एशिया विकास बैंक (एडीबी) ने वित्त वर्ष 27 के लिए भारत का वृद्धि अनुमान 20 आधार अंक घटाकर 6.5 प्रतिशत कर दिया है। दरअसल अमेरिका के शुल्क अत्यधिक बढ़ाने से निर्यात और विनिर्माण वृद्धि पर प्रतिकूल प्रभाव की आशंका है। इस बहुपक्षीय संगठन ने वित्त वर्ष 26 के लिए वृद्धि अनुमान को यथावत रखा है जिसे संगठन ने जुलाई में संशोधित किया था।
एडीबी ने सितंबर में जारी एशियन डेवलपमेंट आउटलुक (एडीओ) में कहा, ‘एशिया की बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में भारत सर्वाधिक शुल्क वृद्धि का सामना करता है। इससे विकास परिदृश्य में गिरावट को बढ़ावा मिला है। शुल्क बढ़ाने से प्रमुख निर्यात क्षेत्रों जैसे कपड़ा, बने हुए परिधानों, आभूषण, झींगा और रसायन पर जबरदस्त प्रतिकूल असर पड़ सकता है।’
मनीला स्थित इस बहुराष्ट्रीय ऋणदाता ने बताया कि शुल्क लगाए जाने से भारत के निर्यात पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। इससे भारत के जीडीपी में वित्त वर्ष 26 और वित्त वर्ष 27 में गिरावट आएगी। उन्होंने बताया, ‘इसके परिणास्वरूप अप्रैल के पूर्वानुमान की तुलना में शुद्ध निर्यात में गिरावट आएगी।’ इसने नजरिये को जोखिम पर कहा कि भारत और अमेरिका में द्विपक्षीय व्यापार के तरीके से जोखिम ज्यादा और कम दोनों तरह का हो सकता है।
सकारात्मक पक्ष यह हो सकता है कि अगर अमेरिका भारत पर एशिया और प्रशांत क्षेत्र के देशों की तुलना में कम शुल्क लगाता है तो भारत की वृद्धि तेजी से बढ़ सकती है। नकारात्मक पक्ष यह है कि व्यापार तनाव के और बढ़ने से अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्र प्रभावित हो सकते हैं। भू-राजनीतिक तनाव वैश्विक जिंसों के दामों में वृद्धि करके भारत के निर्यात की मांग को और कम कर सकते हैं।
यह महंगाई के मोर्च पर उम्मीद जताता है कि वित्त वर्ष 26 में उपभोक्ता मूल्य 3.1 प्रतिशत रहेगा जो जुलाई में अनुमानित 3.8 प्रतिशत से कम है। हालांकि इसने खाद्य मूल्य सामान्य होने की उम्मीद पर वित्त वर्ष 27 के अनुमान को पहले के 4 प्रतिशत से बढ़ाकर 4.2 प्रतिशत कर दिया है।
हालांकि एडीबी ने इंगित किया कि भारत में उपभोक्ता खपत बढ़ने का अनुमान है। यह खपत ग्रामीण क्षेत्रों में विशेष तौर पर बढ़ेगी। इसके अलावा खपत राजकोषीय इंतजामों जैसे व्यक्ति आयकर में कमी, वस्तु एवं सेवा (जीएसटी) कर में कटौती, 8वें वेतन आयोग लागू होने से केंद्र सरकार के कर्मचारियों का वेतन बढ़ने से भी खपत बढ़ेगी।