इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) बनाम हाइब्रिड वाहन जैसी कोई चीज नहीं है तथा और ज्यादा मजबूत हाइब्रिड वाहनों के विकास से वाहन पुर्जा तंत्र विकसित करने में मदद मिलेगी, जिससे अंततः ईवी विकसित करने की लागत कम होगी।
टोयोटा किर्लोस्कर मोटर (टीकेएम) के कंट्री हेड और कार्यकारी उपाध्यक्ष (कॉर्पोरेट मामले) विक्रम गुलाटी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को यह जानकारी दी। उनका बयान ऐसे समय आया है, जब देश में मजबूत हाइब्रिड कारों की बिक्री के मामले में पिछली तीन तिमाहियों के दौरान इलेक्ट्रिक कारों की तुलना में लगातार बढ़ोतरी का रुझान देखा गया है।
साल 2023 की जून तिमाही में देश में लगभग 14,400 दमदार हाइब्रिड कारें और 25,200 इलेक्ट्रिक कारें बेची गईं। सितंबर तिमाही की बात करें तो इन हाइब्रिड कारों की बिक्री में बढ़ोतरी देखी गई और ये बढ़कर 22,000 तक पहुंच गई, जबकि इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री घटकर 23,900 रह गई। हालांकि दिसंबर तिमाही के आधिकारिक आंकड़े अभी तक उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन उद्योग के सूत्रों ने कहा कि देश में हाइब्रिड कारों की बिक्री इसी अवधि में इलेक्ट्रिक कारों से अधिक हो गई है।
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गुलाटी ने कहा कि यह वास्तव में हाइब्रिड बनाम ईवी के बारे में नहीं है। दोनों ऐसी प्रौद्योगिकियां हैं, जो एक-दूसरे की पूरक हैं और उसी दिशा में बढ़ रही हैं, जहां समाज आगे बढ़ना चाहता है। चाहे यह जीवाश्म ईंधन से दूर जाने की बात हो, कार्बन उत्सर्जन कम करना हो, स्थानीय प्रदूषण कम करना हो, दोनों प्रौद्योगिकियां इसमें योगदान देती हैं।
उन्होंने कहा कि सरकारी अध्ययनों के अनुसार कोई मजबूत हाइब्रिड व्यावहारिक रूप से आधी ईवी होती है, क्योंकि यह 40 प्रतिशत की दूरी और 60 प्रतिशत समय ईवी के रूप में चलती है। उन्होंने कहा ‘इसलिए ईवी बनाम हाइब्रिड जैसी कोई चीज नहीं है। मुझे लगता है कि यह ईवी और हाइब्रिड बनाम गैसोलीन और अन्य जीवाश्म ईंधन की पारंपरिक तकनीक है।’ टोयोटा किर्लोस्कर मोटर भारत में मजबूत हाइब्रिड कार बाजार की अग्रणी कंपनी है। यह हाईराइडर, इनोवा हाइक्रॉस और कैमरी मॉडल में हाइब्रिड वेरिएंट बेचती है।