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‘बाजार पर कोविड की दूसरी लहर का प्रभाव दिखना बाकी’

Last Updated- December 12, 2022 | 5:10 AM IST

बीएस बातचीत
देश में कोविड-19 संक्रमण के मामलों में तेजी से हो रही वृद्धि के बीच ऐसा लगता है कि मंदडिय़ों ने बाजार पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली है। एडलवाइस सिक्योरिटीज के अनुसंधान प्रमुख (संस्थागत इक्विटीज) आदित्य नारायण ने पुनीत वाधवा से बातचीत में कहा कि 2021 काफी हद तक विकसित बाजारों का वर्ष हो सकता है। पेश हैं मुख्य अंश:
क्या आपको लगता है कि बाजार अब कोविड की दूसरी लहर और अर्थव्यवस्था पर उसके प्रभाव के इतर देख रहा है?
बाजार कोविड की दूसरी लहर के प्रभाव का आकलन करने में लगा है। बाजार की सोच काफी हद तक अमेरिका और यूरोपीय बाजारों के अनुभवों पर आधारित होगी जहां दूसरी लहर की पकड़ कमजोर पडऩे के साथ ही सुधार दर्ज किया गया। लेकिन भारत में दूसरी लहर कहीं अधिक तेज है और इस लिहाज से बाजार के लिए इसका आकलन करना आसान नहीं होगा। साथ ही यह भी ध्यान रखना महत्त्वपूर्ण होगा कि पहला तरीका मुख्य तौर पर आपूर्ति में कमी से संबंधित होगा जबकि मांग पर अपेक्षाकृत सीमित प्रभाव होगा। भारत में कोविड की दूसरी लहर अलग तरह की है। इसमें आपूर्ति संबंधी कोई खास समस्या नहीं है लेकिन मांग की समस्या दिख सकती है, खासकर जब तक दूसरी लहर का प्रभाव रहेगा।

हालिया विधानसभा चुनावों के परिणाम को बाजार किस प्रकार देख रहा है?
कोविड की दूसरी लहर और उसका प्रभाव चुनाव परिणामों के मुकाबले कहीं अधिक प्रभावशाली रहेगा और वह बाजार को संचालित करेगा। इसका तात्पर्य यह है कि कोविड की दूसरी लहर के कारण पैदा हुए व्यवधान और चुनावी नतीजों के मद्देनजर ऐसा लगता है कि नीतिगत मोर्चे पर कहीं अधिक आक्रामक पहल दिखेगी, खासकर चिकित्सा एवं संबंधित बुनियादी ढांचे में निवेश बढऩे की संभावना है।

अब विदेशी निवेशकों का नजरिया कैसा है?
निवेशकों के बीच इक्विटी अभी भी पसंदीदा परिसंपत्ति वर्ग के तौर पर बरकरार है। इसे हाल के प्रदर्शन से मदद मिली लेकिन अधिकतर विकसित देशों में उम्मीद से कहीं अधिक तेजी से आर्थिक सुधार होने, टीकाकरण में तेजी और बाजार के खुलने एवं नीतिगत समर्थन (इस दिशा में ताजा उदाहरण अमेरिकी राजकोषीय प्रोत्साहन है) को बरकरार रखने से काफी मदद मिली है। भारत उभरते बाजारों के बीच अपन मजबूत स्थिति को बरकरार रखने में सफल रहा है लेकिन आर्थिक प्रतिक्रियाओं और टीकाकरण की रफ्तार के मोर्चे पर उभरते बाजार विकसित देशों से पीछे है। इसका मतलब साफ है कि 2021 काफी हद तक विकसित बाजारों का वर्ष हो सकता है।

साल 2020 में रिलायंस इंडस्ट्रीज और उसके बाद वित्तीय कंपनियों ने बाजार में तेजी का नेतृत्व किया था। क्या 2021 के लिए ऐसा कोई शेयर/क्षेत्र दिख रहा है?
मुझे नहीं लगता है कि कोई एक स्टॉक अथवा समूह का वर्चस्व जिसे पहले देखा जा सकता है- बाजार के उच्च स्तर और कहीं अधिक अनुमानित एवं सामान्य अपेक्षाएं इस प्रकार की तेजी के रुझानों को आमतौर पर सीमित करती हैं। कहने का तात्पर्य यह है कि चक्रीयता- वित्तीय एवं औद्योगिक- के साथ कहीं अधिक रफ्तार दिखेगी क्योंकि अर्थव्यवस्था वृद्धि की राह पर लौटने लगी है। हम सूचना प्रौद्योगिकी और अन्य प्रौद्योगिकी क्षेत्र पर गौर कर सकते हैं जहां बाजार का नेतृत्व करने के लिए कहीं अधिक अनुकूल हवा जारी रहेगी। बीमा कारोबार को खुद की कुशलता का लाभ मिल सकता है।

कंपनियों की आय में वृद्धि के बारे में आप क्या कहेंगे?
हालांकि आय खुलासा करने का चक्र महत्त्वपूर्ण होता है लेकिन बाजार उसे पीछे की ओर देखते हुए देखेगा और प्रबंधन की टिप्पणियों पर कहीं अधिक ध्यान देगा। हालांकि अब उसमें काफी स्थिरता दिख रही है लेकिन वे अब भी काफी सतर्क हैं। मार्च 2021 तिमाही के वित्तीय नतीजे अच्छे रहे हैं। हालांकि इसे पिछले साल के कमजोर आधार का फायदा मिला तो दूसरी ओर जिंस कीमतों में तेजी का झटका भी लगा। यह भी ध्यान रखना महत्त्वपूर्ण होगा कि परिसंपत्ति गुणवत्ता के आंकड़े स्थिर हैं और यह लाभ एवं हानि (पीऐंडएल) के इतर एक बुनियादी अंतर है।

First Published - May 5, 2021 | 12:13 AM IST

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