अर्थव्यवस्था

Corporate Tax: पहली तिमाही में कॉरपोरेट टैक्स 14% घटा

कॉरपोरेट कर में सालाना आधार पर गिरावट अप्रैल के बाद आई।

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इंदिवजल धस्माना   
Last Updated- August 01, 2023 | 10:49 PM IST

इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में कॉरपोरेट कर का संग्रह करीब 14 प्रतिशत गिरकर 1.38 लाख करोड़ रुपये हुआ जबकि बीते साल की इस आलोच्य अवधि में 1.61 लाख करोड़ रुपये का संग्रह हुआ था। वैसे इस साल बीते साल की तुलना में आर्थिक स्थितियां बेहतर होने की उम्मीद भी थी। साल 2022-23 की पहली तिमाही में सालाना आधार पर इस मद में राजस्व करीब 30 फीसदी बढ़ा था।

कॉरपोरेट कर में गिरावट कमोबेश उत्पाद शुल्क प्राप्तियों के अनुरूप थी लेकिन यह व्यक्तिगत आयकर (पीआईटी), वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) और सीमा शुल्क के राजस्व के विपरीत थी। विशेषज्ञों के मुताबिक कॉरपोरेट कर में गिरावट के लिए तेल व सूचना प्रौद्योगिकी की कंपनियों का मुनाफा कम होना जिम्मेदार है। ये कंपनियां ज्यादा कर अदा करती हैं। इन कंपनियों के जिंसों के दामों में गिरावट आई और घरेलू मांग भी कम होने से कर पर प्रतिकूल असर पड़ा।

कॉरपोरेट कर में सालाना आधार पर गिरावट अप्रैल के बाद आई। उदाहरण के तौर पर इस साल अप्रैल में कॉरपोरेट कर 32 प्रतिशत कम होकर 38,751 करोड़ रुपये हो गया था जबकि बीते साल की इस आलोच्य अवधि में यह 56,720 करोड़ रुपये था। हालांकि मई में इस गिरावट में कमी आई। यह इस साल मई में 17.36 फीसदी गिरकर 17,960 करोड़ रुपये हो गया था जबकि यह बीते साल मई में 21,805 करोड़ रुपये था।

लेखा महानियंत्रक के सोमवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक इसमें अगले महीने जून में बीते साल की तुलना में 0.39 फीसदी की गिरावट आई थी। यह इस साल जून में 81,972 करोड़ रुपये रहा था जबकि बीते साल के तीसरे महीने यानी जून में 82,297 करोड़ रुपये था। तीसरे महीने में अग्रिम कर संग्रह संग्रह के कारण यह गिरावट आई थी। वित्त मंत्रालय की पहले जारी आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 24 के 17 जून तक अग्रिम कॉरपोरेट कर 17.68 फीसदी बढ़कर 92,784 करोड़ रुपये हो गए थे जबकि बीते वित्त वर्ष में 16 जनवरी तक यह 78,842 करोड़ रुपये था। ज्यादातर अग्रिम करों का भुगतान जून में हुआ था।

बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में ज्यादा कर अदा करने वाले उद्योग जैसे तेल और आईटी की लाभ में कमी आना था। उन्होंने कहा, ‘यह कारण हो सकता है’। उन्होंने बताया कि बीते साल जिन क्षेत्रों ने जिंसों के उच्च दामों का फायदा उठाया था, उनमें इस साल सुस्ती रहेगी।

उदाहरण के तौर पर तेल क्षेत्र की दिग्गज रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड वित्त वर्ष 24 की पहली तिमाही में शुद्ध एकीकृत लाभ करीब 11 फीसदी गिरा था। इसी तरह इस अवधि में आईटी की दिग्गज इन्फोसिस में रिकार्ड 11 फीसदी वृद्धि हुई थी जबकि विश्लेषक 14 -18 फीसदी वृद्धि का अनुमान लगा रहे थे। कॉरपोरेट कर के अलावा केंद्रीय उत्पाद शुल्क का संग्रह 15.38 प्रतिशत कम 51,813 करोड़ रुपये रहा था जबकि बीते साल की इस आलोच्य अवधि में 61,228 करोड़ रुपये रहा था। यह कच्चे तेल और अन्य ईंधन पर विंडफॉल कर में कमी के कारण हो सकता है।

सरकार ने जुलाई और अगस्त में विंडफॉल कर बढ़ा दिया था। इससे कच्चे पेट्रोलियम पर कर शून्य से बढ़कर 1,600 रुपये प्रति टन हो गया था। हालांकि अब सरकार ने (1 अगस्त, 2023 से) इसे बढ़ाकर 4,250 रुपये प्रति टन कर दिया था। यह डीजल पर भी एक रुपये प्रति लीटर कर दिया था जबकि यह पहले शून्य था। 2022-23 में के पहले तीन महीनों में केद्रीय उत्पाद शुल्क में करीब 10 फीसदी की गिरावट आई थी।

First Published : August 1, 2023 | 10:49 PM IST