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औद्योगिक गैस क्षेत्र को भारत की सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री से आस

फॉक्सकॉन, माइक्रॉन और वेदांत जैसी कंपनियां अपनी सेमीकंडक्टर योजनाओं के संबंध में जोरदार तरीके से आगे बढ़ने की योजना बना रही हैं

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शाइन जेकब   
Last Updated- August 17, 2023 | 10:31 PM IST

भारत के सेमीकंडक्टर उद्योग का आकार वर्ष 2022 में तकरीबन 27 अरब डॉलर था, जिसमें लगभग सभी जरूरतें आयात के जरिये पूरी की गई थीं। सरकार द्वारा घरेलू विनिर्माण पर जोर दिए जाने से इस क्षेत्र में अगले कुछ वर्षों के दौरान नए निवेश देखने की संभावना है।

फॉक्सकॉन, माइक्रॉन और वेदांत जैसी कंपनियां अपनी सेमीकंडक्टर योजनाओं के संबंध में जोरदार तरीके से आगे बढ़ने की योजना बना रही हैं। इससे भारत का औद्योगिक गैस क्षेत्र भी उत्साहित है।

ऐसा इसलिए है क्योंकि किसी सामान्य फैब इकाई के मामले में सिलिकॉन के बाद अ​धिक शुद्धता वाली गैसों पर सामग्री का सबसे अ​धिक व्यय होता है। कलपुर्जा उद्योग अब प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, भू-आवंटन तथा बिजली और पूंजीगत सब्सिडी के लिए सरकारी मदद मांग रहा है क्योंकि भारत में कई नई गैसों का विनिर्माण करना होगा और इसके लिए अग्रिम पूंजी निवेश की जरूरत पड़ेगी।

उद्योग के विशेषज्ञों ने कहा कि अगर सेमीकंडक्टर में उछाल आती है, तो भारतीय विनिर्माता सेमीकंडक्टर विनिर्माण में सबसे अधिक इस्तेमाल होने वाली बल्क गैसों की आपूर्ति करने के लिए तैयार हैं। इनमें नाइट्रोजन, हीलियम, हाइड्रोजन और आर्गन के अलावा ऐसे विशेष और इलेक्ट्रॉनिक गैसें शामिल हैं जिन्हें आयात करने की जरूरत होती है।

औद्योगिक गैस खंड में खासी मौजूदगी वाली कंपनियों में आईनॉक्स एयर प्रोडक्ट्स, लिंडे इंडिया, एयर लिक्विड इंडिया, प्रैक्सएयर इंडिया और ताइयो निप्पॉन सैन्सो के-एयर इंडिया शामिल हैं। विशेषज्ञों के अनुसार उद्योग की सभी कंपनियां सेमीकंडक्टर क्षेत्र को उभरत हुए प्रमुख उद्योग के रूप में देख रही हैं।

आईनॉक्स एयर प्रोडक्ट्स के प्रबंध निदेशक और प्रवर्तक सिद्धार्थ जैन ने कहा ‘अगर सौर सेल और मोबाइल फोन के लिए लगभग पांच से सात विभिन्न प्रकार की गैसों की आवश्यकता होती है, तो सेमीकंडक्टर के लिए 50 तरह की गैसों की आवश्यकता होती है।’

जैन ने कहा कि जैसे ही सेमीकंडक्ट क्षेत्र में निवेश चक्र शुरू होगा, वैसे ही उद्योग को कई नई गैसों की आपूर्ति करनी होगी। इनमें से अधिकांश गैसों का उत्पादन भारत में नहीं होता है और इन्हें सरकारी सहायता की आवश्यकता होती है।

वर्तमान में इस्पात, स्टेनलेस स्टील जैसे धातु खंड उद्योग की गैस मांग का लगभग 40 से 50 प्रतिशत भाग का उपभोग करता है और लगभग 10 प्रतिशत भाग स्वास्थ्य देखभाल खंड का रहता है, जबकि शेष भाग विभिन्न अन्य उद्योगों के बीच विभाजित रहता है।

जैन ने कहा कि औद्योगिक गैस कंपनी के रूप में हम काफी खुश हैं। हमारे सबसे बड़े ग्राहक इस्पात उद्योग, धातु विनिर्माण, स्वास्थ्य देखभाल, तेल और गैस उद्योग थे। अचानक ही हमारे पास इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर का यह नया उभरता हुआ क्षेत्र आ गया है।

First Published : August 17, 2023 | 10:31 PM IST