दूरसंचार परिचालकों ने आज भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) द्वारा जारी स्पैम नियंत्रण संबंधी नवीनतम विनियमों के खिलाफ आवाज उठाई, जिसमें कहा गया कि डिलिवरी टेलीमार्केटर (टीएम) और ओवर-द-टॉप (ओटीटी) कम्युनिकेशन सेवाओं को विनियमों के दायरे में लाया जाना चाहिए था। अनुपालन बोझ और जुर्माने में वृद्धि के खिलाफ भी तर्क दिया गया है।
पिछले सप्ताह ट्राई ने खतरे से निपटने के लिए सरकार के प्रमुख कानूनी उपाय – दूरसंचार वाणिज्यिक संचार ग्राहक प्राथमिकता विनियम, 2018 (टीसीसीसीपीआर-2018) में संशोधन किया था। रिलायंस जियो, भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया का प्रतिनिधित्व करने वाले सेल्युलर ऑपरेटर एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) ने सोमवार को कहा कि सभी प्रासंगिक मसलों पर ध्यान दिए बिना ये संशोधन जारी किए गए हैं।
सीओएआई के महानिदेशक एसपी कोचर ने बयान में कहा, ‘टीएसपी की सबसे महत्वपूर्ण मांगों में से एक यह थी कि अवैध संचार को नियंत्रित करने के लिए डिलीवरी टेलीमार्केटर्स (टीएम) को विनियमन के दायरे में लाए जाने के बाद ही इस संशोधन को जारी किया जाना चाहिए। हम यहां यह भी बताना चाहेंगे कि यह बात सार्वजनिक रूप से पता है कि दूरसंचार विभाग पहले से ही टीएम के प्राधिकरण के संबंध में ट्राई से इनपुट चाह रहा है।’
वर्तमान में स्पैम को ‘अवांछित वाणिज्यिक संचार’ (यूसीसी) के रूप में वर्गीकृत किया जाता है, जिसे आम तौर पर गैर-पंजीकृत टेलीमार्केटर्स (यूटीएम) द्वारा भेजा जाता है। सरकार को दिए गए अपने प्रस्ताव में दूरसंचार कंपनियों ने इस बात पर जोर दिया है कि यूसीसी को संभालने का एकमात्र व्यावहारिक और सबसे अच्छा तरीका टेलीमार्केटर्स को लाइसेंसिंग व्यवस्था के तहत लाना हो सकता है। उन्होंने कहा कि इससे दूरसंचार विभाग और ट्राई का ऐसे संदेश-कॉल करने के लिए जिम्मेदार इकाइयों पर कानूनी नियंत्रण भी स्थापित होगा।
सीओएआई ने यह भी बताया कि डिजिटलीकरण के बढ़ने और वॉयस कॉल के तेजी से व्हाट्सएप जैसे ओटीटी संचार प्लेटफार्मों की दिशा में स्थानांतरित होने की वहज से ऐसी कॉल पर निगरानी रखना और उन्हें ब्लॉक करना ज्यादा मुश्किल होता जा रहा है। दूरसंचार कंपनियों द्वारा लगातार प्रयासों के बावजूद दूरसंचार विधेयक में यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि ओटीटी प्लेटफॉर्म दूरसंचार पारिस्थितिकी तंत्र की नियामकीय निगरानी से बाहर हैं या नहीं। कोचर ने कहा, ‘हालांकि टीएसपी ने स्पैम कॉल और संदेशों पर अंकुश लगाने के लिए पर्याप्त कदम उठाए हैं, लेकिन अवांछित संचार के साथ-साथ ऐसे वैध वाणिज्यिक संचार की मात्रा में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो ओटीटी संचार ऐप पर स्थानांतरित हो गया है, जिससे देश में वित्तीय अपराधों में खासा इजाफा हुआ है।’