भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति ने लगातार दूसरी बैठक में आज सर्वसम्मति से नीतिगत रीपो दर को 5.5 फीसदी पर अपरिवर्तित रखने और रुख तटस्थ रखने का निर्णय लिया। हालांकि दो बाहरी सदस्यों ने रुख को उदार बनाने की वकालत की। समिति ने रुख पर मतदान की परिपाटी बंद कर दी है क्योंकि यह कानून द्वारा अनिवार्य नहीं है।
केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए मुद्रास्फीति अनुमान मौजूदा 3.1 फीसदी से घटाकर 2.6 फीसदी कर दिया है और अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही के लिए इसे 4.9 फीसदी से कम करके 4.5 फीसदी कर दिया है। आरबीआई ने पूरे वित्त वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि का अनुमान बढ़ाकर 6.8 फीसदी कर दिया गया है मगर दूसरी छमाही के लिए अनुमान 15 आधार अंक घटाकर 6.3 फीसदी कर दिया गया है।
आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा, ‘मौजूदा वैश्विक अनिश्चितताओं और शुल्क संबंधी घटनाक्रम के कारण वित्त वर्ष 2026 की दूसरी छमाही और उसके बाद अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर में गिरावट आने की आशंका है। वर्तमान वृहद आर्थिक परिस्थितियों ने वृद्धि को और अधिक समर्थन देने के लिए नीतिगत गुंजाइश खोली है।’
गोल्डमैन सैक्स के अर्थशास्त्रियों ने एक रिपोर्ट में कहा है, ‘गवर्नर का नरम रुख और मुद्रास्फीति अनुमान घटाना, हमारे दृष्टिकोण के अनुरूप है और इससे दिसंबर में ब्याज दरों में 25 आधार अंक की और कटौती का रास्ता साफ हो जाएगा।’
बॉन्ड बाजार ने आरबीआई के नरम रुख का स्वागत किया और बेंचमार्क सरकारी बॉन्ड की यील्ड 6 आधार अंक घटकर 6.52 फीसदी पर आ गई। आरबीआई के कदम से सेंसेक्स 716 अंक उछल गया जबकि निफ्टी में 225 अंक की तेजी रही।
मल्होत्रा ने कहा कि वाणिज्यिक बैंकों की भारित औसत उधार दर फरवरी और अगस्त के बीच 58 आधार अंक घटी है जबकि इस दौरान रीपो दर में 100 आधार अंक की कटौती की गई। नई जमाओं पर भारित औसत घरेलू सावधि जमा दर में 106 आधार अंक की गिरावट आई है।
रिजर्व बैंक ने कहा कि 22 सितंबर से लागू वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में कटौती से मुद्रास्फीति में नरमी आएगी और उपभोग मांग तथा वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा।
भारतीय स्टेट बैंक के ग्रुप मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष ने कहा, ‘आरबीआई ने भविष्य में ब्याज दरों में कटौती के लिए दरवाजा खुला रखा है क्योंकि मुद्रास्फीति घटने और वृद्धि में कमी का अनुमान है।’