सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक (PSB) अभी नकदी संकट से जूझ रही देश की तीसरी बड़ी दूरसंचार कंपनी वोडाफोन आइडिया (Vi) को कर्ज देने से हिचक रहे हैं।
बैंकों के तीन वरिष्ठ अधिकारियों ने नाम सार्वजनिक नहीं किए जाने की शर्त पर कहा कि कंपनी की देनदारियों और पूंजी व्यय की स्पष्ट योजना न होने के कारण बैंक, कर्ज मुहैया कराने से बच रहे हैं।
दूसरी तरफ, वीआई ने बिज़नेस स्डैंडर्ड से कहा कि बैंकों द्वारा शुरू किए गए स्वतंत्र तकनीकी आर्थिक मूल्यांकन (टीईवी) को अद्यतन करने का काम पूरा कर लिया गया है, जो ऋण हासिल करने की प्रमुख प्रक्रिया है। हालांकि उसने यह नहीं बताया कि टीईवी रिपोर्ट उसे ऋण देने की प्रक्रिया के पक्ष में है या नहीं।
इसके पहले बैंकरों ने वीआई को सलाह दी थी कि वह कर्ज लेने से पहले इक्विटी के जरिये धन जुटाए। दूरसंचार कंपनी द्वारा 24,000 करोड़ रुपये इक्विटी से जुटाने के बावजूद बैंक अधिकारियों ने कहा कि कंपनी की कई भुगतान देनदारियों को लेकर चिंता बनी हुई है, जिसमें सरकार, विक्रेताओं और टावर कंपनियों का बकाया शामिल है।
एक वरिष्ठ बैंक अधिकारी ने कहा, ‘अगर वीआई सोचती है कि पूरा धन बैंक ही मुहैया कराएंगे, तो देनदारियों में स्पष्टता और उचित मात्रा में इक्विटी के बगैर यह चुनौतीपूर्ण होगा। वीआई 35,000 करोड़ रुपये मांग रही है।’
उन्होंने कहा कि पूंजीगत व्यय की समग्र योजना मिलने के बाद ही कोई फैसला लिया जाएगा। वीआई के प्रवक्ता ने कहा, ‘हम इस साल की शुरुआत में धन जुटाने के लिए बनाई गई योजना की राह पर हैं। हमने इक्विटी और ऋण से 45,000 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है। योजना के तहत हमने पहले ही देश के सबसे बड़े एफपीओ से 18,000 करोड़ रुपये और प्रवर्तक समूह एबीजी एंटिटी को तरजीही इक्विटी निर्गम जारी करके 2,080 जुटा लिए हैं।’
वीआई ने अगले 3 साल में 50,000 से 55,000 करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय का खाका तैयार किया है, जिसके जरिये प्राथमिकता वाले 17 क्षेत्रों में 4 जी कवरेज को विस्तार देना और प्रमुख शहरों में 5जी सेवाएं शुरू करने जैसे कार्य होंगे। इसमें से ज्यादातर धन अगले 12 से 15 महीने में खर्च किया जाना है।
बहरहाल वीआई अभी उपकरणों का ऑर्डर देने और सितंबर के अंत से डिलिवरी के लिए वेंडरों से बात कर रही है। बैंकरों ने 4जी ग्राहकों की कमी की ओर भी ध्यान दिलाया। वित्त वर्ष 2025 की अप्रैल-जून तिमाही में कंपनी के 25 लाख सबस्क्राइबर कम हो गए हैं।
धन जुटाना पर्याप्त नहीं
इस साल की शुरुआत में बैंकरों ने जोर दिया था कि वीआई की स्थिति के निर्धारण में उसकी देनदारियों और पुनर्भुगतान कार्यक्रम की प्रमुख भूमिका होगी। अभी भी वही धारणा बनी हुई है।
तीसरे बैंक अधिकारी ने कहा, ‘दूरसंचार बाजार में प्रतिस्पर्धा पर विचार करते हुए हम कंपनी की ताकत का मूल्यांकन करना चाहते है। वीआई को बेहतर समर्थन है, हम स्थिति बदलने पर भविष्य में फैसले पर पुनर्विचार कर सकते हैं।’