यूट्यूब चाहती है कि उसकी शॉर्ट वीडियो पेशकश यूट्यूब शॉट्र्स लोगों के आकर्षण का केंद्र रहे। इस साल की शुरुआत में सिमसिम के अधिग्रहण के बाद वह सोशल कॉमर्स से कमाई की भी उम्मीद कर रही है। भारत में यूट्यूब सामग्री साझेदारी के निदेशक सत्य राघवन ने यह बात कही।
निर्माता व्यक्ति, कंपनियां और इकाइयां हैं, जो इस प्लेटफॉर्म पर अपलोड करने के लिए सामग्री तैयार करते हैं। यूट्यूब ने पिछले साल कहा था कि उसने पिछले तीन साल के दौरान निर्माताओं, कलाकारों और मीडिया कंपनियों को 30 अरब डॉलर का भुगतान किया है। कंपनी के साझेदारी कार्यक्रम से जुडऩे वाले चैनल 2020 में दोगुने से अधिक हो गए। इस कार्यक्रम के तहत निर्माताओं को विज्ञापन राजस्व मिलता है। साथ ही उन्हें कमाई के अन्य फीचर भी उपलब्ध कराए जाते हैं। गूगल के स्वामित्व वाले इस वीडियो प्लेटफॉर्म ने अगस्त में यूट्यूब फंड की घोषणा की थी। यह फंड 10 करोड़ डॉलर का है, जिसे 2021-22 में वितरित किया जाएगा। यह फंड हजारों पात्र निर्माताओं को हर महीने फंड से भुगतान के लिए दावा करने का न्योता देगा।
शॉट्र्स अभी बीटा चरण में है और इस उत्पाद में सुधार का काम चल रहा है। ऐसे में शॉट्र्स फंड निर्माताओं की कमाई के लिए कुछ अलग तरीके से काम करेगा। यह काम विज्ञापन या सदस्यता के जरिये किया जाएगा।
राघवन ने कहा, ‘शॉट्र्स ने यूट्यूब पर सामग्री निर्माण को ज्यादा लोकतांंत्रिक यानी हर किसी की पहुंच में बना दिया गया है। अभी तक अगर आपको कोई सामान्य वीडियो बनाना होता था तो आप शूटिंग के लिए अच्छे फोन की चिंता करते थे। आपने माइक्रोफोन, लाइट आदि लेने पर भी विचार किया होगा। लेकिन शॉट्र्स के लिए वीडियो बनाना काफी आसान है। आप केवल फोन उठाएं, ऐप खोलें, कैमरा ऑन करें और संगीत जोड़ दें। इसे आप साउंडट्रैक से भी जोड़ सकते हैं और यूट्यूब पर मौजूद वीडियो की आवाज से शानदार मैशअप तैयार कर सकते हैं।’ उन्होंने कहा कि यूट्यूब देखेगी कि उत्पाद फीचर के लिहाज से उपभोक्ता इन फीचर में से कुछ का कैसे इस्तेमाल करते हैं और उसी आधार पर नए फीचर बनाएगी तथा जोड़ेगी।
सलाहकार कंपनी रेडसीर के आंकड़ों के मुताबिक शॉर्ट वीडियो सामग्री के सक्रिय मासिक उपयोगकर्ता कैलेंडर वर्ष 2025 तक दोगुने से ज्यादा होकर 65 करोड़ होने के आसार हैं। इसका मतलब है कि शॉर्ट वीडियो के उपयोगकर्ता टेलीविजन के बाद दूसरे सबसे अधिक होंगे। जिस तरह टिकटॉक का तेजी से उभार हुआ, उससे इस क्षेत्र में ज्यादा हलचल है। देश में पिछले साल टिकटॉक पर रोक लगा दी गई थी। हालांकि टिकटॉक की खाली जगह को भरने के लिए कई शॉर्ट वीडियो ऐप आए हैं, लेकिन फेसबुक और गूगल जैसी बड़ी तकनीकी कंपनियों ने भी अपने शॉर्ट वीडियो उत्पाद पेश किए हैं।
हालांकि यूट्यूब शॉर्ट वीडियो के फॉर्मैट में अपेक्षाकृत देर से आई है, लेकिन उसे अपने प्लेटफॉर्म पर इनके लिए अच्छी प्रतिक्रिया मिली है। यूट्यूब ने पिछले साल सबसे पहले भारत में ही शॉट्र्स को शुरू किया था। इस साल जुलाई तक इसे 100 से ज्यादा देशों में शुरू किया जा चुका है। राघवन ने कहा शॉट्र्स के दुनिया में रोजाना 15 अरब व्यूज आते हैं, जिनमें से भारत में औसत से अधिक व्यूज हैं। इसी तरह यूट्यूब पर सबस्क्रिप्शन मेंं भारत के आंकड़े औसत से अधिक हैं। आम तौर पर जब लोग किसी वीडियो से पहले विज्ञापन देखते हैं तो यूट्यूब निर्माताओं के साथ राजस्व साझा करती है। लेकिन अगर किसी व्यक्ति ने यूट्यूब प्रीमियम सदस्यता ले रखी है तो वे विज्ञापन नहीं देखते हैं, इसलिए उपयोगकर्ता से प्राप्त मासिक सदस्यता शुल्क का एक हिस्सा निर्माताओं को दिया जाता है।