कर संग्रह में 40 प्रतिशत की तेज गिरावट के बावजूद केंद्र सरकार ने अप्रैल और मई में कृषि और ग्रामीण क्षेत्र पर व्यय दोगुना कर दिया है। लेखा महानियंत्रक (सीजीए) के आंकड़ों से यह जानकारी मिलती है। अप्रैल-मई 2021 के दौरान कृषि एवं ग्रामीण विकास मंत्रालय का संयुक्त व्यय 91,355 करोड़ रुपये रहा, जो वित्त वर्ष 20 की समान अवधि के दौरान 44,054 करोड़ रुपये था।
खाद्य एवं प्रसंस्करण विभाग भी पीछे नहीं रहा। इसने दो महीनों में खाद्य प्रावधानों में 10,000 करोड़ रुपये पूंजी लगाई है, जो सालाना पूंजीगत आवंटन 2,000 करोड़ रुपये से ज्यादा है।
बहरहाल खाद्य व ग्रामीण क्षेत्र में मजबूती की कीमत रक्षा क्षेत्र ने चुकाई है। रक्षा पर व्यय इस वित्त वर्ष में मई तक पिछले साल की समान अवधि की तुलना में करीब 30 प्रतिशत कम है। सीजीए के आंकड़ों से पता चलता है कि वित्त वर्ष 21 के पहले दो महीने में रक्षा पर व्यय 48,000 करोड़ रुपये रहा है, जो वित्त वर्ष 20 की समान अवधि में हुए 65,000 रुपये व्यय की तुलना में करीब 25 प्रतिशत कम है। इसमें राजस्व व पूंजीगत मदों के तहत किया गया व्यय शामिल है।
सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल जैसी स्थिति को देखते हुए सरकार ने स्वास्थ्य पर खर्च बढ़ाया है। उर्वरक सब्सिडी, सड़़क परियोजनाओं राज्यों को धन का हस्तांतरण पिछले वित्त वर्ष के पहले 2 महीनों की तुलना में इस वित्त वर्ष अप्रैल और मई के दौरान बढ़ा है।
लेकिन ठीक इसी समय रसोई गैस उपभोक्ताओं को प्रत्यक्ष लाभ देने और शिक्षा पर व्यय पहले की तुलना में कम हुआ है। पुलिस बलों पर खर्च भी बढ़ा है।विशेषज्ञ रक्षा पर खर्च कम होने को बेहतर संकेत नहीं मान रहे हैं।
मनोहर पर्रिकर इंस्टीट्यूट फार डिफेंस स्टडीज ऐंड एनलिसिस के एक रक्षा के जानकार ने बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत में कहा, ‘रक्षा क्षेत्र में पूंजीगत व्यय का ज्यादा हिस्सा खरीद और आधुनिकीकरण में जाता है। इस पर पूंजीगत व्यय घटना चिंता की बात है।’ उन्होंने कहा, ‘महामारी को लेकर नीतिगत घोषणा पर वित्तपोषण के लिए यह सीमा लगा दी गई है कि वित्त वर्ष 21 की पहली तिमाही में कौन सा मंत्रालय कितना खर्च कर सकता है। रक्षा मंत्रालय के लिए यह सीमा 25 से 20 प्रतिशत है। इसके अलावा रक्षा व्यय के बही खाते में संभव है कि मासिक आंकड़े न प्रदर्शित किए गए हों।’ भारत की सीमाओं पर तनाव को देखते हुए रक्षा पर व्यय ज्यादा महत्त्वपूर्ण हो गया है। लेकिन यह ध्यान में रखा जाना चाहिए कि उपलब्ध आंकड़े मई तक के ही उपलब्ध हैं, जबकि सीमा तनाव जून से शुरू हुआ। इसी तरह से रक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा व्यय, बुजुर्गों को पेंशन पर व्यय भी कम हुआ है। सरकार को कुछ समय पहले रक्षा पेंशन की तुलना में उपादक व्यय कम करना पड़ता था।
व्यय के तरीके में बदलाव पर प्रतिक्रिया देते हुए मुंबई के इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट फॉर डेवलपमेंट रिसर्च के एस महेंद्र देव ने कहा, ‘कम अवधि के हिसाब से लोगों को खाद्याान्न पहुंचाना जरूरी था। उन्होंने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा कि सुस्त आर्थिक गतिविधियों के कारण आजीविका दांव पर है। ऐसे में खाद्य सुरक्षा की चिंता बढ़ जाती है।’
