वित्त मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि 22 सितंबर के पहले कारखानों से निकल चुकी दवाओं की कीमत में बदलाव करने या उन्हें वापस मंगाने की जरूरत नहीं है। मंत्रालय ने वस्तु एवं सेवा कर (GST) में बदलाव को लेकर अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (एफएक्यू) का दूसरा सेट जारी कर उद्योग जगत की चिंता दूर करने की कवायद की है।
एफएक्यू में कहा गया है, ‘अगर विनिर्माण या विपणन कंपनियां यह सुनिश्चित कर देती हैं कि खुदरा कारोबारी के स्तर पर कीमतों का अनुपालन होगा, तो 22 सितंबर के पहले बाजार में पहुंच चुकी दवाओं की कीमत फिर से लिखे जाने या आपूर्ति श्रृंखला में पहुंच चुकी दवाओं को वापस मंगाने की जरूरत नहीं है।’
राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) ने साफ किया है कि विनिर्माताओं और मार्केटिंग कंपनियों को डीलरों, खुदरा विक्रेताओं और राज्य नियामकों के लिए नई जीएसटी दरों के मुताबिक अधिकतम खुदरा मूल्यों (एमआरपी) को दर्शाते हुए संशोधित मूल्य सूची जारी करनी चाहिए, ताकि उपभोक्ता स्तर पर अनुपालन सुनिश्चित हो सके।
नांगिया एंडरसन एलएलपी में पार्टनर, अप्रत्यक्ष कर राहुल शेखर ने कहा कि मंत्रालय ने साफ किया है कि संशोधित जीएसटी दरों को दिखाने के लिए दवाओं को वापस मंगाने या उन पर नई कीमत लिखने की जरूरत नहीं है, वहीं यह मसला अभी भी बना हुआ है कि रोजमर्रा के इस्तेमाल वाले सामान (FMCG) और खुदरा सामान के मामले में क्या किया जाना है।
शेखर ने कहा, ‘सरकार को अन्य क्षेत्रों के लिए स्पष्टीकरण पेश करना चाहिए कि बगैर एमआरपी में बदलाव किए हुए घटी हुई कीमतों को किस तरीके से अंतिम उपभोक्ता तक पहुंचाया जा सकता है, जो पहले से ही खुदरा विक्रेताओं और डीलरों के पास रखा हुआ है।’
एफएक्यू के मुताबिक मानवरहित विमानों पर दरों को युक्तिसंगत बनाने के जीएसटी परिषद के फैसले से सभी प्रकार के ड्रोन एक समान 5 प्रतिशत कर के दायरे में आ जाएंगे। इससे पहले निजी इस्तेमाल वाले ड्रोन पर 28 प्रतिशत, डिजिटल या वीडियो कैमरा रिकॉर्डर लगे ड्रोन पर 18 प्रतिशत और अन्य पर 5 प्रतिशत जीएसटी लगता था।
टैक्स कनेक्ट एडवाइजरी में पार्टनर विवेक जालान ने कहा, ‘एफएक्यू में साफ नहीं किया गया है कि ड्रोन से जुड़े पहले के विवादों को कैसे निपटाया जाना है और क्या कर विभाग द्वारा पहले की गई अधिक कर मांग को वापस लिया जाएगा।’
होटलों को लेकर मंत्रालय ने साफ किया है कि 7,500 रुपये प्रति कमरे तक किराये पर 5 प्रतिशत कर लगेगा और इस पर कोई इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं मिलेगा। बीमा क्षेत्र में व्यक्तिगत स्वास्थ्य और जीवन बीमा सेवाओं को जीएसटी से छूट दी गई है। मंत्रालय ने आगे साफ किया है कि पुनर्बीमा सेवाओं पर भी छूट मिलेगी। मंत्रालय ने कहा कि वर्तमान में, बीमा कंपनियां कमीशन, ब्रोकरेज और पुनर्बीमा जैसे कई इनपुट और इनपुट सेवाओं पर आईटीसी का लाभ उठा रही हैं।
एफएक्यू में कहा गया है, ‘इन इनपुट सेवाओं में से, पुनर्बीमा सेवाओं को छूट दी जाएगी। अन्य कच्चे माल के मामले में इनपुट टैक्स क्रेडिट वापस ले लिया जाएगा। इसका कारण अंतिम उत्पाद सेवाओं को जीएसटी छूट दी जा रही है।’
इसका मतलब यह है कि व्यक्तिगत बीमा पॉलिसी के मामले में कमीशन और ब्रोकरेज जैसे ‘इनपुट’ पर चुकाए गए कर, बीमा कंपनियों के लिए लागत होंगी। डिलिवरी सेवाओं को लेकर मंत्रालय ने साफ किया है कि ई-कॉमर्स ऑपरेटरों द्वारा मुहैया कराई जाने वाली स्थानीय डिलिवरी सेवा पर 18 प्रतिशत कर लगेगा।