बीएस बातचीत
फ्रैंकलिन टेम्पलटन में इमर्जिंग मार्केट्स इक्विटी-इंडिया के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य निवेश अधिकारी आनंद राधाकृष्णन का कहना है कि कोविड-19 संक्रमण में फिर से तेजी और अमेरिकी फेडरल द्वारा संभावित सख्ती बाजार के लिए दो मुख्य जोखिम बने हुए हैं। समी मोडक के साथ एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि इक्विटी लगातार आकर्षक निवेश विकल्प बनी रहेगी। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश:
मौजूदा समय में बाजार के लिए सबसे बड़े जोखिम क्या हैं?
महामारी की दूसरी लहर की गंभीरता भारतीय अर्थव्यवस्था की रिकवरी की रफ्तार के लिहाज से मुख्य निर्धारक होगी। अमेरिकी अर्थव्यवस्था में उम्मीद से बेहतर रिकवरी और उसके परिणामस्वरूप अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा प्रोत्साहन प्रक्रिया मंद किए जाने से जोखिम धारणा प्रभावित हो सकती है और भारत जैसे उभरते बाजारों में प्रवाह पर दबाव पड़ सकता है।
क्या आप मानते हैं कि बाजारों को अपनी फरवरी की ऊंचाई पर पहुंचने के लिए संघर्ष करना होगा?
बाजार में पिछले कुछ महीनों के दौरान भारत में आर्थिक वृद्घि सुधार की वजह से तेजी आई। मौजूदा समय में निवेशक धारणा देश में कोविड-19 मामलों में भारी तेजी की वजह से प्रभावित हुई है। यह सामान्य तौर पर देखा गया है कि जब भी संक्षिप्त अवधि में भारी तेजी आती है, निवेशक बिकवाली पर जोर देते हैं। आर्थिक वृद्घि में ढांचागत सुधार और आय वृद्घि की गुणवत्ता के साथ बाजार आगे भी समान परिदृश्य की उम्मीद कर सकते हैं।
भारत ने पिछले महीने के दौरान प्रमुख वैश्विक बाजारों के मुकाबले कमजोर प्रदर्शन किया। इसकी मुख्य वजह क्या रही? क्या यह कमजोरी बनी रहेगी?
महामारी की दूसरी लहर से भारत अन्य देशों के मुकाबले बाद में प्रभावित हुआ है। इस लहर की गंभीरता पहली के मुकाबले ज्यादा गंभीर दिख रही है और इससे स्थानीय तौर पर लॉकडाउन को बढ़ावा मिला है। इससे बाजार धारणा प्रभावित हुई है। हालांकि मौजूा दौर में संपूर्ण लॉकडाउन नहीं देखा गया है और न ही आर्थिक गतिविधियां पूरी तरह से ठप हुई हैं।
रुपये ने डॉलर के मुकाबले कमजोर प्रदर्शन किया है। बाजार पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा? क्या इससे विदेशी पूंजी प्रवाह भी प्रभावित होगा?
भारत के लिए, बढ़ती ऊर्जा कीमतों, मुद्रास्फीति दबाव, और आरबीआई के बॉन्ड खरीद कार्यक्रम का भारतीय मुद्रा पर दबाव बना रहेगा। अब तक एफपीआई निकासी से घरेलू मुद्रा पर अतिरिक्त दबाव पड़ा है। कई घरेलू और वैश्विक कारकों की वजह से एफपीआई निकासी को बढ़ावा मिला है। कई कारक घरेलू बाजारों में विदेशी प्रवाह को प्रभावित कर रहे हैं।
अब निवेशक कितने प्रतिफल की उम्मीद कर रहे हैं?
प्रमुख भारतीय इक्विटी सूचकांकों के लिए कॉरपोरेट आय वृद्घि अनुमान वित्त वर्ष 2022 और वित्त वर्ष 2023 के लिए 21 और 25 प्रतिशत पर हैं। टीकाकरण की खबरों और अर्थव्यवस्था में बदलाव की वजह से पिछले कुछ महीनों में जोखिम धारणा में सुधार आया है।
मार्च में हमने इक्विटी योजनाओं में सकारात्मक पूंजी प्रवाह देखा। क्या यह बरकरार रहेगा?
वास्तविक दरें नकारात्मक हो गई हैं जिससे पारंपरिक निर्धारित आय योजनाएं कम आकर्षक बन गई हैं। इक्विटी ने आकर्षक निवेश विकल्प प्रदान किया है और इसे अर्थव्यवस्था के लिए शानदार दीर्घावधि विकास परिदृश्य से मदद मिली है। चूंकि निवेशक अनुशासित दीर्घावधि निवेश की संभावना तलाश रहे हैं और अस्थिर बाजारों के जरिये निवेश बरकरार रखे हुए हैं, जिससे इक्विटी फंडों में पूंजी प्रवाह सकारात्मक रह सकता है।
आप कौन से सेक्टर या थीम को ज्यादा पसंद कर रहे हैं?
संभावित वृद्घि के नजरिये से वित्त क्षेत्र आकर्षक बना हुआ है। जहां वाहन क्षेत्र में कई तरह की समस्याएं पैदा हुई हैं, जिनमें बीएस-6 से संबंधित बदलाव भी शामिल हैं, वहीं कुछ शेयरों ने अच्छी तेजी दर्ज की है। विकास की संभावना इलेक्ट्रिक वाहन खंड से भी देखी जा सकती है। आवास संबंधित क्षेत्रों के लिए सभी वैल्यू चेन अच्छा प्रदर्शन कर सकती हैं।