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BS Manthan 2025, Day 2: सोलर और विंड एनर्जी में आत्मनिर्भरता की ओर भारत, ‘मंथन’ समिट में उठा लोकल सप्लाई चेन का मुद्दा

BS Manthan 2025: समिट के दूसरे दिन ग्रीन एनर्जी, लोकल सप्लाई चेन और रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में इन्वेस्टमेंट जैसे अहम मुद्दों पर गहन चर्चा हुई।

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मानसी वार्ष्णेय   
Last Updated- February 28, 2025 | 1:16 PM IST

BS Manthan 2025, Day 2: नई दिल्ली के ताज पैलेस में बिजनेस स्टैंडर्ड का वार्षिक समिट ‘मंथन’ गुरुवार, 27 फरवरी से शुरू हुआ और आज इसका दूसरा दिन है। बिजनेस स्टैंडर्ड की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित इस दो दिवसीय कार्यक्रम में सरकार, नीति और उद्योग जगत की प्रमुख हस्तियां शामिल हो रही हैं। समिट के दूसरे दिन ग्रीन एनर्जी, लोकल सप्लाई चेन और रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में इन्वेस्टमेंट जैसे अहम मुद्दों पर गहन चर्चा हुई।

लोकल सप्लाई चेन पर जोर: Amit Singh

अदाणी ग्रीन एनर्जी के सीईओ अमित सिंह ने लोकल सप्लाई चेन पर जोर देते हुए कहा कि सोलर एनर्जी के सेक्टर में भारत में पर्याप्त सप्लाई है, लेकिन दूसरे सेक्टर्स में सप्लाई चेन लगभग नहीं के बराबर है। उन्होंने कहा, “हमने अपनी लोकल सप्लाई चेन को मजबूत करने में इन्वेस्टमेंट किया है। यह सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए ज़रूरी है। यह इलेक्ट्रिकल एनर्जी का युग है और धीरे-धीरे सब कुछ इलेक्ट्रिफाइड हो जाएगा।”

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उन्होंने पवन ऊर्जा (विंड एनर्जी) की लागत कम करने की जरूरत पर भी जोर दिया और कहा कि “हमें सिर्फ लागत के नजरिए से नहीं, बल्कि ऑपरेशन के तरीके को भी देखना होगा। हमारे देश में हवा के पैटर्न अलग-अलग हैं, इसलिए सबसे बड़ी चुनौती यह है कि विंड एनर्जी प्लांट को इस तरह डिजाइन किया जाए कि ज्यादा से ज्यादा हवा को कैप्चर किया जा सके। माइक्रो लेवल पर वेदर पैटर्न को समझना बहुत जरूरी है ताकि समग्र रूप से लागत को कम किया जा सके।”

इसके अलावा, उन्होंने ट्रांसमिशन सिस्टम से जुड़ी समस्याओं पर चिंता जताई और कहा कि “अभी देश उस दौर से गुजर रहा है, जहां ट्रांसमिशन सिस्टम एक बड़ी रुकावट बन सकता है। इसे प्राथमिकता के आधार पर हल करने की जरूरत है। साथ ही, बड़े प्रोजेक्ट्स और छोटे प्लेयर्स दोनों के लिए फाइनेंसिंग की लागत को कम करना जरूरी है।”

रिन्यूएबल एनर्जी इंडस्ट्री में इंसेंटिव की कमी: Girish Tanti

सुजलॉन ग्रुप के को-फाउंडर और वाइस चेयरमैन गिरीश टांटी ने रिन्यूएबल एनर्जी इंडस्ट्री में इंसेंटिव की कमी को लेकर कहा कि “इंडस्ट्री बिना किसी बड़े इंसेंटिव के काम कर रही है। एक OEM (मूल उपकरण निर्माता) के रूप में, मैंने बिना किसी इंसेंटिव के काम किया है। यह इंसेंटिव सिर्फ एंड यूजर के लिए था, सप्लायर के लिए नहीं।” उन्होंने यह भी बताया कि “हम अभी सोलर एनर्जी सेक्टर में 20% लोकल कंटेंट तक ही पहुंचे हैं, लेकिन इसे तेज़ी से बढ़ाने पर काम हो रहा है। वहीं, विंड एनर्जी में यह आंकड़ा 64% तक पहुंच चुका है, जो हमारी आत्मनिर्भरता को दिखाता है।” उन्होंने R&D (रिसर्च एंड डेवलपमेंट) को इंडस्ट्री की सफलता के लिए बेहद ज़रूरी बताते हुए कहा कि “सुजलॉन के 6 ग्लोबल R&D सेंटर हैं, जहां बड़े स्तर पर रिसर्च हो रही है। हमारी पवन ऊर्जा तकनीक को एक्सट्रीम वेदर कंडीशंस में इंस्टॉल किया गया है, और हम किसी भी नॉन-कन्वेंशनल एनर्जी सोर्स की तुलना में सस्ती बिजली पैदा कर सकते हैं।”

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500GW रिन्यूएबल एनर्जी लक्ष्य हासिल कर सकता है भारत: Deepesh Nanda

टाटा पावर रिन्यूएबल एनर्जी के एमडी और सीईओ दीपेश नंदा ने गवर्नमेंट पॉलिसीज और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की जरूरतों पर जोर देते हुए कहा कि “भारत 2032 तक 500GW रिन्यूएबल एनर्जी प्रोडक्शन का टारगेट अचीव कर सकता है, क्योंकि सरकार मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को बूस्ट करने के लिए लगातार काम कर रही है। गवर्नमेंट की PLI स्कीम्स को इसके लिए पूरे नंबर मिलने चाहिए।” उन्होंने रिसर्च एंड डेवलपमेंट (R&D) में इन्वेस्टमेंट की जरूरत को लेकर कहा कि “हमें उन मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर्स पर ध्यान देना होगा जो हमें ज़रूरी टेक्नोलॉजी प्रोवाइड करा सकते हैं। भारत में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर बनने की पूरी कैपेसिटी है।” उन्होंने यह भी कहा कि “अगर किसी कंपनी की पॉलिसीज सरकार की पॉलिसीज से मैच करती हैं, तो वह इन्वेस्टमेंट के लिए बेस्ट सेक्टर हो सकता है।”

इसके साथ ही, उन्होंने राज्यों में बढ़ते इन्वेस्टर समिट्स को एक बड़ा सकारात्मक बदलाव बताया। उन्होंने कहा, “आज हर दूसरे महीने कोई न कोई इन्वेस्टर समिट हो रही है, जैसे हाल ही में #असम और #मध्यप्रदेश में हुआ। राज्य अब इन्वेस्टमेंट को आकर्षित करने के लिए ज्यादा सतर्क और इच्छुक हैं। पहले की तरह रुकावटें अब नहीं रही हैं, बल्कि हमारे लिए चीजें आसान होती जा रही हैं।”

इस समिट में एक्सपर्ट्स ने भारत में ग्रीन एनर्जी के एक्सपांशन, लोकल मैन्युफैक्चरिंग, R&D, ट्रांसमिशन सिस्टम की चुनौतियां, विंड एनर्जी की लागत घटाने, इन्वेस्टमेंट अवसरों और गवर्नमेंट पॉलिसीज के इम्पैक्ट पर विस्तृत चर्चा की।

First Published : February 28, 2025 | 11:54 AM IST