मुंबई में बुधवार को आयोजित ‘बजट विद बीएस: द फाइन प्रिंट’ कार्यक्रम में वित्त सचिव टीवी सोमनाथन ने बिज़नेस स्टैंडर्ड के संपादकीय निदेशक ए के भट्टाचार्य के साथ विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। सोमनाथन ने बजट से जुड़े सवालों के जवाब दिए और रोजगार योजना, पूंजीगत लाभ इंडेक्सेशन तथा राजकोषीय रोडमैप पर सरकार के दृष्टिकोण के बारे में विस्तार से बताया।
इसमें मामूली कमी की गई है। इसे चार अलग-अलग मदों में बांटा गया है और पूंजी परिव्यय की मांगों में कुछ बदलाव हुआ है। हमारी थल सेना, नौसेना, वायु सेना के लिए अलग-अलग मांगें होती थीं जिसे अब एक कर दिया गया है। ऐसे में नॉमिनल राशि में खास बदलाव नहीं हुआ है और वह लगभग सपाट रहा है। कुल व्यय बढ़ा है इसलिए हो सकता है प्रतिशत के लिहाज से इसमें कुछ कमी दिखे।
कर आधार को बढ़ाना स्रोत पर कर संग्रह, स्रोत पर कर कटौती को लेकर समय-समय पर कई कदम उठाए गए हैं और वे सफल रहे हैं। एक दशक पहले व्यक्तिगत आयकर दाताओं की संख्या करीब 3 करोड़ थी जो अब बढ़कर करीब 8.2 करोड़ हो गई है। बड़ी समस्या यह है कि लोग रिटर्न भर रहे हैं, खास तौर पर पेशेवर लोग, मगर हमारा मानना है कि वे अपनी आय कम दिखाते हैं।
ऐसा भी नहीं है कि सारे पेशेवर ऐसा करते हैं। यही वजह है कि हमने बजट में खर्च वाले आइटम्स में स्रोत पर कर संग्रह (टीसीएस) का विस्तार किया है, जिसे करदाता रिटर्न भरकर रिफंड ले सकते हैं। लेकिन अगर आप अपनी महंगी खरीदारी के अनुरूप रिटर्न दाखिल नहीं कर रहे हैं तो यह आपको रिटर्न दाखिल करने के लिए प्रेरित करेगा या फिर वसूला गया टीसीएस नहीं मिलेगा।
जरूरी नहीं है कि इंडेक्सेशन हटाने से नुकसान होगा। इसमें कर की दर को 20 फीसदी से घटाकर 12.5 फीसदी किया गया है। ऐसे में कई मामलों में यह लाभकारी होगा। जहां तक उन लोगों का सवाल है जो इसे निवेश के रूप में उपयोग नहीं करते हैं, उन्हें पूंजीगत लाभ आय को फिर से निवेश करने का अवसर होता है और उस पर कोई कर नहीं लगता है।
देश में रोजगार को बढ़ावा देने के लिए राजकोषीय प्रोत्साहन केंद्र सरकार के दायरे में हैं। इस बारे में सभी की सहमति है कि रोजगार को लेकर हमें कुछ करने की जरूरत है। यह आसान नहीं है। व्यापक आर्थिक स्थिरता और निवेश के लिए बेहतर माहौल बनाए रखने के अलावा सरकार और क्या कर सकती है?
यह पोर्टफोलियो को उसी तरह से देखना है जैसे निवेशक देखते हैं। मेरे पास कुछ शेयरों का सेट है जो हम रखते हैं या कुछ सार्वजनिक उपक्रम में नियंत्रण योग्य हिस्सेदारी है। हम अधिकतम रिटर्न चाहते हैं। हमारा जोर मूल्य सृजन रणनीति पर है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि निजीकरण नहीं होगा।
आत्मनिर्भर भारत इसका मूल सिद्धांत है। मोबाइल पर शुल्क 20 फीसदी से घटाकर 15 फीसदी किया गया है। 2018 के चरणबद्ध विनिर्माण कार्यक्रम के तहत पहले शुल्क में इजाफा किया गया था।