बुनियादी ढांचा क्षेत्र से जुड़े 8-10 मंत्रालयों से प्रमुख बुनियादी ढांचा संपत्तियों की नई सूची मिलने के बाद सरकार को उम्मीद है कि संपत्तियों के मुद्रीकरण से उसे 30 फीसदी ज्यादा रकम मिल सकती है। सरकार से जुड़े दो लोगों ने बताया कि पहले राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन के तहत इन संपत्तियों से अगले चार साल में 2.5 लाख करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद लगाई गई थी।
परिसंपत्ति मुद्रीकरण पाइपलाइन को नीति आयोग तेजी से तैयार कर रहा है और यह अगस्त में पेश की जा सकती है। मामले की जानकारी रखने वाले एक सरकारी अधिकारी ने बताया, ‘परिसंपत्ति पाइपलाइन तकरीबन तैयार है और मंजूरी की प्रतीक्षा की जा रही है। पाइपलाइन के दो हिस्से होंगे। पहले हिस्से में नीति का विस्तृत विवरण और म़ुद्रीकरण के फायदे बताए जाएंगे। दूसरे हिस्से में उन संपत्तियों का ब्योरा होगा, जिनका मुद्रीकरण अगले चार साल में किया जाना है।’ मुद्रीकरण के लिए उपलब्ध संपत्तियां भी बढऩे जा रही हैं क्योंकि नई योजना अगले चार साल के लिए होगी। 2.5 लाख करोड़ रुपये जुटने का अनुमान संपत्तियों की पुरानी संख्या पर आधारित था।
मुद्रीकरण पाइपलाइन मध्यम से लेकर दीर्घ अवधि को ध्यान में रखकर तैयार की जा रही है। इसमें निवेशकों को लेनदेन नजर आएगा और संपत्ति मालिकों को उससे संबंधित गतिविधियों की योजना बनाने में आसानी होगी। सूत्रों ने कहा कि सरकार लंबे समय के लिए निवेश करने वाले वैश्विक निवेशकों जैसे पेंशन फंडों और सॉवरिन फंडों को लाना चाहती है। ऐसे निवेशक भारत की बुनियादी ढांचा संपत्तियों में निवेश करने की इच्छा भी रखते हैं। आंकड़ों से पता चलता है कि करीब 26 अरब डॉलर की ऐसी पूंजी उपलब्ध है, जिसे भारत में निवेश किया जा सकता है। इसलिए मुद्रीकरण पाइपलाइन का लक्ष्य निवेश के योग्य ढांचों वाली टिकाऊ बुनियादी संपत्तियां उपलब्ध करना है।
एक अन्य अधिकारी ने कहा कि नीति आयोग ने पहले से मौजूद बुनियादी ढांचा संपत्तियां छांटी हैं, जिनका साल दर साल मुद्रीकरण किया जाना है। साथ ही पाइपलाइन का सांकेतिक मूल्य भी बताया गया है। अधिकारी ने यह संकेत भी दिया कि छांटी गई संपत्तियों की सूची इस महीने के अंत तक संबंधित मंत्रालयों के पास भेजी जाएगी और उन्हें वित्त वर्ष 2025 तक हरेक वित्त वर्ष के लिए तय लक्ष्य और समयसीमा भी बताई जाएगी।
पाइपलाइन में बुनियादी संपत्तियों के मुद्रीकरण की स्पष्ट शर्तें भी दी होंगी। सूत्रों ने बताया, ‘परियोजना का स्वामित्व सरकार के पास होगा, निजी निवेशकों को सुनिश्चित करना होगा कि संपत्ति का प्रदर्शन पैमानों के मुताबिक हो और अनुबंध की मियाद पूरी होने के बाद उसे हर हाल में सरकार को लौटाना होगा। इसकी शर्तें विनिवेश और निजीकरण से अलग होंगी।’ सूत्रों ने कहा कि सरकार पहले चरण में सड़क, बिजली, बिजली पारेषण, तेल एवं गैस पाइपलाइन और स्टेडियम आदि का मुद्रीकरण इसी वित्त वर्ष में करेगी।
नीति आयोग को वित्त वर्ष 2022 से 2025 तक के लिए राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन तैयार करने का जिम्मा सौंपा गया है। इसके साथ ही मंत्रालयों को ऐसी संपत्तियां चिह्नित करने और उनकी जानकारी देने के लिए कहा गया है। यह राष्ट्रीय बुनियादी ढांचा पाइपलाइन से अलग होगी क्योंकि उसमें सिर्फ नई परियोजनाओं पर काम किया जा रहा है।