अस्थायी एवं एक निश्चित समय के लिए अनुबंध पर काम करने वाले कर्मचारियों (गिग वर्कर) को भविष्य निधि एवं बीमा लाभ लेने के लिए अपने हिस्से से मामूली अंशदान करना पड़ सकता है। सरकार ने हाल में ही एक नया सामाजिक सुरक्षा ढांचा तैयार किया है, जो ऐसे कर्मचारियों के लिए लागू होगा। इसके अलावा सरकार सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 की रूपरेखा इस तरह तैयार करेगी जिससे राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा कोष में अंशदान करने के बाद भी इन कर्मचारियों पर आर्थिक बोझ न पड़े। सरकार ऐसे कर्मचारियों की सेवाएं लेने वाली कंपनियों से 1 अप्रैल, 2020 से कोष के मद में रकम लेगी।
इस बारे में श्रम एवं रोजगार सचिव अपूर्व चंद्रा ने बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत में कहा, ‘सामाजिक सुरक्षा लाभ पंजीयन आधारित होंगे। हम उम्मीद करते हैं कि कर्मचारी भी कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) या कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) के मद में मामूली अंशदान करेंगे। इससे कंपनी के अलावा कर्मचारी भी अपने स्तर पर थोड़ी-थोड़ी मात्रा में निवेश करते रहेंगे।’
चंद्रा ने कहा कि बीमा लाभ लेने के लिए सरकार कामगारों के लिए न्यूनतम अवधि तक योजना के साथ जुड़े रहने के प्रावधान का निर्धारण करेगी। ईएसआई योजना में कुछ खास योजनाओं का लाभ उठाने के लिए एक निश्चित अवधि तक अंशदान करना पड़ता है। चंद्रा ने कहा, ‘उदाहरण के लिए बीमारी नकद भत्ते का लाभ लेने के लिए पिछले छह महीने में कम से कम 78 दिनों का अंशदान होना चाहिए। हालांकि इस मामाले में यह अवधि कम रह सकती है और महीना आधारित रोजगार की तरह नहीं होगी।’
केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने शुक्रवार को अस्थायी एवं अनुबंध पर कर्मचारी रखने वाली ओला, उबर, अर्बन कंपनी स्विगी सहित दूसरी बड़ी कंपनियों के साथ एक बैठक आयोजित की थी। इस बैठक में सामाजिक सुरक्षा, 2020 पर नई संहिता के प्रावधानों पर चर्चा हुई थी। सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 हाल में ही संसद में पारित हुई है।
इन कंपनियों ने सरकार को बताया कि सामाजिक सुरक्षा ढांचा शुरू होने के पहले साल 10 लाख से अधिक कर्मचारी इस नई पहल का हिस्सा बन सकते हैं। चंद्रा ने कहा, ‘कंपनियां नई संहिता को लेकर खासी उत्साहित थीं और कर्मचारियों के लिए सामाजिक सुरक्षा कोष में अंशदान करने संबंधित प्रावधानों को लेकर उन्हें कोई आपत्ति नहीं थी।’ इस समय अस्थायी या स्वतंत्र रूप से काम करने वाले कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा लाभ नहीं मिलते हैं क्योंकि वे देश के श्रम कानून के तहत नहीं आते हैं।
पहली बार कैब, खाद्य एवं किराना आपूर्ति, परिवहन, ई-मार्केट प्लेस आदि सेवाएं देने वाली कंपनियों को ऐसे कर्मचारियों की सामाजिक सुरक्षा के मद में अंशदान के लिए कहा जाएगा। यह रकम इन कंपनियों की सालाना कमाई का 1 से 2 प्रतिशत हिस्सा होगी। हालांकि इस कानून के अनुसार यह अंशदान ऐसे कर्मचारियों को मिलने वाले वेतन का 5 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय और कंपनियों के बीच हुई बैठक की जानकारी रखने वाले उद्योग जगत के एक अधिकारी ने कहा, ‘कुछ कंपनियों इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण चाहती थीं कि सामाजिक सुरक्षा अंशदान की गणना करते वक्त क्या उनके पूरे समूह की कमाई पर विचार किया जाएगा।’
