब्याज दरें स्थिर रखेगा और 2024 में कोई कटौती की उम्मीद नहीं है। दरअसर बोमन ने कहा कि अगर जरूरी हुआ तो दरें बढ़ाई जा सकती हैं।
फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स एलएलपी के ट्रेजरी के प्रमुख और कार्यकारी निदेशक अनिल कुमार भंसाली ने कहा, ‘डॉलर इंडेक्स बढ़ने और चीन के युवान में गिरावट के बीच रुपया कमजोर हुआ और यह 83.57 पर बंद हुआ क्योंकि कल तक जो ट्रेडर डॉलर बेच रहे थे, उनहोंने शॉर्ट कवरिंग की और फिर से डॉलर खरीदे। तेल कंपनियों ने भी माह के आखिर की डॉलर की खरीदारी की।’