उद्योग के जानकारों का कहना है कि भले ही दूरसंचार विभाग (डीओटी) ने भारत में सैटेलाइट संचार सेवाओं के लिए स्टारलिंक के आवेदन को हरी झंडी दिखा दी है, लेकिन कंपनी यदि दूसरों के साथ सिग्नल शुरू करना चाहती है, तो उसे कम समय में ‘इन-स्पेस’ मंजूरी हासिल करने की भी जरूरत होगी।
उसकी प्रतिस्पर्धी एयरटेल समर्थित यूटेलसैट वनवेब को अगस्त, 2021 से प्रभावी जीएमपीसीएस लाइसेंस प्राप्त हुआ था, जबकि जियो सैटेलाइट कम्युनिकेशन को मार्च 2022 में मिला। मामले से अवगत लोगों का कहना है कि हालांकि, दोनों कंपनियों ने अपने जीएमपीसीएस लाइसेंस प्राप्त करने के लगभग 2 साल बाद नवंबर, 2023 और जून, 2024 में अंतरिक्ष नियामकों की मंजूरी हासिल की थी।
जून, 2020 में स्थापित इन-स्पेस अंतरिक्ष विभाग के अधीन एक स्वायत्त एजेंसी है जो भारत में गैर-सरकारी इकाइयों (एनजीई) के लिए अंतरिक्ष संबंधित गतिविधियों को प्रोत्साहित एवं नियंत्रित करती है। यह अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी के लिए सिंगल-विंडो के तौर पर काम करती है और प्रक्षेपण वाहनों और उपग्रहों के निर्माण, अंतरिक्ष आधारित सेवाएं प्रदान करने और बुनियादी ढांचे को साझा करने जैसी गतिविधियों में मदद करती है।
इन चर्चाओं से अवगत एक अधिकारी ने कहा, ‘दूरसंचार विभाग और अन्य निकायों द्वारा अब तक की गई सख्त जांच प्रक्रिया को ध्यान में रखते हुए आवेदन के स्वीकृत होने की उम्मीद है। लेकिन समय के बारे में निश्चित नहीं कहा जा सकता है क्योंकि इन-स्पेस को यह सुनिश्चित करना है कि भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में प्रवेश करने वाली सभी कंपनियां रणनीतिक और आर्थिक रूप से लाभान्वित हों।’
इन-स्पेस से जरूरी मंजूरी हासिल करने के बाद स्टारलिंक को अपनी टेक्नोलॉजी और सेवा का डेमो दिखाने के लिए सरकार से ट्रायल आधार पर सैटेलाइट स्पेक्ट्रम के लिए आवेदन करना होगा।