केंद्र सरकार ने इस साल कम उपकर संग्रह के अनुमान को ध्यान में रखते हुए राज्यों को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) राजस्व में कमी की क्षतिपूर्ति के लिए 2021-22 में 1.58 लाख करोड़ रुपये की बाजार उधारी का प्रस्ताव दिया है।
कोविड-19 महामारी के कारण लगातार दूसरे वर्ष अर्थव्यवस्था के बाधित होने से केंद्र ने 2021-22 में जीएसटी क्षतिपूर्ति के लिए 2.7 लाख करोड़ रुपये की आवश्यकता का अनुमान लगाया है। इसमें से चालू वित्त वर्ष में उपकर संग्रह के जरिये 1.1 लाख करोड़ रुपये की पूर्ति होने की उम्मीद है।
पिछले साल की तरह ही कमी का अनुमान लगाने और उधारी जरूरत के लिए 7 फीसदी राजस्व वृद्घि माना गया है।
इन अनुमानों को शुक्रवार को होने जा रही जीएसटी परिषद की बैठक में रखा जाएगा जिसके बाद इस बात को लेकर निर्णय लिया जाएगा कि क्या पिछले वर्ष राज्यों को एक के बाद एक ऋण देने के लिए लाई गई उधारी व्यवस्था को चालू वित्त वर्ष में भी जारी रखा जा सकता है।
एक सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘एक ओर जहां चालू वित्त वर्ष में जीएसटी राजस्वों में सुधार देखा जा सकता है वहीं इसके बावजूद क्षतिपूर्ति के लिए जरूरी रकम और उपलब्ध क्षतिपूर्ति उपकर के बीच अंतर रहेगा। यदि परिषद पिछले वर्ष की तरह समान सिद्घांतों पर उसी उधारी व्यवस्था को आगे जारी रखने का निर्णय लेती है तो 1.6 लाख करोड़ रुपये की उधारी जुटाने का विकल्प चुना जा सकता है।’ उन्होंने कहा, ‘यह सब कुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि इसको लेकर राज्य क्या सोचते हैं।’
मई में ई-वे सृजन में आई कमी को संकेत मानते हुए केंद्र को जून में जीएसटी संग्रह 1 लाख करोड़ रुपये की सीमा से नीचे रहने की आशंका है।
जुलाई 2017 में जीएसटी क्रियान्यवन के बाद राज्यों को पांच साल के लिए क्षतिपूर्ति देने का वादा किया गया था। जीएसटी के क्रियान्वयन के बाद राज्यों का अप्रत्यक्ष कर पर से स्वायत्तता समाप्त हो गई थी। क्षतिपूर्ति उपकर 28 फीसदी के जीएसटी स्लैब में शामिल कुछ वस्तुओं पर लगाई जाती है जैसे कि वाहन, सिगरेट और शीतल पेयों आदि।
एक ओर जहां बजट 2021-22 में पिछले वर्ष के मुकाबले जीएसटी राजस्वों में 17 फीसदी की वृद्घि होने का अनुमान लगाया गया है वहीं देश भर में स्थानीय लॉकडाउनों ने जिस तरह से आपूर्तियों को प्रभावित किया है उसको देखते हुए लक्ष्य चुनौतीपूर्ण हो गया है।
एक सरकारी अधिकारी ने इशारा किया कि 17 फीसदी की वृद्घि का मतलब हर महीने सकल जीएसटी राजस्व 1.1 लाख करोड़ रुपये होना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘हमने वित्त वर्ष 2022 की क्षतिपूर्ति जरूरत का आवश्यकता से अधिक अंदाजा लगा लिया है। हम उम्मीद करते हैं कि वास्तविक जरूरत अनुमान से बहुत कम होगी। लेकिन उस स्थिति में अतिरिक्त उधारी रकम का उपयोग पिछले साल के अंतर को आंशिक तौर पर पाटने के लिए किया जा सकता है।’
पिछले वर्ष केंद्र ने 2020-21 के लिए उपकर में 2.35 लाख करोड़ की कमी होने का अनुमान जताया था जिसमें से 1.1 लाख करोड़ रुपये जीएसटी के क्रियान्वयन के कारण उधारी लेकर पूरी की गई। 70,000 करोड़ रुपये उपकर संग्रह से आया जिसके बाद करीब 50,000 करोड़ रुपये का अंतर रहा जिसके लिए कोविड-19 को उत्तरदायी ठहराया गया है। राज्यों को इसका भुगतान उचित समय पर किया जाएगा। केंद्र ने 1.1 लाख करोड़ रुपये की उधारी जुटाकर राज्यों को एक के बाद एक ऋण के तौर पर दिया।
क्षतिपूर्ति उपकर में कमी के समाधान के लिए केंद्र ने राज्यों को दो विकल्प दिए थे। पहला, राज्य 1.1 लाख करोड़ रुपये की उधारी जुटाएं जिसके ब्याज का भुगतान उपकर अवधि में विस्तार कर किया जाएगा या 2.35 लाख करोड़ रुपये की पूरी रकम उधार लें जिसमें उपकर का उपयोग केवल मूलधन के भुगतान के लिए किया जाएगा न कि ब्याज भुगतान के लिए। पहले विकल्प के तहत राज्यों को बाजारों से अपने आर्थिक आकार के 0.5 फीसदी की अतिरिक्त उधारी जुटाने की भी अनुमति दी गई थी।