भारत में Sony ग्रुप के हेड ने कर्मचारियों को एक लेटर भेजा है, जिसमें कहा गया कि Zee एंटरटेनमेंट के साथ विलय नहीं होने के बावजूद कंपनी अच्छा प्रदर्शन करेगी। लेकिन, इस बारे में ज्यादा नहीं बताया गया कि वे मजबूत हो रही अन्य लोकल कंपनियों के साथ कैसे कंपटीशन करेंगे।
Sony का फोकस सब्सक्राइबर और रेवेन्यू बढ़ाने की तरफ
Sony ऐसा कंटेंट बनाने पर फोकस करना चाहती है जिसे साउथ एशिया में ज्यादा लोग पसंद करेंगे और इसके लिए पेमेंट करेंगे। दूसरे शब्दों में कहें तो उनका फोकस साउथ एशिया में सब्सक्राइबर बढ़ाने के साथ-साथ रेवेन्यू बढ़ाने में है। वे बाज़ार में मजबूत होने के लिए दूसरों के साथ मिलकर काम करने या कंपनियों को खरीदने के बारे में भी सोच रहे हैं। यह जानकारी Sony पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया के हेड एन.पी. सिंह के लेटर से ली गई है।
Sony का Zee के साथ विलय न करने का फैसला भारत के 25 बिलियन डॉलर के मीडिया बाज़ार में उनके लिए चुनौती है। वॉल्ट डिज़्नी और मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसे अन्य बड़े प्लेयर्स विलय के बारे में बात कर रहे हैं, जो बेहतर कंटेंट और प्राइसिंग पावर के साथ वास्तव में एक मजबूत मीडिया कंपनी बन सकती है।
क्यों टूटी Sony-Zee की डील?
Sony ने इस सप्ताह Zee से होने वाली डील को खारिज कर दिया। क्योंकि वे इस बात पर सहमत नहीं हो सके कि संयुक्त कंपनी का नेतृत्व किसे करना चाहिए। Sony को Zee के सीईओ, पुनीत गोयनका को हेड की पोजिशन पर नहीं रखना चाहती थी।
क्योंकि भारत का रेगुलेटर उनके और उनके पिता के साथ वित्तीय मुद्दों की जांच कर रहा है। सोमवार को भारतीय मीडिया नेटवर्क के एक बयान के अनुसार, Sony अब Zee से नुकसान की भरपाई के लिए 90 मिलियन डॉलर चाहती है और मध्यस्थता नामक एक कानूनी प्रक्रिया शुरू कर रही है। (ब्लूमबर्ग के इनपुट के साथ)