बैंकिंग और फाइनेंशियल सेक्टर की अप्रैल-जून तिमाही (Q1FY26) के नतीजों से पहले एक्सिस सिक्योरिटीज ने अपनी रिपोर्ट में संकेत दिया है कि इस तिमाही में बैंकों और NBFCs (गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों) को मिली-जुली स्थिति का सामना करना पड़ सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, अनसिक्योर्ड लोन में गिरावट, ब्याज दरों में कटौती और एसेट क्वालिटी से जुड़ी चुनौतियों के चलते बैंकों की आमदनी और मुनाफे पर असर पड़ेगा।
13 जून 2025 तक सिस्टमिक क्रेडिट ग्रोथ 10% से नीचे आ गई है। इसकी मुख्य वजह प्राइवेट बैंकों द्वारा लोन-टू-डिपॉजिट रेश्यो (LDR) बैलेंस करने की कोशिश और अनसिक्योर्ड लोन (जैसे क्रेडिट कार्ड और MFI) में ग्रोथ रुकना है। हालांकि एक्सिस सिक्योरिटीज का मानना है कि उनके कवरेज में शामिल बैंक इस तिमाही में औसतन 11% की सालाना ग्रोथ दर्ज कर सकते हैं।
RBI ने फरवरी से जून 2025 के बीच रेपो रेट में कुल 100 बेसिस पॉइंट की कटौती की, जिसका असर बैंकों ने सेविंग और टर्म डिपॉजिट रेट में कटौती करके दिखाया। हालांकि, कुछ PSU बैंकों ने अभी भी डिपॉजिट रेट में बदलाव नहीं किया है। इस वजह से लोन और डिपॉजिट की री-प्राइसिंग में अंतर है, जिससे इस तिमाही में बैंकों की नेट इंटरेस्ट मार्जिन (NIM) घट सकती है।
FY26 की पहली तिमाही में बैंकिंग सेक्टर पर मार्जिन का दबाव साफ दिखाई दे सकता है। एक्सिस सिक्योरिटीज की रिपोर्ट के मुताबिक, प्राइवेट बैंकों की नेट इंटरेस्ट मार्जिन (NIM) में 12 से 16 बेसिस प्वाइंट (bps) की गिरावट देखने को मिल सकती है। इसकी वजह रेपो रेट में कटौती के बाद तेज़ी से लोन रेट में बदलाव और डिपॉज़िट दरों में अपेक्षाकृत कम कटौती को माना जा रहा है।
वहीं, पब्लिक सेक्टर (PSU) बैंकों के लिए यह गिरावट थोड़ी कम, यानी 10 से 12 bps तक रहने की उम्मीद है क्योंकि उनके पास फिक्स्ड रेट और गैर-ईबीएलआर (External Benchmark Linked Rate) लोन का हिस्सा ज़्यादा होता है।
स्मॉल फाइनेंस बैंक (SFBs) की स्थिति थोड़ी ज़्यादा चुनौतीपूर्ण हो सकती है। उनके मार्जिन में करीब 20 bps की गिरावट देखी जा सकती है, जो उनके पोर्टफोलियो में बदलाव (secured loans की तरफ झुकाव), ब्याज वसूली में कमी और लागत में बदलाव का असर दर्शाता है।
NIM में गिरावट के कारण बैंकिंग यूनिवर्स की नेट इंटरेस्ट इनकम (NII) में सिर्फ 3% सालाना ग्रोथ का अनुमान है, जबकि पिछली तिमाही की तुलना में इसमें 1.3% की गिरावट संभव है। कमजोर आमदनी के साथ खर्च कंट्रोल में रहेगा, लेकिन ऑपरेटिंग मार्जिन दबाव में रह सकता है। इस तिमाही में प्री-प्रोविज़न ऑपरेटिंग प्रॉफिट (PPOP) 6% QoQ गिर सकता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि ज्यादातर बैंकों की एसेट क्वालिटी स्थिर रह सकती है, लेकिन मिड-साइज़ और स्मॉल फाइनेंस बैंकों में अनसिक्योर्ड लोन पोर्टफोलियो से जुड़ी चुनौतियां बनी रहेंगी। खासकर कर्नाटक और तमिलनाडु जैसे राज्यों में कलेक्शन एफिशिएंसी अभी भी कमजोर है।
FY26 की पहली तिमाही में गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) से जुड़ी कंपनियों का प्रदर्शन मिक्स्ड रहने की उम्मीद है। एक्सिस सिक्योरिटीज की रिपोर्ट के मुताबिक, व्हीकल फाइनेंस और डाइवर्सिफाइड NBFCs में सबसे ज़्यादा तेजी देखी जा सकती है, जहां एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) में सालाना आधार पर क्रमशः 19% और 24% की ग्रोथ संभव है।
माइक्रोफाइनेंस सेक्टर में भी सकारात्मक संकेत दिख रहे हैं। लागत घटने (Cost of Funds कम होने) और ब्याज वसूली बेहतर होने से कंपनियों के मार्जिन में सुधार हो सकता है। हालांकि, कुछ राज्यों जैसे कर्नाटक और तमिलनाडु में कलेक्शन से जुड़ी चुनौतियां बनी रह सकती हैं, जिससे स्लिपेज और एसेट क्वालिटी पर असर हो सकता है।
इसके विपरीत, गोल्ड फाइनेंस कंपनियां, खासकर मनप्पुरम फाइनेंस, अब भी दबाव में दिख सकती हैं। माइक्रोफाइनेंस से जुड़ी चुनौतियां, हाई स्लिपेज और सीमित ब्याज दरों में राहत के चलते नेट इंटरेस्ट मार्जिन (NIM) और प्रॉफिट पर असर पड़ेगा।
हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों में CAN Fin Homes और APTUS Value Housing के प्रदर्शन में अंतर देखा जा सकता है। जहां CANF की AUM ग्रोथ सीमित (~9%) रहने की संभावना है, वहीं APTUS में 25% की दमदार ग्रोथ की उम्मीद है। दोनों कंपनियों के मार्जिन स्थिर या मामूली बेहतर हो सकते हैं।
क्रेडिट कार्ड सेगमेंट में SBI कार्ड को लेकर अपेक्षाएं सकारात्मक हैं। खर्च में बढ़ोतरी और नए ग्राहकों के जुड़ने से ग्राहक बेस (Cards-in-Force) और ट्रांजैक्शन वॉल्यूम में इज़ाफा हो सकता है। वहीं, एसेट मैनेजमेंट कंपनियों (AMCs), खासकर Nippon AMC, को मजबूत शेयर बाजार रैली का फायदा मिल सकता है। 10% QoQ क्वार्टरली एवरेज AUM ग्रोथ और अन्य आय (other income) से इनकी आमदनी और मुनाफे में बढ़ोतरी संभव है।
बैंकिंग और फाइनेंस से जुड़ी कंपनियों के अप्रैल-जून (Q1FY26) तिमाही नतीजे जल्द आने वाले हैं। एक्सिस सिक्योरिटीज की रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ कंपनियों के नतीजे अच्छे रह सकते हैं तो कुछ पर दबाव दिख सकता है। जिन कंपनियों से अच्छे नतीजों की उम्मीद है, उनमें शामिल हैं ICICI Bank, HDFC Bank और City Union Bank। इन बैंकों की लोन ग्रोथ ठीक रही है और नुकसान कम हुआ है, इसलिए इनके मुनाफे में बढ़त हो सकती है। NBFC सेक्टर में Shriram Finance, Bajaj Finance और Cholamandalam Finance जैसे नामों से अच्छे नतीजों की उम्मीद है। इनकी कर्ज देने की रफ्तार अच्छी रही है और पैसे की वसूली भी मजबूत रही है। लेकिन कुछ कंपनियों के नतीजे कमजोर रह सकते हैं। इसमें शामिल हैं Equitas Small Finance Bank, Karnataka Bank और Manappuram Finance। इन कंपनियों को लोन वसूली में दिक्कत आई है और कर्ज वापस न मिलने से नुकसान बढ़ सकता है।
डिस्क्लेमर: यह खबर ब्रोकरेज की रिपोर्ट के आधार पर है, निवेश संबंधित फैसले लेने से पहले एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें।