टाटा पावर ने आंध्र प्रदेश में 700 मेगावॉट के पवन टर्बाइन (चक्की) के विकास, निर्माण और आपूर्ति के लिए सुजलॉन एनर्जी के साथ समझौता किया है। इस घटनाक्रम से वाकिफ सूत्र ने बताया कि 6,000 करोड़ रुपये की यह परियोजना मार्च 2025 में टाटा पावर रिन्यूएबल एनर्जी (टीपीआरईएल) और राज्य सरकार द्वारा घोषित 7 गीगावॉट की मेगा योजना का हिस्सा है।
दिलचस्प बात यह है कि साल 2019 के बाद से आंध्र प्रदेश में शुरू होने वाली यह पहली पवन ऊर्जा परियोजना है। 7 गीगावॉट की इस अक्षय ऊर्जा में सौर, पवन और हाइब्रिड परियोजनाएं (भंडारण समाधान के साथ या इनके बिना) शामिल हैं। इनमें 49,000 करोड़ रुपये के निवेश की संभावना है, जिससे यह राज्य में अक्षय ऊर्जा के सबसे बड़े निवेशों में शामिल हो जाती है।
सूत्र ने बताया, ‘ये टर्बाइन एस144 सुजलॉन के पवन टर्बाइन जेनरेटर होंगे और केंद्र सरकार की नई आधुनिक मॉडल और विनिर्माताओं की संशोधित सूची (आरएलएमएम) के घरेलू सामग्री संबंधी दिशानिर्देशों के अनुरूप होंगे। ये टर्बाइन आंध्र प्रदेश में सुजलॉन के कारखाने में बनाए जाएंगे, जिसका अभी नवीनीकरण हुआ है और जहां साल 2024 से उत्पादन दोबारा शुरू हो गया है।’
नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने हाल में आरएलएमएम के अपने दिशानिर्देशों में संशोधन किया था। उसने ब्लेड, गियरबॉक्स, जेनरेटर तथा टावर जैसे महत्त्वपूर्ण हिस्सों के लिए स्थानीय आपूर्ति अनिवार्य कर दी है। सूत्र ने कहा, ‘यह परियोजना आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले में विकसित की जाएगी और इसे केंद्रीय ग्रिड से जोड़ा जाएगा। इससे प्रति वर्ष 184 करोड़ यूनिट बिजली का उत्पादन होगा।’
ये प्रस्तावित क्षमताएं आंध्र प्रदेश की एकीकृत स्वच्छ ऊर्जा (आईसीई) नीति के तहत स्थापित की जाएंगी। यह नीति स्वच्छ ऊर्जा का महत्त्वपूर्ण ढांचा है और इसका उद्देश्य राज्य में 10 लाख करोड़ रुपये की निवेश क्षमता के साथ 160 गीगावॉट से अधिक अक्षय ऊर्जा विकसित करना है।
राज्य के साथ मार्च में किए गए समझौते के तहत टीपीआरईएल इन परियोजनाओं की व्यावहारिका का पता लगाने के लिए शुरुआती आकलन, व्यावहारिकता अध्ययन और विकास गतिविधियां करेगी। आंध्र प्रदेश का नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा विकास निगम (एनआरईडीसीएपी) स्थल की पहचान और अवसंरचना में जरूरी सहायता प्रदान करेगा। इस पहल से आंध्र प्रदेश की अक्षय ऊर्जा क्षमता में खासा इजाफा होने की उम्मीद है। साथ ही भारत के स्वच्छ ऊर्जा मिशन में मदद के लिए टीपीआरईएल की प्रतिबद्धता को भी बल मिलेगा।
चंद्रबाबू नायडू सरकार ने अक्टूबर 2024 में आकर्षक एकीकृत स्वच्छ ऊर्जा नीति शुरू की थी। इसके बल पर राज्य ने पिछले वर्ष देश के अक्षय ऊर्जा निवेश का बड़ा हिस्सा भी हासिल किया। इस नीति के तहत संबंधित मंजूरियों में तेजी आई और नई रियायतें दीं गईं।
अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में टाटा पावर के अलावा प्रमुख प्रतिबद्ध निवेशों में एनटीपीसी ग्रीन (2.08 लाख करोड़ रुपये), वेदांत की सेरेंटिका (50,000 करोड़ रुपये), एसएईएल इंडस्ट्रीज (6,000 करोड़ रुपये) और ब्रुकफील्ड (50,000 करोड़ रुपये) की कई परियोजनाएं शामिल हैं।