Wipro Q3FY24 results: आईटी दिग्गज कंपनी विप्रो ने मार्च 2024 की चौथी तिमाही के लिए राजस्व में स्थिर मुद्रा में 1.5 फीसदी गिरावट से लेकर 0.5 फीसदी तक की कमजोर बढ़त का अनुमान लगाया है। सौदों की मंजूरी और ग्राहकों के निर्णय लेने में अपेक्षित गति अभी नहीं आ पाई है। कंपनी के अधिकारियों ने संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा कि दूसरी तिमाही का मार्जिन पिछली कुछ तिमाहियों की तरह सीमित दायरे में रह सकते हैं।
बेंगलूरु की आईटी कंपनी विप्रो ने दिसंबर में खत्म हुई तीसरी तिमाही के दौरान 2,700 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ दर्ज किया। हालांकि, यह एक साल पहले की तुलना में 12 फीसदी कम है मगर पिछली तिमाही के मुकाबले 1.2 फीसदी और ब्लूमबर्ग के अनुमान 2,685 करोड़ रुपये से अधिक है।
दिसंबर तिमाही का राजस्व पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 4 फीसदी कम होकर 22,205 करोड़ रुपये रह गया जो ब्लूमबर्ग के राजस्व अनुमान 22,293 करोड़ रुपये से भी थोड़ा कम है। क्रमिक आधार पर कंपनी का राजस्व 1.4 फीसदी कम हुआ है।
बैंकिंग, वित्तीय सेवा और बीमा (बीएफएसआई), उपभोक्ता तथा विनिर्माण जैसे प्रमुख क्षेत्रों में मंदी के कारण राजस्व में गिरावट आई है। कुल अनुबंध मूल्य (टीसीवी) में 90 करोड़ डॉलर के बड़े सौदे के कारण डॉलर में आईटी सेवा का राजस्व सालाना आधार पर 6.9 फीसदी और स्थिर मुद्रा में क्रमिक रूप से 1.7 फीसदी घटकर 2.66 अरब डॉलर हो गया।
विप्रो के मुख्य कार्याधिकारी और प्रबंध निदेशक थिएरी डेलापोर्टे ने कहा, ‘तीसरी तिमाही कमजोर रहने के बाद भी सौदों की गति मजबूत रही। हमारे बड़े सौदे पिछले साल की तुलना में 20 फीसदी बढ़े। हम कंसल्टिंग में शुरुआती वृद्धि देख रहे हैं।’ उन्होंने कहा, ‘हमारी एआई360 रणनीति के तहत एआई अब हमारे अधिकतर मौजूदा समाधानों और ग्राहक पेशकशों में भी शामिल है। हम दक्षता, उत्पादकता और पैमाने के लक्ष्यों के साथ सभी कारोबारी और कार्यात्मक क्षेत्रों में आंतरिक रूप से भी एआई को शामिल कर रहे हैं।’
परिचालन मार्जिन दिसंबर तिमाही में घटकर 16 फीसदी रह गया, जो पिछले साल की समान अवधि में 16.3 फीसदी था और पिछली तिमाही में 16.1 फीसदी था। विप्रो के कुल राजस्व में बैंकिंग, वित्तीय सेवाएं एवं बीमा (बीएफएसआई) और उपभोक्ताओं का योगदान 50 फीसदी से अधिक है। स्थिर मुद्रा में बीएफएसआई में 13.2 फीसदी की गिरावट आई वहीं उपभोक्ता में 8.1 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई।
पिछले 12 महीनों के आधार पर दिसंबर तिमाही में स्वेच्छा से नौकरी छोड़ने वालों की दर सितंबर तिमाही के 15.5 फीसदी से घटकर 14.2 फीसदी रह गई। इसका मतलब हुआ कि यह अब कम हो रही है। यह प्रवृत्ति पूरे उद्योग में देखी जा रही है।