उतार-चढ़ाव भरे परिवेश, ग्राहकों की जांच में तेजी, और बदलते प्रौद्योगिकी परिदृश्य से बड़े सौदों पर अनिश्चिततता के बादल मंडरा रहे हैं।
भारत की सबसे बड़ी आईटी सेवा प्रदाता टाटा कंसल्टेंसी (TCS) ने ट्रांसअमेरिका लाइफ इंश्योरेंस (Transamerica) के साथ अपना 2 अरब डॉलर का 10 वर्षीय सौदा अवधि समाप्त होने से पहले ही तोड़ दिया है। ट्रांसअमेरिका लाइफ इंश्योरेंस डॉयचे की बीमा कंपनी एजियोन एनवी की अमेरिकी सहायक इकाई है।
यह पहली बार नहीं है जब इस तरह के लंबी अवधि के किसी सौदे को समय से पहले ही रद्द किया गया है। इस साल के शुरू में, ब्रिटेन के नैशनल इम्पलॉयमेंट सेविंग्स ट्रस्ट (नेस्ट) ने फ्रांस की आईटी सेवा प्रदाता एटॉस के संग अपना 1.8 अरब डॉलर का सौदा समाप्त किया। यह समझौता 18 साल के लिए किया गया, लेकिन महज दो साल में ही इसे समाप्त कर दिया गया।
टीसीएस के मामले में, प्रक्रियाओं को ट्रांसअमेरिका में वापस लाने के लिए अभी भी उसके पास 2-2.5 साल का समय है। टीसीएस आठ साल तक इस सौदे पर काम करेगी और वित्तीय रूप से इसका प्रभाव नहीं पड़ेगा। यह सौदा वर्ष 2018 में किया गया था और टीसीएस को हर साल इससे 20 करोड़ डॉलर मिलने थे।
इस संबंध में भेजे गए ईमेल के जवाब में टीसीएस ने कहा है, ‘मौजूदा वृहद परिवेश और संबद्ध व्यावसायिक प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए, ट्रांसअमेरिका और टीसीएस ने ट्रांसअमेरिका लाइफ इंश्योरेंस, एन्युटीज, और संबद्ध स्वास्थ्य बीमा तथा अन्य कर्मचारी लाभ योजनाओं के संदर्भ में आपसी सहमति से यह समझौता समाप्त करने पर सहमति जताई है। दोनों कंपनियां इन योजनाओं के प्रशासन में नए सिरे से बदलाव सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करेंगी और हमारा मानना है कि इसमें करीब 30 महीने का समय लगेगा।’
इस क्षेत्र पर नजर रख रहे विश्लेषकों का मानना है कि ऐसे मामले बेहद कम हैं, जिनमें बड़े सौदों को अनुबंध अवधि पूरी होने से पहले ही रद्द कर दिया गया हो। कई भारतीय आईटी कंपनियां इस तरह के बड़े सौदों को कुछ अन्य वर्षों के लिए भी आगे बढ़ाने में सफल रही हैं।
विश्लेषकों का मानना है कि व्यावसायिक परिवेश में अनिश्चितता और बदलावों से ट्रांसअमेरिका को अपने निर्णय पर फिर से विचार करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा।
पारीख जैन कंसल्टेंसी के सीईओ एवं मुख्य विश्लेषक पारीख जैन ने कहा, ‘इससे यह सवाल पैदा हुआ है कि क्या मौजूदा परिवेश कुछ बड़े सौदों पर अनिश्चितता बढ़ाएगा, क्योंकि तकनीकी परिवेश तेजी से बदल रहा है। अब तक जोखिम सैद्धांतिक नजर आ रहा था, लेकिन अब यह वास्तविक लग रहा है।’
जैन का यह भी मानना है कि बड़े सौदों के संदर्भ में नियमित तौर पर यह सुनिश्चित करने के लिए बदलाव किए जाते हैं कि वे बाजार में बदलते तकनीकी रुझानों और बदलावों के अनुरूप हैं या नहीं।
जैन ने कहा, ‘अन्य क्षेत्रों में बड़े सौदों की मध्यावधि में ऐसा हो सकता है। वहीं अन्य सौदे हरेक कुछ साल बाद नवीकृत किए जाते हैं, जिससे कि उन्हें बाजार और तकनीकी जरूरतों के अनुरूप बनाया जा सके।’