अर्थव्यवस्था

वित्त वर्ष 2018-24 में जुड़े 16.8 करोड़ नए कर्मचारी

आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि उच्च कुशल गतिविधियां तेज हुई हैं और वित्तीय और बिजनेस सेवाएं, शिक्षा, स्वास्थ्य में शिक्षित कामगारों की हिस्सेदारी बढ़ी है।

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मनोजित साहा   
Last Updated- July 08, 2024 | 10:32 PM IST

भारत की कुल आबादी में रोजगार वाले लोगों की संख्या वित्त वर्ष 2018 में 34.7 प्रतिशत थी, जो वित्त वर्ष 2024 में बढ़कर 44.2 प्रतिशत हो गई। वहीं वित्त वर्ष 2018 और वित्त वर्ष 2024 के दौरान 16.8 करोड़ नए कर्मचारी जुड़े हैं और कुल कर्मचारियों की संख्या 64.3 करोड़ हो गई है।

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के केएलईएमएस के ताजा आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 23 में कुल रोजगार 59.6 करोड़ था और इसमें वित्त वर्ष 24 में 4.6 करोड़ रोजगार जुड़े थे।

केएलईएमएस के आंकड़ों से 5 प्रमुख इनपुट- कैपिटल (के), लेबर (एल), एनर्जी (ई), मैटेरियल (एम) और सर्विसेज (एस) की जानकारी मिलती है। ये आंकड़े 27 उद्योगों से जुटाए गए हैं। 27 उद्योग 6 सेक्टरों- कृषि, शिकार, वानिकी और मत्स्य पालन, खनन और उत्खनन, विनिर्माण, बिजली, गैस और जलापूर्ति, निर्माण और सेवाओं से जुड़े हैं।

आरबीआई ने जारी आंकड़ों में बताया कि कुल अर्थव्यवस्था में उत्पादकता का ‘अनंतिम’ अनुमान पहली बार वित्त वर्ष 2023-24 की उपलब्ध सूचनाओं के आधार पर बनाने का प्रयास किया गया।

कुल आबादी में से रोजगार में लगे कुल व्यक्तियों का अनुपात वित्त वर्ष 2017-18 के 34.7 प्रतिशत से बढ़कर वित्त वर्ष 2023-24 में 44.5 प्रतिशत हो गया है।
सभी क्षेत्रों में रोजगार बढ़ा है। इसमें शिक्षा की सभी श्रेणियां, युवा और वयस्क शामिल हैं। बेरोजगार लोगों का अनुपात वित्त वर्ष 2018 में 2.2 प्रतिशत था, जो वित्त वर्ष 2024 में घटकर 1.4 प्रतिशत रह गया है।

कृषि क्षेत्र से निकलकर बाहर आने वाले लोगों को निर्माण को छोड़कर सेवा क्षेत्र ने सबसे ज्यादा रोजगार दिया है। यह इसके पहले के दशक 2000 से 2011 की तुलना में उलट है, जब कृषि क्षेत्र से निकलकर बाहर आने वाले लोगों को निर्माण क्षेत्र में सबसे ज्यादा लोगों को काम मिला था।

आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि उच्च कुशल गतिविधियां तेज हुई हैं और वित्तीय और बिजनेस सेवाएं, शिक्षा, स्वास्थ्य में शिक्षित कामगारों की हिस्सेदारी बढ़ी है। सरकार ने देश में रोजगार के बढ़ते अवसर को लेकर एक बयान भी जारी किया है।

सरकार ने बयान में कहा, ‘पीएलएफएस (आवर्ती श्रमबल सर्वे) और रिजर्व बैंक के केएलईएमएस के आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में 2017-18 से लेकर 2021-22 के बीच 8 करोड़ से ज्यादा रोजगार के अवसर का सृजन हुआ है। इसका मतलब यह है कि हर साल 2 करोड़ रोजगार का सृजन हुआ, जबकि 2020-21 के दौरान कोविड-19 के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था प्रभावित रही है।’

सरकार ने राष्ट्रीय पेंशन योजना (NPS) के आंकड़ों का भी हवाला दियाहै, जिसमें कहा गया है कि 2023-24 के दौरान केंद्र व राज्य सरकारों से जुड़े 7.75 लाख से ज्यादा नए सबस्क्राइबर एनपीएस से जुड़े हैं, जो 2022-23 के दौरान एनपीएस में शामिल होने वाले 5.94 लाख नए सबस्क्राइबरों की तुलना में 30 प्रतिशत अधिक हैं।

बयान में कहा गया है, ‘नए सबस्क्राइबरों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि से सार्वजनिक क्षेत्र में रिक्तियों को समयबद्ध तरीके से भरने को लेकर सरकार के सक्रिय कदमों के संकेत मिलते हैं।’

First Published : July 8, 2024 | 10:02 PM IST