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Sony ने Zee के साथ खत्म किया विलय सौदा, बदले में मांगे 9 करोड़ डॉलर

Zee Entertainment ने कहा कि वह अपने शेयरधारकों के दीर्घकालिक हित की रक्षा के लिए निदेशक मंडल के दिशानिर्देशों के आधार पर कानूनी कार्रवाई सहित सभी आवश्यक कदम उठाएगी।

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देव चटर्जी   
Last Updated- January 22, 2024 | 11:02 PM IST

सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया प्राइवेट ने दो साल की लंबी बातचीत के बाद आज ज़ी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज के साथ विलय का सौदा खत्म कर दिया। जापान की कंपनी सोनी ग्रुप कॉरपोरेशन के पूर्ण स्वामित्व वाली सोनी पिक्चर्स ने इस बारे में ज़ी को नोटिस भेजा है। कंपनी ने सौदा खत्म करने के बदले ज़ी एंटरटेनमेंट से 9 करोड़ डॉलर भी मांगे हैं। जवाब में ज़ी के बोर्ड ने कहा कि वह शेयरधारकों के हित की रक्षा के लिए सभी कदम उठाएगा।

यदि दोनों कंपनियों का विलय हो जाता तो 10 अरब डॉलर की भारी भरकम मनोरंजन कंपनी तैयार हो जाती। आम मनोरंजन चैनलों के बाजार का तकरीबन 25 फीसदी हिस्सा उसी कंपनी के पास होता।

ज़ी ने कहा कि उसके निदेशक मंडल को कल्वर मैक्स एंटरटेनमेंट प्राइवेट (पुराना नाम सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया) और बांग्ला एंटरटेनमेंट प्राइवेट से नोटिस मिले हैं। नोटिस में 21 दिसंबर 2021 के विलय समझौते को खत्म करने की बात कही गई है। ज़ी पर समझौते की शर्तों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए 9 करोड़ डॉलर हर्जाना भी मांगा गया है।

नोटिस में मध्यस्थता प्रक्रिया शुरू करने और ज़ी एंटरटेनमेंट के खिलाफ अंतरिम राहत मांगे जाने की बात भी है।

ज़ी ने कहा, ‘कंपनी मामलों के मंत्रालय की शर्तों के तहत कथित उल्लंघन के कल्वर मैक्स और बीईपीएल के सभी दावों को ज़ी एंटरटेनमेंट सिरे से खारिज करती है। इसमें हर्जाने का उनका दावा भी शामिल है।’

निदेशक मंडल ने कहा कि ज़ी एंटरटेनमेंट ने शेयरधारकों और नियामकीय संस्थाओं द्वारा मंजूर विलय समझौते के तहत दिए गए सभी प्रयास किए और कदम उठाए। ज़ी एंटरटेनमेंट शेयरधारकों के हित को ध्यान में रखते हुए पूरी योजना लागू करने की कोशिश करती रही है। ज़ी ने कहा कि ज़ी एंटरटेनमेंट ने विलय पूरा करने की मियाद बढ़ाने के इरादे से कल्वर मैक्स और बीईपीएल के साथ कई दौर की बातचीत भी की, मगर कोई नतीजा नहीं निकला।

ज़ी एंटरटनमेंट ने कहा कि वह अपने शेयरधारकों के दीर्घकालिक हित की रक्षा के लिए निदेशक मंडल के दिशानिर्देशों के आधार पर कानूनी कार्रवाई सहित सभी आवश्यक कदम उठाएगी। वह मध्यस्थता प्रक्रिया में कल्वर मैक्स और बीईपीएल के दावों का भी विरोध करेगी। ज़ी एंटरटेनमेंट ने 21 दिसंबर 2021 को कल्वर मैक्स और बीईपीएल के साथ विलय सौदा किया था। इसे राष्ट्रीय कंपनी विधिक पंचाट (एनसीएलटी) के मुंबई पीठ ने अगस्त 2023 में मंजूरी दी थी।

पिछले साल दिसंबर में ज़ी एंटरटेनमेंट ने आपसी सहमति बनाने के लिए कल्वर मैक्स और बीईपीएल के साथ 30 दिनों की अतिरिक्त बातचीत के लिए अपने अधिकार का प्रयोग किया था। मगर इस दौरान कई दौर की बातचीत के बावजूद कोई ठोस सहमति नहीं बन पाई। ज़ी एंटरटेनमेंट के एमडी एवं सीईओ पुनीत गोयनका इस सौदे के लिए अपना पद छोड़ने के लिए तैयार थे।

इस संबंध में एक प्रस्ताव पर चर्चा भी हुई थी जिसमें एकीकृत कंपनी के बोर्ड में एक निदेशक नियुक्त करने, ज़ी एंटरटेनमेंट के निदेशकों एवं शेयरधारकों के हित में लंबित जांच एवं कानूनी प्रक्रिया से सुरक्षा और उसके लिए योजना में उचित संशोधन करने पर बातचीत शामिल थी। ज़ी एंटरटेनमेंट ने लेनदेन पूरा करने के लिए समय-सीमा में अधिकतम छह महीने की समयसीमा में विस्तार का प्रस्ताव दिया था। मगर कल्वर मैक्स ने विस्तार के लिए कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। इन बातचीत के बावजूद सोनी की ओर से कोई प्रस्ताव नहीं दिया गया और उसने सौदे को खत्म कर दिया।

ज़ी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज के चेयरमैन आर गोपालन ने कहा, ‘निदेशक मंडल ने सोनी के उस पत्र पर संज्ञान लिया है जिसमें कल्वर मैक्स एंटरटेनमेंट के साथ कंपनी के प्रस्तावित विलय सौदे को खत्म करते हुए मध्यस्थता और अंतरिम राहत की मांग की गई है। हम अगला कदम उठाने और उचित कार्रवाई करने के लिए विचार कर रहे हैं।

बोर्ड ने कहा है कि कंपनी ने इस सौदे को सफल बनाने के लिए पिछले दो साल के दौरान हर संभव प्रयास किया है। बोर्ड ने आश्वस्त किया है कि कंपनी शेयरधारकों के हित की रक्षा के लिए मध्यस्थता प्रक्रिया के तहत कल्वर मैक्स एवं बीईपीएल के दावों का विरोध करने के साथ-साथ सभी आवश्यक उपाय करेगी।’ उन्होंने कहा, ‘हम अपने शेयरधारकों एवं हितधारकों द्वारा भरोसा जताने और लगातार समर्थन के लिए उनका आभार व्यक्त करते हैं।’

विलय की घोषणा के बाद से अब तक ज़ी का शेयर करीब 30 फीसदी लुढ़क चुका है। ज़ी के मूल्यांकन में गिरावट के अलावा सोनी गोयनका को एकीकृत कंपनी का सीईओ भी नहीं बनाना चाहती थी। इसके लिए उसने सेबी के उस आदेश का हवाला दिया था कि गोयनका को कार्यकारी भूमिका निभाने पर प्रतिबंध लगाया गया है। हालांकि बाद में सैट ने सेबी के उस आदेश को खारिज कर दिया था।

संस्थापक सुभाष चंद्रा के परिवार की ज़ी में महज 4 फीसदी हिस्सेदारी है। ऐसे में विश्लेषकों का मानना है कि बड़े संस्थागत शेयरधारक ही कंपनी के भविष्य के लिए कोई पहल कर सकते हैं।

First Published : January 22, 2024 | 11:02 PM IST