टीसीएल की नजर अमेरिकी कंपनी पर

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 05, 2022 | 4:30 PM IST

टाटा समूह का ‘ऑपरेशन अधिग्रहण’ जोरों पर चल रहा है। वाहन उद्योग में जगुआर-लैंडरोवर के अधिग्रहण के मामले में रतन टाटा को कामयाबी मिलने ही वाली है।


इसलिए कंपनी ने रसायनों के कारोबार में भी परदेसी कंपनियों को अपनी जेब में डालने का फैसला कर लिया है।टीसीएल भी इसी राह परटाटा की कंपनी टाटा केमिकल्स लिमिटेड (टीसीएल) ने अमेरिकी कंपनी जनरल केमिकल इंडस्ट्रियल प्रोडक्ट्स इंक के अधिग्रहण के लिए बैंकों से भी बात शुरू कर दी है।


इस सौदे से नजदीक से जुड़े सूत्रों के मुताबिक कंपनी ने अधिग्रहण के लिए कर्ज जुटाने का काम सात बैंकों को सौंप भी दिया है।कंपनी ने इस काम के लिए एचएसबीसी होल्डिंग्स, स्टैंडर्ड चार्टर्ड, एबीएन एमरो होल्डिंग एनवी, कैल्यॉन, मिझुहो फाइनैंशियल कॉर्प, राबोबैंक नेडरलैंड और बैंक ऑफननोवा स्कॉटिया को नियुक्त किया है।


ये बैंक कंपनी के लिए ऋण का इंतजाम करेंगे। ऋण में 7 साल के लिए 2,000 करोड़ रुपये जुटाए जाएंगे। इसके अलावा अल्पकालिक ऋण के रूप में 1,750 करोड़ रुपये इकट्ठा किए जाएंगे।


सोडा एश का खजानानमक बनाने के मामले में भारत की सबसे बड़ी कंपनी टीसीएल ने जनवरी में जनरल केमिकल को खरीदने की बात पर रजामंदी जर्ताई थी।?कंपनी इसके लिए 4,000 करोड़ रुपये खर्च?करने को तैयार है।?यदि सौदा पूरा हो जाता है, तो टीसीएल दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी सोडा एश निर्माता कंपनी हो जाएगी।


टाटा केमिकल्स की यह दूसरी सबसे बड़ी कोशिश है। इससे पहले दिसंबर 2005 में उसने ब्रिटेन की कंपनी ब्रूनर माँड को भी खरीदा था। उस अधिग्रहण के बाद कंपनी की सोडा एश बनाने की क्षमता बढ़कर तकरीबन 30 लाख टन हो गई थी।


दुनिया भर के बाजार में सोडा एश की मांग का यह 8 फीसदी हिस्सा है।महंगी है कोशिशटाटा की इस कोशिश को जानकार काफी महंगा बता रहे हैं। असित सी मेहता इनवेस्टमेंट इंटरमीडिएट्स लिमिटेड के विश्लेषक चिंतन मेहता कहते हैं, ‘टाटा केमिकल्स के लिए यह अधिग्रहण सस्ता या आसान तो नहीं होगा।


वह इसे खरीद तो लेगी, लेकिन उसका असर काफी अर्र्से तक कंपनी पर दिखेगा। यह भी तय है कि दीर्घकालिक मामले में यह सौदा कंपनी का कारोबार और उत्पादन बढ़ा देगा।’


टाटा केमिकल्स इस मामले में अभी कुछ बोलने के लिए तैयार नहीं है।?कंपनी के मुख्य वित्त अधिकारी प्रशांत घोष ने इस बारे में पूछे गए सवाल का जवाब नहीं दिया।होगा कर्ज?का बोझक्रेडिट तय करने वाली संस्थाएं भी टाटा के इस कदम के बारे में सीधे तौर पर कुछ नहीं कह रही हैं।


मूडी इनवेस्टर्स सर्विस ने फरवरी में कहा था कि इस सौदे की वजह से टाटा की साख कम हो सकती है। उसे कुछ क्रेडिट प्वायंट गंवाने पड़ सकते हैं क्योंकि उस पर कर्ज?का बोझ हो जाएगा।


कंपनी के विदेशी मुद्रा ऋण को इस एजेंसी ने सबसे निचली श्रेणी में रखा है। जनरल केमिकल को खरीदने के लिए टीसीएल जो ऋण लेगी, उससे विदेशी मुद्रा में उसका ऋण तकरीबन दोगुना हो जाएगा। फिलहाल कंपनी पर अच्छा खासा विदेशी मुद्रा ऋण है।


पिछले साल सितंबर में जारी वित्तीय रिपोर्ट के मुताबिक उस पर 81,600 करोड़ रुपये का विदेशी मुद्रा ऋण है।

First Published : March 10, 2008 | 9:10 PM IST