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Steel Price: आयात, नरम मांग से इस्पात के दाम कम

इस्पात उद्योग कुछ महीनों से बढ़ते आयात, खास तौर पर चीन से कम दाम वाली सामग्री के संबंध में चिंता जताता रहा है। उद्योग जगत ने इसे सरकार के समक्ष भी उठाया है।

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ईशिता आयान दत्त   
Last Updated- December 12, 2023 | 10:34 PM IST

आयात में बढ़ोतरी और त्योहार के बाद मांग में कमी ने देश की इस्पात मिलों को दामों में कमी के लिए प्रेरित किया है, जबकि वैश्विक स्तर पर दाम बढ़ रहे हैं। बाजार के सूत्रों के मुताबिक इस्पात कंपनियों ने दिसंबर के लिए सुझाए खुदरा दामों (लिस्ट प्राइस) में दो से तीन प्रतिशत तक की कटौती की है ताकि दाम बाजार स्तर के अनुरूप हो सकें।

एक प्रमुख उत्पादक ने कहा कि यह ऐसी कमी थी ताकि कारोबार अब तक हुए आयात के साथ प्रतिस्पर्धा कर सके। इस्पात उद्योग कुछ महीनों से बढ़ते आयात, खास तौर पर चीन से कम दाम वाली सामग्री के संबंध में चिंता जताता रहा है। उद्योग जगत ने इसे सरकार के समक्ष भी उठाया है।

आर्सेलरमित्तल निप्पॉन स्टील इंडिया (एएम/एनएस इंडिया) के मुख्य विपणन अधिकारी रंजन धर ने कहा कि भारतीय इस्पात क्षेत्र वर्तमान में आयात-जनित बाधाओं से जूझ रहा है, लेकिन दीर्घकालिक दृष्टिकोण सकारात्मक नजर आ रहा है। उन्होंने कहा कि पिछले एक-दो महीने से बाजार के दाम मिल के दामों से कम पर कारोबार कर रहे हैं।

जेएसडब्ल्यू स्टील के संयुक्त प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी जयंत आचार्य ने कहा कि बाहर के कमजोर माहौल की वजह से आयात की तीव्रता बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि मजबूत घरेलू मांग के साथ भारत कम कीमतों पर वैश्विक व्यापार के लिए आकर्षक बाजार बन गया है।

उन्होंने कहा कि आयात में चीन की सबसे ज्यादा हिस्सेदारी है और यह 52 प्रतिशत तक बढ़ चुकी है। एफटीए देशों से शून्य शुल्क स्तर वाला आयात भी बढ़ गया है। आचार्य ने कहा कि उनमें से कुछ ऋणात्मक मार्जिन पर काम कर रहे हैं और उस सामग्री को भारत में डंप कर रहे हैं।

मूल्य निर्धारण के मोर्चे पर इस्पात कंपनियां चौथी तिमाही में बेहतर नतीजों की उम्मीद कर रही हैं। धर ने कहा कि वैश्विक दाम बढ़ने से हमें बाजार में कमी के आसार लग रहे हैं, जिससे आने वाले सप्ताहों में दाम बढ़ोतरी होगी। एक अन्य उत्पादक ने कहा कि जनवरी से दाम बढ़ोतरी की संभावना है।

अंतरराष्ट्रीय दाम

मुख्य रूप से कच्चे माल की कीमतों में वृद्धि होने की वजह से इस्पात के अंतरराष्ट्रीय दामों में इजाफा हुआ है। इक्रा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष जयंत रॉय ने कहा कि लौह अयस्क और कोकिंग कोयला दोनों ही अधिक स्तर पर थे, जिससे इस्पात के प्रसार पर दबाव पड़ा। लौह अयस्क प्रति टन लगभग 130 डॉलर पर स्थिर हो गया है, लेकिन कोकिंग कोयला अस्थिर रहा है और पिछली तिमाही के मुकाबले इसमें लगभग 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

उद्योग के सूत्रों ने बताया कि अक्टूबर की शुरुआत से यूरोप में दाम 80 से 100 डॉलर प्रति टन और अमेरिका में लगभग 325 डॉलर प्रति टन तक बढ़ चुके हैं।
प्रभुदास लीलाधर के शोध विश्लेषक तुषार चौधरी ने कहा कि अब तक घरेलू दाम प्रति 900 से लेकर 1,000 रुपये तक सस्ते हैं।

उन्होंने कहा कि आयात के मद्देनजर घरेलू प्रीमियम पिछले एक महीने में खत्म हो चुका है क्योंकि चीन के दाम 520 डॉलर प्रति टन से बढ़कर 575 डॉलर प्रति टन हो गए हैं, जबकि भारतीय कीमतों में पिछले महीने की तुलना में तीन प्रतिशत की गिरावट आई है।

अलबत्ता क्रिसिल मार्केट इंटेलिजेंस ऐंड एनालिटिक्स के निदेशक (शोध) मिरेन लोढ़ा ने कहा कि घरेलू इस्पात उत्पाद इस्पात की वैश्विक कीमतों के मुकाबले प्रीमियम पर कारोबार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि बेहतर प्राप्ति के अवसरों और अच्छी मांग की वजह से भारतीय इस्पात मिलों ने घरेलू बाजार पर ध्यान केंद्रित करना शुरू कर दिया है।

लेकिन वैश्विक धारणा में सुधार के कारण हाल ही में निर्यात बुकिंग में वृद्धि हुई है। धर ने कहा कि दिसंबर से जनवरी की अवधि निर्यात के लिहाज से व्यस्त रहेगी क्योंकि मिलें स्टॉक का स्तर कम करने पर विचार कर रही हैं। जेएसडब्ल्यू स्टील की बुकिंग में भी उल्लेखनीय वृद्धि देखी जा रही है।

विस्तार की चिंता

इस्पात विनिर्माता तेजी से क्षमता विस्तार कर रहे हैं और बढ़ता आयात उन्हें चिंतित कर रहा है। इक्रा की रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2027 तक सालाना तकरीबन 3.85 करोड़ टन की इस्पात निर्माण की नई क्षमता चालू होने की उम्मीद है। आचार्य ने कहा देश में आयात तेजी से बढ़ा है। इससे भारत में नए पूंजीगत व्यय और विस्तार पर असर पड़ने की संभावना है, जो हमारे मेक इन इंडिया कार्यक्रम के खिलाफ होगा।

First Published : December 12, 2023 | 10:34 PM IST