भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सौरभ गांगुली | फाइल फोटो
फैशन ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म मिंत्रा ने भारत के आकर्षक त्योहारी परिधान बाजार को साधने के लिए हस्तियों के साथ करार और क्षेत्रीय सांस्कृतिक विरासत पर दांव लगाया है। कंपनी दुर्गा पूजा जैसे महत्त्वपूर्ण खरीदारी सीजन से पहले भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सौरभ गांगुली के साथ प्रीमियम एथनिक ब्रांड ‘सौराग्य’ पेश कर रही है।
सौराग्य में शेरवानी, कुर्ता और औपचारिक परिधानों सहित पारंपरिक बंगाली परिधानों की करीब 100 शैलियां शामिल होंगी, जो सांस्कृतिक पहनावा पसंद करने वाले उपभोक्ताओं को लक्षित करेगी।
भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सौरभ गांगुली ने कहा, ‘यह ब्रांड समकालीन डिजाइन के साथ-साथ भारत के शिल्प कौशल का जश्न मनाने पर केंद्रित है। डिजाइन में मिंत्रा की विशेषज्ञता और इस नजरिये को साकार करने की इसकी क्षमता यह सुनिश्चित करने में जरूरी है कि यह संग्रह न केवल परिधान संबंधी उत्कृष्टता का प्रतीक है, बल्कि बड़ी संख्या में ग्राहकों के लिए भी सुलभ बना रहे।’
यह समय भारत के त्योहारी खरीदारी के चरम समय को भुनाता है, जब पारंपरिक परिधानों की बिक्री में भारी उछाल भी दर्ज की जाती है। मिंत्रा की बीटुबी थोकबिक्री इकाई मिंत्रा जाबोंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (एमजेआईपीएल) ब्रांड के लिए डिजाइन, विनिर्माण और डिस्ट्रीब्यूशन की देखरेख करेगी। यह कांथा कढाई, जामदानी बुनाई और बाटिक प्रिंटिंग तकनीक जैसे पारंपरिक बंगाली शिल्प को दर्शाता है। इसके अलावा, इस संग्रह से बंगाली की पारंपरिक जड़ों का भी पता चलता है। इसमें पारंपरिक कुर्ते के साथ-साथ मयूरपंख धोती और गमछा भी रहेगा, जो किसी के पहनावे को पूरी तरह निखारेगा। इसके अलावा, ग्राहक धोती के साथ शेरवानी, चूड़ीदार, टेपर्ड पैंट और सलवार के साथ-साथ कुर्ता सेट जैसे औपचारिक शैलियों की भी खरीदारी कर सकते हैं।
एमजेआईपीएल के सीएक्सओ, हाउस ऑफ ब्रांड्स के प्रमुख सुमन साहा ने कहा, ‘त्योहारों के साथ सौराग्य उत्सवों और उससे आगे के लिए भी आपके पहनावे का एक आदर्श विकल्प होगा। यह संग्रह हमारे प्रीमियम एथनिक वियर पोर्टफोलियो में एक रणनीतिक वृद्धि का प्रतिनिधित्व करता है।’
यह सौदा मिंत्रा के निजी-लेबल प्रीमियम सेगमेंट में हालिया प्रयास का प्रतीक है क्योंकि भारत के ऑनलाइन फैशन और लाइफस्टाइल बाजार में प्रतिस्पर्धा तेज हो रही है। उद्योग के अनुमानों के अनुसार, इसके मौजूदा 16 से 17 अरब डॉलर से बढ़कर 2028 तक 40 से 45 अरब डॉलर होने का अनुमान है।