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अंकेक्षकों के इस्तीफे के मामलों में कमी के संकेत

Last Updated- December 15, 2022 | 3:11 AM IST

कंपनियों के वित्तीय विवरण सही हैं, यह सुनिश्चित करने वालों ने पिछले साल इसी समय बड़ी संख्या में अपने इस्तीफे सौंपे थे। एक साल बाद अंकेक्षकों के इस्तीफे में कमी नजर आ रही है।
अगस्त 2019 में कार्यकाल के बीच में ही इस्तीफों के 16 मामले सामने आए थे। अगस्त 2020 में अभी तक ऐसे दो मामले देखने को मिले हैं। यह जानकारी कॉरपोरेट ट्रैकर प्राइम इन्फोबेस के आंकड़ों से मिली। तीन महीने का औसत आंकड़ा भी घटा है, जो पिछले साल के नौ मामलों के मुकाबले हालिया महीनों में घटकर एक या उससे कम रह गया है।
पिछले साल अगस्त में कुल 45 कंपनियों ने अंकेक्षकों की तरफ से बीच में ही कामकाज छोड़ते देखा। इस साल जनवरी से ऐसे सिर्फ नौ मामले देखे गए हैं। विशेषज्ञों ने कहा, सख्त नियमन और हस्ताक्षर से पहले अंकेक्षकों की तरफ से कंपनी की जांच में ज्यादा सावधानी ने इस गिरावट में योगदान किया होगा।
देसी प्रॉक्सी एडवाइजरी फर्म इनगवर्न रिसर्च सर्विसेज के संस्थापक और प्रबंध निदेशक श्रीराम सुब्रमण्यन ने कहा, अनावश्यक जोखिम लेने के मुकाबले क्लाइंट को गंवा देने को अंकेक्षक प्राथमिकता दे सकते हैं। इनगवर्न अंकेक्षण निामकीय निकाय नैशनल फाइनैंशियल रिपोर्टिंग अथॉरिटी की तकनीकी सलाहकार समिति में शामिल है। उन्होंने कहा, अब वे अपनी साख को लेकर ज्यादा सतर्क हैं।
प्राइम डेटाबेस के प्रबंध निदेशक प्रणव हल्दिया ने कहा, ऑडिटर रोटेशन के नियमों में सख्ती के बाद बाजार हिस्सेदारी पर कब्जे को लेकर होड़ मच गई थी। ऑडिटर रोटेशन की अनिवार्यता इसलिए लागू की गई थी कि एक ही अंकेक्षक किसी कंपनी की वित्तीय स्थिति की जांच लंबे समय तक न करें। सूचीबद्ध कंपनियों में करीब-करीब सभी को अपने पुराने अंकेक्षकों को अनिवार्य रूप से बदलना पड़ा था। इसके परिणामस्वरूप नए क्लाइंटों के साथ नए अंकेक्षकों जुडऩे में तेजी आ गई थी, लेकिन समस्याओं से पर्दा बादमें हटा और इस्तीफे देखने को मिले। अगर अंकेक्षक अब अपने कामकाज को लेकर ज्यादा सावधान हो जाएं तो ऐसे इस्तीफों में तेजी की संभावना कम होगी। हल्दिया ने कहा, अंकेक्षकों के खिलाफ हालिया नियामकीय कार्रवाई ने भी इसमें योगदान किया होगा। कई बड़ी ऑडिट फमों ने ऐलान किया कि वे उन क्लाइंटों के सेवाएं नहीं देंगे जहां अन्य गैर-अंकेक्षण वाले कार्य हितों के टकराव को टालने के लिए किए जाते हैं। उन्होंने कहा, यह आने वाले समय में कुछ और इस्तीफे में योगदान कर सकता है।
अंकेक्षक इस्तीफे की वजह बताते हैं। इन वजहों में पूछताछ का असंतोषजनक जवाब, वाणिज्यिक प्रतिफल, स्वास्थ्य संबंधी वजह, हितों का टकराव, व्यक्तिगत वजह और पुनर्गठन शामिल है।
17 जुलाई के इंटरनैशनल जर्नल ऑफ ऑडिटिंग स्टडी के मुताबिक, अंकेक्षण के बेहतर मानकों का जुड़ाव कंपनियों के सकारात्मक असर से भी है। कंपनियां कम ब्याज दर पर रकम जुटा सकती हैं और आय में कम से कम गड़बड़ी देख सकती हैं। हालांकि स्टडी में कहा गया है कि यह संगठन की प्रकृति के मुताबिक अलग-अलग हो सकता है।

First Published - August 20, 2020 | 12:21 AM IST

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