facebookmetapixel
Stock Market 2025: बाजार ने बढ़त के साथ 2025 को किया अलविदा, निफ्टी 10.5% उछला; सेंसेक्स ने भी रिकॉर्ड बनायानिर्यातकों के लिए सरकार की बड़ी पहल: बाजार पहुंच बढ़ाने को ₹4,531 करोड़ की नई योजना शुरूVodafone Idea को कैबिनेट से मिली बड़ी राहत: ₹87,695 करोड़ के AGR बकाये पर लगी रोकYear Ender: SIP और खुदरा निवेशकों की ताकत से MF इंडस्ट्री ने 2025 में जोड़े रिकॉर्ड ₹14 लाख करोड़मुंबई में 14 साल में सबसे अधिक संपत्ति रजिस्ट्रेशन, 2025 में 1.5 लाख से ज्यादा यूनिट्स दर्जसर्वे का खुलासा: डर के कारण अमेरिका में 27% प्रवासी, ग्रीन कार्ड धारक भी यात्रा से दूरBank Holiday: 31 दिसंबर और 1 जनवरी को जानें कहां-कहां बंद रहेंगे बैंक; चेक करें हॉलिडे लिस्टStock Market Holiday New Year 2026: निवेशकों के लिए जरूरी खबर, क्या 1 जनवरी को NSE और BSE बंद रहेंगे? जानेंNew Year Eve: Swiggy, Zomato से आज नहीं कर सकेंगे ऑर्डर? 1.5 लाख डिलीवरी वर्कर्स हड़ताल परGold silver price today: साल के अंतिम दिन मुनाफावसूली से लुढ़के सोना चांदी, चेक करें ताजा भाव

भारत में इलेक्ट्रॉनिक कचरे की बहुतायत

Last Updated- December 05, 2022 | 4:34 PM IST

भारत सरकार जहां एक ओर इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से उत्पन्न होने वाले अवशिष्ट पदार्थों से हो रही पर्यावरणीय क्षति को रोकने के लिए एक कानून का प्रारुप बना रही है, वहीं दूसरी ओर भारत में प्रतिवर्ष 1,46,000 टन ई-अवशिष्ट जमा हो रहा है।


वन और पर्यावरण राज्य मंत्री नमो नारायण मीणा ने आज इन आंकड़ों का खुलासा राज्य सभा में किया।


ये आंकड़े केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने एक अध्ययन के आधार पर बताया है। बहुत सारी स्वयंसेवी संस्थाओं ने भी इसी से मिलते-जुलते आंकड़े इस संदर्भ में प्रस्तुत किए हैं।


पर्यावरणीय संगठनों ने चेतावनी दी है कि 2012 तक यह अवशिष्ट 8 लाख टन हो जाएगा। इन अवशिष्टों में आधे तो घरेलू बाजारों से आते हैं और बाकी अवशिष्ट विकसित देशों से आए हुए अवांछनीय सामान के कचरे के कारण होता है।


इन इलेक्ट्रॉनिक और इलेक्ट्रिक कचरे के कारण कार्सिनोजेनिक पदार्थों का उत्सर्जन होता है। ये कार्सिनोजेनिक पदार्थ कैंसर के कारक होते हैं।


 इसके अतिरिक्त इन अवशिष्टों से मिट्टी, हवा और जल को प्रदूषित करने वाले बहुत सारे पदार्थों का भी उत्सर्जन होता है।


यूरोपीय संघ के देशों में इस इलेक्ट्रॉनिक कचरे के उत्सर्जन केलिए व्यापक नियम मौजूद हैं, लेकिन स्विट्जरलैंड, नॉर्वे, जापान, बेल्जियम, दक्षिण कोरिया, ताइवान जैसे देशों में इन कचरों के उत्सर्जन के लिए एक प्रकार का लेवी या कर लगाया जाता है।


मीणा ने बताया कि इस कसरे के उत्सर्जन के लिए 2004 में गठित एक टास्क फोर्स ने लगभग अंतिम दिशा निर्देश तैयार कर लिए हैं। अभी तक इलेक्ट्रॉनिक कचरा जोखिम अवशिष्ट के तहत ही नियंत्रित किया जाता है।


वर्तमान नियम के अनुसार भारत इलेक्ट्रॉनिक कचरे का सीधा पुनर्उपयोग कर सकता है। भारत अंतिम अवशिष्ट को रिसाइकल करने में अक्षम है।


एक पर्यावरणीय एनजीओ, टॉक्सिक लिंक के मुताबिक भारतीय कानून के तहत चैरिटी उद्देश्यों से 10 साल पुराने कंप्यूटरों को आयात किया जा सकता है, जबकि ये कंप्यूटर बेकार और बिना उपयोग के होते हैं।


एक अध्ययन के मुताबिक कामगार इन इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को जब जलाते हैं,तो बड़ी मात्रा में जहरीली गैसें निकलती हैं जो पर्यावरण के लिए काफी हानिकारक होती हैं।

First Published - March 14, 2008 | 9:35 PM IST

संबंधित पोस्ट