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मिडकैप और स्मॉलकैप में दिख रही है मजबूत वृद्घि

Last Updated- December 12, 2022 | 6:45 AM IST

बीएस बातचीत
एमके इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के मुख्य कार्याधिकारी विकास सचदेवा ने ऐश्ली कुटिन्हो को दिए साक्षात्कार में बताया कि अल्फा शेयरों की तलाश ने अत्याधुनिक निवेशकों को अल्टरनेटिव इंडस्ट्री पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रोत्साहित किया है जिसकी वजह से अगले कुछ वर्षों में निवेशकों और परिसंपत्तियों की संख्या में वृद्घि की संभावना है। पेश हैं उनसे हुई बातचीत के मुख्य अंश:
निफ्टी इस साल अब तक 5 प्रतिशत से ज्यादा चढ़ा है। बाजारों पर आपका क्या नजरिया है?
आय के साथ साथ पिछले कुछ महीनों में मजबूत विदेशी प्रवाह से भी इक्विटी बाजारों को मदद मिली है। हमारा मानना है कि पूंजीगत खर्च-केंद्रित बजट और सरकार द्वाररा खपत के संदर्भ में मुहैया कराए गए समर्थन के साथ भारतीय बाजारों के लिए परिदृश्य सकारात्मक बना हुआ है। जिन चीजों पर नजर रखे जाने की जरूरत होगी वे हैं मुद्रास्फीति और रोजगार के संदर्भ में बदलाव। मिडकैप और स्मॉकैप कंपनियों में मजबूत वृद्घि बरकरार है। ये कंपनियां खपत पर अच्छे नजरिये की मुख्य लाभार्थी होंगी।

मूल्यांकन पर आपका क्या नजरिया है? किसी खास सेक्टर पर आप किस तरह की वैल्यू देख रहे हैं?
मूल्यांकन मौजूदा समय में एक सापेक्ष धारणा है। इसे अलग नहीं देखा जाना चाहिए, क्योंकि वैश्विक ब्याज दरों का परिदृश्य भी महत्वपूर्ण योगदान देता है। नकदी के साथ साथ वैश्विक ब्याज दरें नरम रहने की संभावना है क्योंकि दुनियाभर में केंद्रीय बैंक वृद्घि को मजबूती प्रदान करने के लिए पकड़ धीमी बनाए रख सकते हैं। हम वित्त में वैल्यू देख रहे हैं जिनमें परिसंपत्ति गुणवतता के संदर्भ में कोविड-संबंधित समस्याएं उम्मीद से कम रह गई हैं। कम कर्ज/ कर्ज-मुक्त इन्फ्रास्ट्रक्चर कंपनियां आकर्षक दिख रही हैं। हमारा मानना है कि कोविड-19 ने आईटी पर खर्च बढ़ाया है। हम फार्मा और कषि क्षेत्रों को भी पसंद कर रहे हैं।

दिसंबर तिमाही में कॉरपोरेट आय अच्छी रफ्तार के साथ बढ़ी। चौथी तिमाही और आगामी तिमाहियों में आय वृद्घि के बारे में आपका क्या नजरिया है?
हमारा मानना है कि 2020 जैसे वर्ष के संदर्भ में हम इसे कॉरपोरेट आय में तिमाही प्रदर्शन पर प्रतिक्रिया के लिए अनुचित समझ रहे हैं और इसलिए चालू परिवेश में अल्पावधि प्रदर्शन मानकों पर प्रतिक्रिया कठिन होगी। कई तरह के ढांचागत बदलाव भी कंपनियों में देखे गए हैं। अब चर्चा महज उदार रख अपनाने और हालात सुधरने का इंतजार करने के बजाय पूंजीगत खर्च योजनाओं के क्रियान्वयन पर विचार हो रहा है। यह निफ्टी की मजबूत कंपनियों में स्पष्ट रूप से दिखा है जिनमें निफ्टी आय वित्त वर्ष 2021-23 के दौरान 25 प्रतिशत की सीएजीआर से बढ़े का अनुमान है।

ऐसे प्रमुख जोखिम कौन से हैं जिनका भारत में वैश्विक प्रवाह पर प्रभाव पड़ सकता है?
प्रवाह का संबंध वृद्घि से हैद्घ अब तक भारत मजबूत जीडीपी वृद्घि की पेशकश कर रहा है जिससे प्रवाह भी अच्छा रहने की संभावना है।
 
ऐसा मानना है कि पीएमएस अब तक म्युचुअल फंडों के मुकाबले कम विनियमित हैं। हालांकि पिछले साल नियामक ने मानकीकरण और अच्छी पारदर्शिता के लिए मानक पेश किए। क्या इससे निवेशकों का भरोसा पीएमएस योजनाओं में और ज्यादा बढ़ा है?
पीएमएस योजना सेबी द्वारा सख्त नियामकीय दायरे के अधीन होती है। तथ्य यह है कि इसमें निवेशक एचएनआपई होता है और उसे खुदरा निवेशक के मुकाबले ज्यादा समझदार माना जाता है और निवेश प्रबंधक निश्चित तौर पर कोषों के प्रबंधन के लिए ज्यादा आधुनिक रणनीतियों पर अमल कर सकता है। सेबी के ताजा नियम यह सुनिश्चित करते हैं कि निवेशक संवाद के साथ साथ ज्यादा पारदर्शिता के संदर्भ में ज्यादा मानकीकरण हो, जो सही दिशा में उठाया गया एक अन्य कदम है। अल्फा के लिए तलाश से नए निवेशकों को वैकल्पिक उद्योग की तरफ बढऩे में मदद मिलेगी और इससे अगले कुछ वर्षों में निवेशकों तथा परिसंपत्तियों की संख्या में इजाफा होगा।

First Published - March 22, 2021 | 11:32 PM IST

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